हमारे शरीर के विकास और दिनभर काम करने के लिए हमारे शरीर को कई तरह के विटामिन्स और प्रोटीन्स की जरूरत पड़ती है। प्रोटीन हमारे लिए बेहद जरूरी होता है। यह कोशिकाओं के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। इसके बिना मानव शरीर की संरचना ही संभव नहीं है। खास तौर से हमारी मांसपेशियां दो तरह के प्रोटींस से बनी होती हैं, जिन्हें एक्टिन और मायोसिन कहा जाता है। मांसपेशियां हड्डियों से जुडकर शरीर के सभी अंगों के संचालन और हार्ट को पंप करने में भी सहायक होती हैं। इसके अलावा अन्य मांसपेशियां आंतों तक भोजन पहुंचाने का काम करती हैं।
क्यों जरूरी है प्रोटीन
आपके शरीर का निर्माण, मरम्मत और उसे बनाये रखने के लिए भी प्रोटीन की ज़रुरत पड़ती रहती है। शरीर में हीमोग्लोबिन के निर्माण में भी प्रोटीन सहायता करता है। मनुष्य के हार्मोन और रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यूनिटी पावर को क्रियाशील रहने के लिए भी प्रोटीन की ज़रुरत पड़ती है। शरीर के टिश्यु की हानि से बचने के लिए मनुष्य के वज़न के हर 9 किलो को 8 ग्राम प्रोटीन की ज़रुरत होती है, और अगर आप व्यायाम करते हैं तो हर 9 किलो को 10 से 12 ग्राम प्रोटीन की ज़रुरत पड़ती है।
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ज्यादा प्रोटीन भी नुकसानदेह
हालांकि प्रोटीन शरीर के लिए बेहद जरूरी तत्व है फिर भी इसका ज्यादा सेवन भी शरीर के लिए अच्छा नहीं है। सर्दियों के मौसम में पाचन तंत्र ठीक रहता है इसलिए आप प्रोटीन की अधिक मात्रा ले सकते हैं। गर्मी के मौसम में प्रोटीन की मात्रा कम लेनी चाहिए क्योंकि प्रोटीन में कार्बोज-कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। कार्बोज और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा से शरीर को गर्मी मिलती है जिससे समस्या हो सकती है। इसके अलावा बरसात के मौसम में भी प्रोटीन का प्रयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए।
शरीर में प्रोटीन की कमी के लक्षण
- प्रोटीन की कमी से नाखून कमज़ोर हो जाते हैं और वे टूटने लगते हैं। कई बार नाखूनों पर रेखाएं बनने लगती हैं।
- शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है और थकावट और कमज़ोरी महसूस होने लगती है।
- शरीर में कोई घाव होने पर ये जल्दी भरता नहीं है।
- बाल रूखे, बेजान और कमज़ोर होकर टूटने और झड़ने लगते हैं।
- प्रोटीन की कमी से मसूड़ों में सूजन और रक्त की समस्या आ जाती है।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है इसलिए इंफकेक्शन और एलर्जी जल्दी-जल्दी होता है।
- नाक, आंख और मुंह से पानी गिरना शुरू हो सकता है।
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- शरीर का वजन बिना प्रयास के कम होने लगता है।
- हड्डियां कमजोर हो जाती हैं इसलिए ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो जाती है।
- व्यायाम न कर पाना। जल्दी थकावट हो जाना और व्यायाम से उत्पन्न होने वाली गर्मी को सहन न कर पाना।
- त्वचा पर इंफेक्शन जैसे चकत्ते और सूजन हो सकती है।
- मांशपेशियों में दर्द महसूस होने लगता है क्योंकि मांशपेशियां कमज़ोर होकर सिकुड़ने लगती हैं।
- शरीर की पाचन क्षमता पर भी असर पड़ता है और पाचन क्रिया खराब हो जाती है।
- खून में व्हाइट ब्लड सेल्स यानि डब्लू बी सी की कमी हो सकती है क्योंकि प्रोटीन रक्त निर्माण खास तौर पर सफ़ेद रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है।
- तनाव की समस्या हो जाती है। स्वाभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है।
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