एलोपेथिक दवाओं से पहले भारत में शरीर के रोगों को ठीक करने के लिए प्रकृति का ही सहारा लिया जाता था। तो वहीं, त्वचा संबंधी रोगों के निपटान के लिए तो आज भी दवाओं से ज्यादा फूलों का सहारा लिया जाता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलोजी इंफोर्मेशन (NCBI) में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, भारत में 80 फीसद से ज्यादा लोग स्किन प्रॉब्लम्स से निपटारा पाने के लिए हर्बल तरीकों का प्रयोग करते हैं। एलोपैथी के मुकाबले में इन पारंपरिकों के प्रयोग के साइड इफैक्ट कम होते हैं और कीमत में सस्ते होते हैं। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, हर्बल सक्रिय इंग्रीडिएंट्स से भरपूर होते हैं और त्वचा संबंधी परेशानियां जैसे रैशिज और डैंड्रफ तक में सहायक होते हैं। उपचार के लिए काम आने वाले फूलों के पौधों की कटाई पर भी प्रतिबंध है। यह केवल नियम के तहत ही प्रयोग में लाए जा सकते हैं।
1. लटजीरा (Prickly chaff flower)
लटजीरा एक ऐसा फूल होता है जिसमें जीरे के समान बीज लटकते रहते हैं। इस वजह से इसे लटजीरा कहा जाता है। यह अक्सर कपड़ों से रगड़ खाने पर उनसे चिपक जाते हैं। एनसीबीआई के मतुाबिक लटजीरा का प्रयोग फोड़े, खुजली और एरप्शन्स जैसी त्वचा संबंधी परेशानियों में काम आते हैं। इस पौधे की पत्तियां भी त्वचा संबंधी रोगों में बहुत काम आती हैं। इसका प्रभाव भी बहुत अच्छा दिखाई देता है।
2. गेंदा का फूल (Marigold)
गेंदे का फूल का प्रयोग कई वर्षों से कई तरह की बीमारियों से निजात दिलाने के लिए किया जा रहा है। इस फूल में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। गेंदा के फूल का प्रयोग, जलने पर और इंफ्लामेटरी डिजीज में किया जाता है। गेंदा का फूल त्वचा के कोलेजन में सुधार करता है। एनसीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, गेंदा के फूल का एक्सट्रैक्ट (marigold extract) घाव को सुखाने में भी काम आता है। जिन क्रीम्स में गेंदे के फूल का प्रयोग किया जाता है उनसे मालूम हुआ कि वे डर्मेटाइटिस में मददगार हैं।
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3. बैंगनी शंकुधारी फूल (Purple cone flower)
बैंगनी रंग के दिखने वाले ये फूल आकार में एक शंकु के समान होते हैं। यह फूल घाव, जलन, फोड़े, छाले, सोरायसिस जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं में काम आते हैं। इसे चाय, जूस और गोली के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है। एनसीबीआई के मुताबिक यह फूल मस्सा की समस्या को कम करने में भी सहायक हैं। यह त्वचा के साइोकाइन लेवल को भी सामान्य करता है। यह फूल जीवाणु प्रेरित सूजन को कम करता है।
4. चार बजे उगने वाले फूल (Four o’clock flower)
जैसाकि नाम से ही मालूम होता है कि यह फूल चार बजे उगता है। इसलिए इसे फोर ओ क्लोक फ्लावर कहा जाता है। इस फूल का प्रयोग पारंपरिक रूप से स्किन डिसऑर्डर्स और अस्थमा में सहायक है। इन फूलों का प्रयोग त्वचा संबंधी कई बीमारियों में किया जाता है। पारंपरिक रूप से इनका प्रयोग त्वचा रोगों में किया जा रहा है।
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5. गुड़हल का फूल
गुड़हल के फूल लाल, गुलाबी, सफेद, संतरे के रंग के होते हैं। गुड़हल के फूल केवल त्वचा रोगों में ही सहायक नहीं हैं, बल्कि ब्लड प्रेशर कम करने, डायरिया, बवासीर, लगातार खून बहना और बालों के झड़ने की समस्या को कम करते हैं। यह कब्ज में भी सहायक होते हैं।
6. गुलाब का फूल
गुलाबा का फूल कई बीमारियों की रामबाण दवा है। स्किन प्रॉब्लम्स जैसे एक्ने आदि में गुलाब सहायक है। गुलाब के फूल की चाय और इसका पेस्ट त्वचा संबंधी रोगों में सहायक है। तो वहीं, रोजवॉटर का प्रयोग आंखों के लिए भी मददगार है।
फूल भारतीय सभ्यता में वर्षों से प्रयोग में लाए जा रहे हैं। यह त्वचा संबंधी समस्याओं को कम करने में बहुत मददगार हैं।