कई बार ऐसा होता है कि आप थोड़े से काम में ही काफी ज्यादा थक जाते हैं और आपकी सांस फूलने लगती है। ये मियासथीनिया रोग के लक्षण हो सकते हैं। मियासथीनिया रोग के कारण मांसपेशियां बहुत जल्दी थक जाती हैं। क्रॉनिक कंडीशन में ये रोग जानलेवा भी हो सकता है। मियासथीनिया ग्रेविस एक न्यूरोमस्कुलर डिस्ऑर्डर है जो मांसपेशियों को कमजोर करता है। आइए आपको बताते हैं इस रोग के सामान्य लक्षण और कारण।
मियासथीनिया रोग का कारण
मियासथीनिया रोग किसी भी आयु की महिला या पुरुष को हो सकता है। हालांकि महिलाओं में इस रोग की आशंका पुरुषों से ज्यादा होती है। कभी-कभी बहुत ज्यादा ठंड या बहुत ज्यादा गर्मी भी मियासथीनिया रोग का कारण बन सकती है। पहले पीरियड्स के बाद आमतौर पर लड़कियों में ये रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके कारण वो हर समय थका हुआ और आलसपन महसूस करती हैं। कभी-कभी भारी उत्तेजना और तनाव के कारण भी मियासथीनिया रोग हो जाता है।
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क्यों होता है मियासथीनिया रोग
ब्लड में एसीटाइलकोलीनिरेसेप्टर नामक केमिकल तत्व की कमी के कारण यह रोग होता है। यह केमिकल तत्व शरीर की मांसपेशियों को एक्टिव और एनर्जी से भरपूर बनाये रखता है। इस तत्व की कमी के कारण मांसपेशियां ढीली और सुस्त हो जाती है, जिसके चलते हल्का चलने या काम करने पर भी बहुत ज्यादा थकान महसूस होती है।
क्या हैं मियासथीनिया रोग के लक्षण
मियासथिनिया रोग का सबसे सामान्य लक्षण कमजोरी और थकान है। इसका कारण यह है कि इस रोग के कारण मरीज की नर्व्स और मसल्स को एक दूसरे का संकेत समझने और उसके अनुसार काम करने में परेशानी आती है। इस रोग के अन्य लक्षण इस प्रकार हैं-
- प्रारंभिक अवस्था में मायस्थीनिया में बालों में कंघा करने में दिक्कत महसूस होना।
- बात करने में परेशानी होना।
- सीढ़ियां चढ़ने में जल्दी थक जाना।
- भारी सामान उठाने में थकान महसूस करना।
- चेहरे का सुन्न हो जाना या पैरालिसिस जैसा महसूस होना।
- सांस लेने में परेशानी होना।
- काम करते हुए हांफते रहना।
- ज्यादा थकान के कारण पलकें गिरने लगना।
- धुंधला दिखाई देना या दोहरा दिखाई देना।
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मियासथीनिया रोग का क्या है इलाज
अगर इलाज में लापरवाही बरती जाये तो खाना खाने में और सांस लेने में कठिनाई और बढ़ जाती है और एक स्थिति ऐसी आ जाती है कि मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है। इसलिए मियासथीनिया रोग के शुरुआती दिनों में ही इलाज की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए थकान महसूस होने पर चिकित्सक से तुरंत मिलना चाहिए।
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