
Symptoms of Dyslexia : फिल्ममेकर शेखर गुप्ता ने सोशल मीडिया पर अपनी बचपन की बीमारी का खुलासा किया है। शेखर गुप्ता का कहना है कि वह पूरी तरह से गंभीर डिस्लेक्सिया के मरीज हैं और उन्हें एटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर है। फिल्ममेकर ने ट्वीट किया, "जीवन का सबक : मैं पूरी तरह से डिस्लेक्सिक हूं और ज्यादा से ज्यादा कलाकारों, कवियों, संगीतकारों को ढूंढ रहा हूं जो डिस्लेक्सिया से पीड़ित है। क्या आप? AI की मदद से मैंने विजुअल मैथमेटिक्स के लिए प्यार विकसित किया है, लेकिन स्कूलों ने मैथ्स के लिए एक नफरत विकसित की है ... बेशक! डिस्लेक्सिया के साथ संख्याओं का कोई मतलब नहीं था।"
Lessons of Life : I compensated for my dyslexia by imagining everything visually. Or as rhythm and tonality. Explains my love for the visual arts and music. I even remember telephone numbers as musical rhythms. How did someone like me ever become a Chartered Accountant? #dyslexia
— Shekhar Kapur (@shekharkapur) May 10, 2023
शेखर कपूर द्वारा डिस्लेक्सिया से पीड़ित होने का खुलासा होने के बाद उनका एक पुराना ट्वीट भी वायरल हो रहा है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि मैं पूरी से डिस्लेक्सिक हूं और तेजी से एडीडी से भी प्रभावित हो रहा है। फिल्म इंडस्ट्री के इतने मशहूर चेहरे द्वारा डिस्लेक्सिया जैसी बीमारी का खुलासा होने के बाद, लोग सर्च इंजन गूगल पर इसके बारे में सर्च कर रहे हैं। डिस्लेक्सिया क्या है और इसके लक्षण क्या हैं इसके बारे में विस्तृत जानकारी के लिए हमने गुड़गांव स्थित सीके बिड़ला अस्पताल के नियोनेटोलॉजी एंड पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के लीड कंसल्टेंट डॉ. सौरभ खन्ना से बातचीत की।
डिस्लेक्सिया क्या है? - What is Dyslexia in Hindi
डॉ. सौरभ खन्ना ने बताया कि डिस्लेक्सिया सीखने और पढ़ने से संबंधित एक बीमारी है। इसमें बच्चा अक्षर और अक्षरों के समूहों को सही तरीके से समझ नहीं पाता है और न ही उसे बोल पाता है। डॉक्टर के मुताबिक, डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों को पढ़ने और लिखने में परेशानी होती है। डिस्लेक्सिया दिमाग के उस हिस्से में अंतर होने से होता है जहां भाषा को डिकोड किया जाता है। हालांकि इससे बच्चे की बौद्धिक क्षमता पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ता है और न ही बच्चे को सुनने, देखने और बोलने में किसी तरह की परेशानी होती है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि बचपन में अगर इस बीमारी के लक्षणों की पहचान कर ली जाए, तो डॉक्टरों और विशेषज्ञों की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है। हालांकि 10 में 9 मामलों में पेरेंट्स बच्चों की इस बीमारी को छोटी उम्र में पहचान नहीं पाते हैं।
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डिस्लेक्सिया के लक्षण क्या हैं? - Symptoms of Dyslexia in Hindi
डॉ. सौरभ खन्ना का कहना है कि स्कूल जाने से पहले बच्चों में डिस्लेक्सिया के लक्षण पहचान करना मुश्किल हो सकता है। जब बच्चा स्कूल जाकर बेसिक शिक्षा लेने लगता है, तब उसमें डिस्लेक्सिया के लक्षणों की पहचान की जा सकती है। एक्सपर्ट का कहना है कि इस बीमारी से पीड़ित बच्चे में बाकी बच्चों से शब्दों को पढ़ने और सीखने की क्षमता कम होती है। डिस्लेक्सिया के कुछ लक्षण नीचे दिए गए हैं:
- उम्र के हिसाब से अपेक्षित स्तर से कम पढ़ पाना।
- जल्दबाजी में दिए गए निर्देशों को समझने में कठिनाई महसूस होना।
- अक्षरों और शब्दों में अंतर को देखने में परेशानी होना।
- एक अपरिचित शब्द का उच्चारण करने में असमर्थता।
- नर्सरी की कविताओं को लिखने में कठिनाई महसूस होना।
- याद रखने में किसी तरह की परेशानी होना। मैथ्स के सवाल और नंबर को समझने में दिक्कत होना।
- सही शब्द को खोजने और सवालों का जवाब देने में परेशानी।
कब लेकर जाएं बच्चों को डॉक्टर के पास?
डॉक्टर का कहना है कि 1 से 3 साल तक की उम्र के बच्चों में डिस्लेक्सिया के लक्षणों की पहचान करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन इसके बाद इस बीमारी को पहचाना जा सकता है। 3 साल की उम्र के बाद अगर आपको बच्चे में ऊपर दिए गए लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर या नजदीकी अस्पताल में संपर्क करना चाहिए।
डिस्लेक्सिया के कारण - Dyslexia Causes in Hindi
डिस्लेक्सिया होने का मुख्य कारण क्या है इस पर अभी ज्यादा रिसर्च मौजूद नहीं है। डॉक्टर का कहना है कि कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि डिस्लेक्सिया के मुख्य 2 कारण हो सकते हैं।
- अनुवांशिक कारण - कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि डिस्लेक्सिया "डीसीडीसी 2" नामक एक जीन में कमी की वजह से हो सकती है। इसमें बच्चों को पढ़ने और सीखने में समस्याएं आती हैं।
- अन्य कारण- इसके अलावा दिमाग में चोट, बचपन में आए स्ट्रोक के कारण भी डिस्लेक्सिया नाम की बीमारी हो सकती है।
डिस्लेक्सिया से बचाव के क्या उपाय हैं? How is Dyslexia Treated?
डॉक्टर का कहना है कि किसी बच्चे में डिस्लेक्सिया अगर अनुवांशिक है, तो इसका इलाज संभव नहीं है। हालांकि स्पेशल एजुकेटर की मदद से बच्चों को शब्द सिखाने, अक्षरों को पहचानने की ट्रेनिंग दी जा सकती है। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर किसी बच्चे में डिस्लेक्सिया के लक्षण नजर आते हैं, तो उसे भावनात्मक सपोर्ट की जरूरत होती है। इसलिए शुरुआती से माता-पिता उसके साथ सख्ती से नहीं बल्कि प्यार से पेश आने की कोशिश करनी चाहिए। माता-पिता को यह बात समझनी चाहिए कि वह जानबूझकर कुछ नहीं कर रहा है, बल्कि उससे वह चीज बस यूं ही हो जा रही है।
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With Inputs: Dr. Saurabh Khanna, Lead Consultant, Neonatology and Pediatrics, C K Birla Hospital, Gurgaon