
लोग फेल्टी सिंड्रोम के बारे में बेहद कम जानते हैं। यह समस्या तब पैदा होती है जब लोग काफी लंबे समय से जोड़ों के दर्द या सूजन से परेशान होते हैं। इस समस्या के कारण व्यक्ति के शरीर में इनलार्ज्ड स्प्लेन (enlarged spleen) की समस्या भी बढ़ जाती है और शरीर में व्हाइट रक्त कोशिकाओं की कमी होने लगती ।है यह स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है। आमतौर पर यह समस्या रूमेटाइड अर्थराइटिस से ग्रस्त रोगियों में पाई जाती है। वहीं इसके शिकार पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं ज्यादा होती हैं। आज का हमारा लेख इसी बीमारी पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि फेल्टी सिंड्रोम क्या है। साथ ही इसके लक्षण, कारण और बचाव भी जानेंगे...
फेल्टी सिंड्रोम के कारण (causes of felty syndrome)
बता दें कि अब तक इस समस्या का स्पष्ट कारण पता नहीं चल पाया है। लेकिन इस समस्या पर हुए कुछ शोधों से पता चला है कि जब शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स अपना काम सुचारू रूप से नहीं करते हैं तब हड्डियों के बीच में एक नरम ऊतक मौजूद होता है जो सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण करना शुरू कर देता है। वहीं दूसरा कारण यह भी मानते हैं कि जब इम्यूनिटी सिस्टम व्हाइट ब्लड सेल्स को ही खत्म करना शुरू कर देता है तब भी इस प्रकार की समस्या पैदा हो जाती है।
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फेल्टी सिंड्रोम के लक्षण (symptoms of felty syndrome)
यह समस्या होने पर निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं
1 - व्यक्ति को बुखार आ जाना
2 - हर वक्त थकान महसूस करना
3 - व्यक्ति को भूख कम लगना
4 - वजन का घटते जाना
5 - त्वचा का पीला पड़ना
6 - बार-बार संक्रमण की चपेट में आना
7 - घाव ना भरना या भूरे रंग के घाव हो जाना
8 - आंखों में जलन पैदा हो जाना
9 - आंखों से पानी आना
10 - हाथ पैरों में अकड़न महसूस करना
11 - बाहों में सूजन या दर्द महसूस करना
फेल्टी सिंड्रोम का इलाज (treatment of felty syndrome)
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि अभी तक इसका स्पष्ट कारण पता नहीं चल पाया है। ऐसे में इलाज डॉक्टर पहले मौखिक तरीके से इसका इलाज करते हैं। डॉक्टर रोग के लक्षणों को कम करने के लिए कुछ दवाइयों का सेवन करने की सलाह देते हैं। वही शारीरिक गतिविधियों और सूजन को कम करने के लिए सूजनरोधी गोलिया प्रोवाइड करते हैं। इसके अलावा अगर समस्या गंभीर हो जाती है तो डॉक्टर इनलार्ज्ड स्प्लेन (enlarged spleen) को बाहर निकालने के लिए सर्जरी की सलाह भी देते हैं। सर्जरी की मदद से डॉक्टर लाल और सफेद ब्लड सेल्स को सामान्य स्तर पर लाने की कोशिश करते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा टल जाए।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदु से पता चलता है कि यह समस्या उन लोगों को होती है जो रूमेटाइड अर्थराइटिस से ग्रस्त होते हैं। ऐसे में अगर आप इस समस्या से पीड़ित है तो समय-समय पर अपनी जांच करवाते रहें। अगर ऊपर बताए गए लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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