तो अब चलते-फिरते हॉस्पिटल में तब्दील होंगे एंबुलेंस!

सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय 1 अप्रैल 2018 से नया एंबुलेंस कोड लागू करने जा रहा है। इस बिल के लागू होने के बाद देश में कहीं भी जुगाड़ एंबुलेंस नहीं चलेंगे।
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तो अब चलते-फिरते हॉस्पिटल में तब्दील होंगे एंबुलेंस!

लोगों के बहुमूल्य जीवन की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने देशभर में एंबुलेंस की सूरत बदलने का एक अच्छा  कदम बढ़ाया है। सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय 1 अप्रैल 2018 से नया एंबुलेंस कोड लागू करने जा रहा है। इस बिल के लागू होने के बाद देश में कहीं भी जुगाड़ एंबुलेंस नहीं चलेंगे। बल्कि एंबुलेंस के निर्धारित मानक के अनुसार वाहनों की कैटगरी होगी, जिसमें मरीजों से संबंधित सारी सुविधाएं मौजूद रहेंगी। इससे आपात स्थिति में मरीज का छोटा ऑपरेशन भी एंबुलेंस में ही किया जा सकेगा। दरअसल, अस्पतालों में मनमाने तरीके से चलाए जा रहे एंबुलेंस की वजह से अक्सार मरीजों की मौत हो जाती है। सरकार ने पाया है कि ऐसा एंबुलेंस में सुविधाओं के अभाव और इसमें प्रयोग किए जाने वाहनों की बेकार स्थिति की वजह से है। इससे एंबुलेंस समय पर मरीजों को अस्पंताल नही पहुंचा पाते हैं, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है।

एंबूलेंस

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पिछले सप्ता,ह सड़क एंबुलेंस कोड संबंधी अधिसूचना जारी की है। इसमें सभी पक्षों से सुझाव भी मांगा गया है। जानकारी के मुताबिक नया कोड लागू होने के बाद एंबुलेंस की लंबाई-चौड़ाई एक समान होगी। मारुति वैन, जीप या ट्रक की चेसिस पर बने एंबुलेंस का इस्तेमाल करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा जो एंबुलेंस ज्याइदा बड़े हैं और उनमें चिकित्सा  सुविधाएं कम हैं उनमें भी बदलाव किया जाएगा।
इस बिल की सबसे बड़ी बात यह होगी कि डेंटल, हृदय रोगी और हादसों में घायल मरीजों के लिए अलग-अलग एंबुलेंस कोड होंगे। ये एंबुलेंस नई तकनीक के साथ चिकित्सां सुविधाओं से लैस होंगे। इसमें मरीजों या हादसे में घायलों को उठाने के लिए ऑटोमैटिक लिफ्ट होगी। इसमें चिकित्सा उपकरण, जीवन रक्षक दवाओं की पूरी सूची होगी। सामान्य एबुलेंस में फर्स्ट ऐड बॉक्स और पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद रहेंगे। सभी एंबुलेंस राज्यों के एमरजेंसी नंबरों से भी जुड़ी होंगी, जिससे किसी आपात स्थिति में सूचना दी जा सके।

Image Source : Getty

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