
भारत में कोरोना वायरस (COVID-19 Pandemic India) के प्रकोप के बाद से, कई घरेलू उपचार और परीक्षण सोशल मीडिया पर वायरल हैं। हर कोई अपनी-अपनी थ्योरी लगा रहा है। हाल ही योग गुरू बाबा रामदेव का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह कोरोना वायरस परीक्षण (Coronavirus Test) की तकनीक बता रहे हैं। वो अलग-अलग चैनल के वीडियो में बता रहे हैं कि किस प्रकार से आप घर बैठे अपना कोरोना वायरस परीक्षण कर सकते हैं। इसके अलावा एक फेसबुक पोस्ट भी वायरल हो रहा है, जिसमें सांस रोककर कोरोना टेस्ट के दावे किए जा रहे हैं। इन वायरस पोस्ट की हमने पड़ताल की है, जो आप इस लेख में पढ़ेंगे।
कोरोना वायरस टेस्ट को लेकर क्या है दावे?
वीडियो में बाबा रामदेव का कह रहे हैं, "जिसको भी कोरोना का सामान्य प्रभाव होगा उसकी रेस्पिरेटरी कैपासिटी कम हो जाएगी, उसके फेफड़ों के फैलने व सिकुड़ने की झमता कम होगी। तो उसे सांस जल्दी-जल्दी लेने पड़ेंगे। यदि आप एक मिनट तक सांस रोक सकते हैं, तो इसका मतलब है कि आपको कोरोना नहीं है।"
वहीं एक "Relationship Essentials Radio" नाम के फेसबुक अकाउंट के पोस्ट में दावा किया गया है कि, "एक गहरी सांस लें और अपनी सांस को 10 सेकंड से अधिक समय तक रोककर रखें। यदि आप इसे बिना खांसी, बिना किसी परेशानी या जकड़न के सफलतापूर्वक पूरा करते हैं, तो यह साबित होता है कि फेफड़ों में फाइब्रोसिस नहीं है, यह मूल रूप से दर्शाता है कि कोई संक्रमण नहीं दर्शाता है। महत्वपूर्ण समय, स्वच्छ हवा वाले वातावरण में हर सुबह स्वयं की जांच करें।"
क्या है इन वायरल पोस्ट की सच्चाई?
कोरोना वायरस पर वायरल पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमने अपने विशेषज्ञ से बात की, जिस पर हमें कई बेहतरीन जवाब मिले। इसके कुछ जानकारों ने भी इस पर अपनी राय दी है। एस्कॉर्ट फोर्टिस हार्ट इंस्टीट्यूट के कॉर्डियोलॉजिस्ट व जनरल फिजिशियन डॉक्टर शैलेंद्र भदोरिया का कहना है कि, "सांस रोककर रखना ये फेफड़ों की क्षमता को दर्शाता है, इसका कोरोना वायरस से कोई संबंध नहीं हो सकता है क्यों कि कई मामले ऐसे हैं जिनमें कोरोना के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। ऐसे में सांस रोककर कोरोना का पता लगाने की तकनीक भ्रामक है।"
मैरीलैंड विश्वविद्यालय के चीफ क्वालिटी ऑफिसर और संक्रामक रोगों के प्रमुख फहीम युनुस (Faheem Younus, Chief Quality Officer and Chief of Infectious Diseases, University of Maryland UCH) ने वायरल पोस्ट का खंडन करते हुए कहा है कि, "कोरोना वायरस वाले अधिकांश युवा रोगी 10 सेकंड से अधिक समय तक ही अपनी सांस रोक पाएंगे। और वायरस के बिना कई बुजुर्ग ऐसा करने में सक्षम नहीं होंगे।"
इसके अलावा, गलत सूचनाओं का प्रतिकार करने वाले सरकार के ट्विटर हैंडल 'पीआईबी फैक्ट चेक' ने भी इसे गलत ठहराया है। इसे फेक न्यूज करार दिया है।
Claim: If you can hold your breath for 10 sec without discomfort, you don’t have #Coronavirus#PIBFactCheck : Most young patients with #Coronavirus will be able to hold their breaths for more the 10 sec and many elderly won't be able to do the same.
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) March 22, 2020
Conclusion: #FakeNews pic.twitter.com/GXCX2Rujwb
ऐसे में OnlyMyHealth के पाठकों से हमारी गुजारिश है कि आप लोग ऐसे भ्रामक दुष्प्रचारों के बहकावे में न आएं और अगर आपको इस प्रकार की खबर कहीं से मिलती है तो आप हमें इसकी सूचना दें, हम ऐसी सूचनाओं की सच्चाई जानने का पूरा प्रयास करेंगे।
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