
अक्सर शादी को लेकर लोगों के मन में कई तरह के ख्वाब बुनते हैं, जिसमें से एक घोड़ी या बग्गी पर बैठने का भी होता है। कई लोग एक घोड़ी पर तो कई बग्गी पर बैठना पसंद करते हैं। इसके साथ ही कई बारात में घोड़ों को नचाया भी जाता है, जो एक अलग आकर्षण का केंद्र होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी में प्रयोग की जाने वाली कुछ घोड़ियां ऐसी बीमारी से ग्रस्त होती है, जो आप के लिए भी काफी घातक साबित हो सकती हैं।
ग्लैंडर्स है बीमारी का नाम
जी हां, शादी में प्रयोग होने वाली कुछ घोड़ियां संक्रामक रोग का शिकार हैं, जिसका नाम ग्लैंडर्स है। ग्लैंडर्स एक संक्रामक और जानलेवा बीमारी है जो जानवरों के जरिए इंसानों में भी फैलती है। ग्लैंडर्स अश्व प्रजाति (घोड़े, खच्चर और गधे) में होती है। बरखोडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से होने वाली इस बीमारी में पहले पशु को तेज बुखार आता है।
राष्ट्रीय राजधानी में इस बीमारी का पहला मामला दिसंबर 2017 में सामने आया था। बाफना कॉलोनी काजीकैंप निवासी रहमान के घोड़े में ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद नौ और घोड़ों में यह रोग पाया गया था। घोड़े के ग्लैंडर्स की चपेट में आने पर उसे मार देना ही बेहतर होता है। हालांकि इस बीमारी का पता पहले ही लग जाए तो कुछ सावधानियां बरतकर घोड़े को इससे बचाया जा सकता है। यह एक प्रकार की संक्रामक बीमारी है और इसकी प्रभावशीलता कुछ दिन से लेकर महीनों तक होती है। अगर पशुपालक को अपने घोड़े में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे अपने जानवर को तुरंत पास के पशु चिकित्सालय में इसकी जानकारी देनी चाहिए और खून की जांच करवानी चाहिए।
कैसे होती है ग्लैंडर्स की बीमारी
ग्लैंडर्स बीमारी में सबसे पहले इसके बैक्टीरिया, कोशिकाओं में प्रवेश कर जाते हैं। इलाज के बावजूद यह पूरी तरह से समाप्त नहीं होते। जिसके कारण दूसरे जानवर और इंसान भी इससे संक्रमित हो जाते हैं और इसकी चपेट में आ जाते हैं। यह बीमारी ऑक्सीजन के जरिए एक से दूसरे जानवर या इंसान में फैलती है। इस बीमारी के कारण घोड़े के शरीर में गांठे पड़ जाती हैं और गांठों में संक्रमण के कारण वह उठ नहीं पाता और थोड़े समय में उसकी मौत हो जाती है।
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ग्लैंडर्स के लक्षण
- इस बीमारी में घोड़ों के शरीर पर जख्म हो जाते हैं और नाक से झाग निकलता है।
- घोड़े के शरीर में चकते हो जाना।
- इस बीमारी के होने पर घोड़े को बुख़ार आता रहता है।
- घोड़ा खाना-पीना भी छोड़ देता है।
- घोड़े के शरीर में गांठे पड़ जाती हैं।
- असहनीय दर्द होना।
- श्वासनली में छाले होना।
- फेफड़े में इन्फेक्शन हो जाना।
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ग्लैंडर्स से बचाव के तरीके
- पशु को समय पर ताजा चारा-पानी दें।
- बासी खाना न खिलाएं।
- ज्यादा देर तक कीचड़ में न रहने दें।
- सफाई का ध्यान रखें।
- गर्मी में नहलाना, दवाओं का छिड़काव जरूर करें।
- दूसरे पशुओं को बीमार पशु के नजदीक न जाने दें।
- इस बीमारी से जिस पशु की मृत्यु हुई हो उसे गड्ढे में दबा देना चाहिए या जला देना चाहिए।
इंसानों में ऐसे फैलती है यह बीमारी
मनुष्यों में यह बीमारी घोड़ों से आसानी से आ जाती है। वे लोग, जो घोड़ों की देखभाल या उनका ईलाज करते हैं, उन्हें खाल, नाक, मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण हो सकता है।
मनुष्यों में इस बीमारी के लक्षण
- मनुष्यों में इस बीमारी से मांस पेशियों में दर्द।
- छाती में दर्द।
- मांसपेशियों की अकड़न।
- सिरदर्द और नाक से पानी निकलने लगता है।
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