पुरुषों के मुकाबले लंबे समय तक जीवित रहती हैं पेट के कैंसर से ग्रस्त महिलाएं, जानें क्यों

ब्रिटेन स्थित रॉयल मार्सडेन हॉस्पिटल द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक वे महिलाएं, जो पेट के कैंसर से ग्रस्त होती हैं पुरुषों के मुकाबले समान स्वास्थ्य हालात में लंबे समय तक जीवित रहती हैं लेकिन इलाज के दौरान उन्हें मतली, उल्टी और दस्त का अधिक अन

Jitendra Gupta
Written by: Jitendra GuptaUpdated at: May 30, 2019 09:38 IST
 पुरुषों के मुकाबले लंबे समय तक जीवित रहती हैं पेट के कैंसर से ग्रस्त महिलाएं, जानें क्यों

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वे महिलाएं, जो पेट के कैंसर से ग्रस्त होती हैं पुरुषों के मुकाबले समान स्वास्थ्य हालात में लंबे समय तक जीवित रहती हैं। ब्रिटेन स्थित रॉयल मार्सडेन हॉस्पिटल द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक  शोधकर्ताओं ने पाया कि ग्रासनली और पेट का कैंसर से पीड़ित  महिलाएं पुरुष मरीजों की तुलना में लंबे समय तक जीवित रहती हैं लेकिन इलाज के दौरान उन्हें मतली, उल्टी और दस्त का अधिक अनुभव करना पड़ता है।

हाल ही में ब्रिटेन द्वारा किए गए इस अध्ययन के निष्कर्ष संभावित रूप से रोगियों को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही अध्ययन के निष्कर्ष यह भी बताता हैं कि विशिष्ट दुष्प्रभावों के खिलाफ कौन ज्यादा खतरे में है।

अध्ययन के मुख्य लेखक अवानी अथौडा का कहना है कि हम  ग्रासनली और पेट के कैंसर के उपचार में एक मानक उपचार दृष्टिकोण का प्रयोग करते हैं। इस शोध से पता चलता है कि पुरुष और महिला रोगियों के बीच न केवल कीमोथेरेपी पर प्रतिक्रिया में बल्कि उनके कैंसर के इलाज के बाद वे कितने समय तक जीवित रहते हैं, इसमें एक बड़ा अंतर सामने आया है।

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उन्होंने कहा,''महिला रोगियों के लिए कीमोथैरेपी की सलाह देते हुए उन्हें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल दुष्प्रभावों के बारे में अतिरिक्त जागरूकता और परामर्श मुहैया कराने की अत्यधिक जरूरत है।''

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए ब्रिटेन में प्रारंभिक रूप से की गई जांच के पिछले चार प्रकाशित अध्ययनों से लिए गए डेटा का विश्लेषण किया। इन परीक्षणों में मरीजों से ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी लेने को कहा गया था।

तीन हजार से ज्यादा मरीजों (2,668 पुरुष और 597 महिलाएं) के विश्लेषण में शोधकर्ताओं ने पाया कि महिला मरीजों को पुरुषों के मुकाबले मतली का दोगुना (पांच के मुकाबले 10 फीसदी), उल्टी का ढाई गुना (चार के मुकाबले 10 फीसदी) और दस्त का दो गुना (चार के मुकाबले नौ फीसदी) अनुभव करना पड़ा। 

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अध्ययन के मुताबिक, महिला मरीज कैंसर का इलाज कराने के बाद भी पुरुषों के मुकाबले अधिक समय तक जीवित रहती हैं।

लंदन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डेविड कनिंघम ने कहा, ''एक व्यापक डेटा सेट पर आधारित यह एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष है और यह दो प्रकार के कैंसर के बारे में हमारी समझ को आगे ले जाता है जो अकेले ब्रिटेन में हर साल लगभग 16,000 लोगों को प्रभावित करते हैं।''

यह अध्ययन शिकागो में होने वाली अमेरिकन सोसायटी ऑफ क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी (ASCO) की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया जाना है।

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