
ओन्ली माई हेल्थ की मास्टर क्लास में स्त्री रोग विशेषज्ञ ने यौन स्वास्थ्य से जुड़े कई मिथक तोड़े और सुरक्षित सेक्स के बारे में बताया।
सेक्स स्वस्थ शरीर के लिए जितना जरूरी है उतनी ही इस पर बात कम होती है। यौन स्वास्थ्य कभी राजनीतिक मुद्दा बना ही नहीं। बचपन से बच्चों की परवरिश ऐसे की जाती है कि सुरक्षित यौन संबंधों के बारे में जानकारी कहीं से ले ही नहीं पाते। आज विश्व स्वास्थ्य दिवस पर (World Health Day) पर ओन्ली माई हेल्थ की एक विशेष श्रृंखला मास्टर क्लास में डॉक्टर अरूणा कालरा ने इस मुद्दे पर अहम जानकारी दी। गुरुग्राम के सीके बिरला हॉस्पीटल (महिला) में स्त्री रोग विभाग की निदेशक डॉ. अरुणा कालरा ने इस सेशन में उन मिथकों को भी तोड़ा जो महिलाओं के यौन स्वास्थ्य से जुड़े हुए हैं। डॉ. कालरा का कहना है कि भारत में यौन स्वास्थ्य पर चुप्पी और शर्म छाई रहती है। प्रेग्नेंसी, अवोइड प्रेग्नेंसी, महिलाओं को चरमसुख की प्राप्ति कैसे होती है, किशोरावस्था में खुद को कैसे संभालें, मास्टरबेशन आदि विषयों पर खुलकर बात नहीं होती। हमारा मानसिक और शारीरिक, सामाजिक स्वास्थ्य यौन स्वास्थ्य से प्रभावित होता है। सिर्फ अनपढ़ ही नहीं बल्कि पढ़े लिखे लोगों में भी सेक्शुअल हेल्थ को लेकर टैबू बने हुए हैं। उन्होंने इस मास्टर क्लास में सेक्स से जुड़े मिथकों को तोड़ा और साथ ही सुरक्षित सेक्स के तरीके बताए।
किस उम्र से शुरू हो जाती हैं सेक्शुअल एक्टिविटी
डॉक्टर अरुणा कालरा ने मास्टर क्लास में बताया कि 5 से 6 साल की उम्र से सेक्शुअल एक्टिविटी शुरू हो जाती हैं। बच्चे अपने जननगांगों (Genitals) के बारे में समझने लगते हैं। वो उन्हें स्पर्श करने लगते हैं। उससे ऑर्गेइज्म महसूस करने की कोशिश करते हैं। जब बच्चे परिवार के सामने अपने जननांगों को छूते हैं तो माता पिता उन्हें डाटते हैं। जबकि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। इस उम्र ऐसी इच्छाएं उठना बहुत ही सामान्य है। माता-पिता को बच्चों को सुरक्षित सेक्स के बारे में समझाना चाहिए। अगर बच्चा बार-बार सेक्शुअल पार्ट्स को छू रहा है तो माता-पिता को उसे मनोचिकित्सक को दिखाना चाहिए। कहीं बच्चा सेक्शुअली प्रताड़ित तो नहीं हो रहा है।
यौन स्वास्थ्य से जुड़े मिथक
मास्टरबेशन गलत है
डॉक्टर कालरा बताती हैं कि बच्चे जब किशोरावस्था में आते हैं तब उनमें शारीरिक बदलाव होते हैं। ऐसे में वे अपनी सेक्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए मास्टरबेशन यानी हस्तमैथून का सहारा लेते हैं। अगर बच्चे ऐसा करते हैं तो माता-पिता उन्हें डांटते हैं। इस वजह से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। उनकी पढ़ाई पर असर पड़ता है। मास्टरबेशन का सामान्यीकरण (Normalization) नहीं करते बल्कि उसे एक हौबा बना देते हैं। जबकि मास्टरबेशन करने से फर्टिलिटी पर असर नहीं पड़ता है। शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
शादी से पहले सेक्स गलत
ये धारणा अक्सर लोगों में बनी रहती है कि शादी से पहले सेक्स गलत है। जबकि ऐसा नहीं है। पहले बाल विवाह हो जाते थे। जिस वजह से शादी से पहले सेक्स की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। लेकिन अब लोगों ने उस कुप्रथा को खत्म किया है। लोग करियर पर ध्यान दे रहे हैं। तो सिर्फ सेक्स के लिए 18 या 20 साल की उम्र में शादी नहीं कर सकते। परिवारों को नौकरी-पेशा बच्चों को यह समझाना चाहिए सेक्स बिल्कुल सुरक्षित काम है। उसे हौबा न बनाएं। बच्चों को सेक्स को लेकर डराने के बजाए उन्हें सेक्स के सुरक्षित (Safe sex) के तरीके बताएं।
डॉक्टर कालरा का कहना है कि जब बच्चों के पास सुरक्षित सेक्स की जानकारी नहीं होती तो वे प्रेग्नेंट हो जाते हैं। अनप्लांड प्रेग्नेंसी हो जाती हैं। गर्भनिरोधकों का सही इस्तेमाल नहीं मालूम होता। कई बार वे खुद को बहुत बुरी हालत तक पहुंचा लेते हैं। इन सभी परेशानियों से बचने के लिए जरूरी है कि सेक्स के बारे में सही जानकारी होना। इसके अलावा ऐसे कई मिथक हैं, जिन पर लोग विश्वास करते हैं।
इसे भी पढ़ें : ज्यादातर पुरुष क्यों नहीं अपनाते गर्भनिरोधक उपाय? जानें पुरुषों के लिए कौन सा गर्भनिरोधक उपाय है उपलब्ध
कैसे रखें यौन स्वास्थ्य का ख्याल
डॉक्टर कालरा ने बताया कि हमें लोगों को सुरक्षित सेक्स के बारे में बताना होगा। ताकि वे सेक्शअली ट्रांसमिटिड डिजिज से बचे सकें। यहां सुरक्षित सेक्स के निम्न तरीके डॉक्टर कालरा ने बताए हैं।
गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कालरा का कहना है कि हर गर्भनिरोधक का अपना साइड इफैक्ट होता है। पर उसका मतलब यह नहीं है कि उसके नुकसान की वजह से आप उसका इस्तेमाल नहीं करेंगे। अगर आपको किसी एक गर्भनिरोधक (Contraceptive) से नुकसान हो रहा है तो दूसरा इस्तेमाल कर लें। कॉन्डोम जैसे गर्भनिरोधक सेक्शुअली ट्रांसमिटिड डिजिज से बचाते हैं। पर ये प्रेग्नेंसी से नहीं बचाते।
प्रेग्नेंसी से बचना है तो लें ओरल पिल्स
डॉक्टर ने बताया कि बहुत बार ऐसे मामले आते हैं कि कॉन्डम फेल हो गया और महिला प्रेगनेंट हो गई। या पार्टनर को कॉन्डम के साथ ठीक नहीं लगता। ऐसे में डॉक्टर कालरा का कहना है कि कॉन्डम के फेल होने की संभावना ज्यादा होती है इसलिए ओरल पिल्स खानी चाहिए। इसके अलावा कॉपर-टी भी लगवाई जा सकती है।
इसे भी पढ़ें : गर्भनिरोधक गोलियों के नियमित सेवन के हो सकते हैं कई दुष्प्रभाव, भावनात्मक रूप से परेशान हो सकती हैं आप: रिसर्च
अडल्ट वैक्सीनेशन
यौन संबंधी रोगों से बचना है तो बच्चों को अडल्ट वैक्सीनेशन लगवाना चाहिए। डॉक्टर कालरा ने बताया कि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) वैक्सीन लगवाने से लड़कियां सर्वाइकल कैंसर से बच सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 9 से 14 वर्ष की उम्र में इसकी दो डोज और 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र की लड़कियों को तीन खुराक की बात कही है। अडल्ट वैक्सीनेशन के बारे में लोगों को जानकारी होनी चाहिए।
आपातकालीन गर्भनिरोधक दवाओं का न करें उपयोग
बहुत बार लड़कियां इमरजेंसी कांट्रसेप्टिव का प्रयोग करती हैं। ये दवाएं उन्हें नुकसान पहुंचाती हैं।
यौन संचारित बीमारियों से बचें
गर्भनिरोधकों का प्रयोग न करने से यौन संचारित बीमारियां (Sexual transmitted diseases) बढ़ती हैं। इसमें जननांगों में खुजल, वजाइनल डिस्टार्ज, वॉटरी डिस्चार्ज, अब्डोमेनल पेन जैसी परेशानियां महिलाओं को होती हैं। तो वहीं पुरुषों को भी यूरीन संबंधी रोग होते हैं।
सेक्स एक जरूरत है। इसे मिथकों में बांधकर अपने जीवन को कष्टकारी न बनाएं बल्कि इसके बारे में सही जानकारी लोगों तक पहुंचाएं।
Read more on Women Health in Hindi
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।