रीता को फास्ट फुड खाना बहुत पसंद था। लेकिन धीरे-धीरे वो काफी मोटे होते गई और एक दिन जब उसकी सांस बहुत अधिक फूलने लगी तो उसके पति ने डॉक्टर के पास ले जाकर उसका चेकअप कराया। रिपोर्ट में पता चला कि रीता को मधुमेह है। अब रीता फास्ट फुड क्या सामान्य फुड बी नहीं खा सकती।
ये तो खैर रीता की कहानी थी जो फास्टफुड खाने में अति कर गई। लेकिन क्या आपको मालुम है कि फास्टफुड की थोड़ी सी भी मात्रा दिमाग को बहुत अधिक प्रभावित कर देती है। ये हम नहीं, ये रिपोर्ट कह रही है। अगर आप फास्ट फूड के दिवाने हैं तो ये आपके लिए बुरी खबर हो सकती है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है कि अत्यधिक वसायुक्त भोजन आपके मस्तिष्क पर भी असर डालती है।
इसके कारण व्यक्ति का व्यवहार बदल जाता है। यह बदलाव घबराहट, स्मृतिलोप और बर्ताव में दोहराव के रूप में हो सकता है।
शोध पत्रिका 'बायोलॉजिकल साइकियाट्री' में प्रकाशित शोध-पत्र के अनुसार, जो लोग मोटे न हों उन्हें भी उच्च वसायुक्त आहार से बचना चाहिए।
इसके शोधकर्ताओं की मानें तो, उच्च वसायुक्त भोजन के कारण पेट में पाए जाने वाले जीवाणुओं में परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य एवं बर्ताव में इस तरह का परिवर्तन पैदा होता है।
बॉयोलॉजिकल साइकियाट्री के संपादक जॉन क्रिस्टल का कहना है, इस शोध पत्र के अनुसार उच्च वसायुक्त आहार के कारण मनुष्यों एवं सूक्ष्मजीवों के बीच सहजीवी संबंध के बाधित होने के कारण हमारे मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
मानव शरीर में अरबों की संख्या में सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं, जिनकी काफी बड़ी संख्या हमारी आंतों में भी पाई जाती है।
अमरीका के लूसियाना स्टेट विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने इस बात की जांच की कि क्या मोटापा से जुड़े सूक्ष्मजीवी बर्ताव में भी परिवर्तन लाते हैं और यह मोटापा न होने की सूरत में भी क्या संभव है। यह प्रयोग चूहे पर किया गया।
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