देश में कोरोनावायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर तरफ चारों ओर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है। महाराष्ट्र, दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में हजारों की संख्या में लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। साथ ही दिन-ब-दिन मरने वालों की संख्या भी काफी ज्यादा बढ़ रही है। कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच कोरोना को लेकर कई गलत अफवाहें मीडिया में फैलाई जा रही हैं। इन्ही में से एक है CSIR की रिपोर्ट्स। कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) द्वारा एक रिपोर्ट पेश की गई है इसमें बताया गया है कि स्मोकर, वेजीटेरियन और "O" ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा बहुत ही कम होता है। मीडिया द्वारा फैलाई जा रही इस रिपोर्ट को कई लोग सच मान बैठे हैं। क्योंकि इसमें CSIR का नाम है। इस वजह से बहुत से लोगों की यह एक राय बन चुकी है कि वेजीटेरियन और स्मोकर्स को कोरोना नहीं होगा। लेकिन क्या इस बात में कितनी सच्चाई है। चलिए जानते हैं यहां-
मीडिया रिपोर्ट्स के क्या हैं दावे?
बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि "सीएसआईआर (CSIR) की करीब 40 संस्थानों द्वारा सीरो सर्वे (रक्त जांच में रोग प्रतिरोधक की जांच) किया गया है। इस सर्वे के मुताबिक, सिगरेट पीने वालों और वेज खाने वालों में सीरो पॉजिटिविटी काफी कम देखी गई है। इससे यह साबित होता है कि ऐसे लोगों में कोरोना से संक्रमित होने का खतरा काफी कम है। इतना ही नहीं इस सर्वे में यह भी बताया गया है कि ‘ओ’ ब्लड ग्रुप वाले भी कोरोना संक्रमण के प्रति काफी कम संवेदनशीलता दिखाते हैं। वहीं, 'B' और 'AB' ब्लड ग्रुप वाले लोगों में कोरोना होने का खतरा काफी ज्यादा है।"
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PIB फेक्ट चेक ने बताई क्या है इसकी सच्चाई
PIB की फैक्ट चेट विंग द्वारा इस खबर को लेकर फैक्ट चेक किया, जिसमें मीडिया में फैल रही इस खबर को फर्जी करार दिया गया है। PIB फैक्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स में किए गए इन दावों को फर्जी बताया है। साथ ही PIB फैक्ट चेक ने अपने पोस्ट में यह भी बताया कि वर्तमान समय में सीरोलॉजिकल स्टडी के आधार पर अभी तक कोई निष्करण नहीं निकाले गए हैं कि वेजीटेरियन और धूम्रपान करने वालों को कोरोना का खतरा कम है। अपने पोस्ट के जरिए PIB ने CSIR की रिपोर्ट भी डाली है। साथ ही इस पूरे दावे को फर्जी करार दिया है।
Media reports claim that @CSIR_IND survey reveals smokers & vegetarians are less vulnerable to #COVID19 #PIBFactCheck: Presently, NO conclusion can be drawn based on the serological studies that vegetarian diet & smoking may protect from #COVID19
Read: https://t.co/RI3ZQA7ac6 pic.twitter.com/gQRVDvACfl — PIB Fact Check (@PIBFactCheck) April 26, 2021
क्या कहता है CSIR
मीडिया द्वारा फैलाई जा रही इस रिपोर्ट्स पर सीएसआईआर ने स्पष्टीकरण जारी किया है। सीएसआईआर ने कहा कि "हमारे द्वारा कोई भी ऐसी रिपोर्ट पेश नहीं की गई है जिसमें यह बताया गया है कि धूम्रपान और शाकाहारी लोगों को कोरोना का खतरा कम है। 24 अप्रैल 2021 की तारीख को इस तरह का कोई प्रेस नोट रिलीज नहीं किया गया है।" इसके साथ ही सीएसआईआर ने यह बताया कि https://elifesciences.org/articles/66537 द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसमें यह बताया गया है कि फाइबरयुक्त आहार में एंटीइंफ्लेमेट्री गुण मौजूद होता है, जो आंत माइक्रोबायोटा में सुधार कर कोविड-19 संक्रमण के खतरे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा हाल ही में एक समीक्षा पेश की गई है, जिसमें यह बताया गया है कि ट्रास एलीमेंट, न्यूट्रास्यूटिकल्स और प्रोबायोटिक्स आहार कोविड-19 के खतरे को कम करने में अहम रोल निभा सकते हैं। लेकिन धूम्रपान से जुड़ी बातें इसमें नहीं कहीं गई हैं। कहीं और की गई हैं, जिसमें इसके पैरामीटर्स नहीं बताए गए हैं। इसलिए किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले उसकी विस्तृत जांच होनी जरूरी है। सीएसआईआर का कहना है कि हमारे द्वारा ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि शाकाहारी और धूम्रपान करने वालों को कोविड-19 का खतरा कम है।
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"o" ब्लड ग्रुप वालों की क्या है सच्चाई?
मीडिया द्वारा फैल रही इस अफवाहों में "O" ब्लड ग्रुप वालों को भी शामिल किया गया है। भले ही सीएसआईआर के स्पष्टीकरण में इस बात पर जोर नहीं दिया गया है कि लेकिन आपको बता दें कि कुछ समय पहले ऑस्ट्रेलिया में करीब 10 लाख लोगों के डीएनए को लेकर एक रिसर्च की गई थी, जिसमें वैज्ञानिकों ने देखा कि O+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में कोरोना वायरस का असर तुलनात्मक रूप से कम होता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इन्हें कोरोना नहीं होगा। इसके अलावा हार्वर्ड से भी एक ऐसी रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसमें यह बताया गया था कि O+ ब्लड ग्रुप वाले लोग कम कोरोना पॉजिटिव हुए हैं, लेकिन इनके सीवियरिटी और डेथ रेट में बाकियों की तुलना में कोई फर्क नहीं है। कई अन्य देशों में इसपर रिसर्च जारी है।
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क्या कहती हैं एक्सपर्ट?
मैक्स हॉस्पिटल की फिजीशियन डॉक्टर गुंजन का कहना है कि सिगरेट या किसी भी तरह का धूम्रपान करने से हमारे फेंफड़े खराब होते हैं। कोरोनावायरस भी सबसे पहले फेफड़ों पर अटैक करता है। ऐसे में यह कहना बिल्कुल गलत है कि सिगरेट पीने वालों को कोरोना का खतरा नहीं है। बल्कि, यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि अगर आपके फेफड़े कमजोर हैं, तो कोरोना आप पर जल्टी अटैक कर सकता है। इसलिए इस तरह के फेक बातों पर बिल्कुल विश्वास न करें कि सिगरेट पीने से आपको कोरोना नहीं होगा। इ\स समय हेल्दी वातावरण में रहना बहुत ही जरूरी है। धूएं से भरे माहौल में सांस लेने से श्वसन संबंधी परेशानियां भी बढ़ सकती हैं। इसलिए ऐसे वक्त में धूम्रपान से दूर रहना ही आपके लिए बेहतर है।
क्या कहना है WHO का?
WHO के Q&A में यह सवाल था कि क्या "सिगरेट पीने वालों को कोरोना का खतरा अधिक है?" इसपर उनका जबाव था कि कोरोना का रिस्क इस तरह के लोगों को अधिक हो सकता है। क्योंकि सिगरेट, हुक्का या फिर जिस भी पाइप के द्वारा हम सिगरेट पीते हैं। वह हमारे होंठों को टच करती है। बार-बार होंठों के आसपास छूने से कोरोना का खतरा बढ़ता है, क्योंकि हमारे हाथ और इस तरह के पाइप से संक्रमण के फैलने का खतरा ज्यादा है। वहीं, सिगरेट पीने से लंग्स डिजीज हो सकता है। इसलिए ऐसे लोगों में कोरोना का अटैक जल्दी हो सकता है।
कोरोनाकाल में बढ़ते मामलों के साथ-साथ कई तरह की अफवाहें भी काफी तेजी से फैल रही हैं। इसलिए इन अफवाहों में न फंसे। किसी भी बात का निष्कर्ष निकालने से पहले उसके तह तक जाने की कोशिश करें। मीडिया में फैल रही अफवाहों पर भरोसा न करें। अगर आप खुद को और अपने परिवार को कोरोना से सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो एक सरकार और WHO द्वारा जारी किए गए नियमों को फॉलो करें। यह उपाय ही आपके और आपके परिवार के लिए सबसे बेहतर हो सकते हैं। कोरोना के लक्षण दिखने पर तुरंत कोविड-19 टेस्ट कराएं और डॉक्टर की जरूरी सलाह लें।
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