बच्चों के लिए बेहद घातक है वायु प्रदूषण, बढ़ा रहा है सिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा

सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia)एक पुरानी और गंभीर मानसिक विकार है, जो किसा व्यक्ति की सोच और व्यवहार को प्रभावित करता है।  
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बच्चों के लिए बेहद घातक है वायु प्रदूषण, बढ़ा रहा है सिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारियों का खतरा

वायु प्रदूषण आज पूरी दुनिया के लिए एक व्यापक समस्या बन गई है। हाल ही में आए एक अध्यन इस और संकेत करता है कि कैसे वायु प्रदूषण के कुछ कारकों में से एक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2)से बच्चों को कितना नुकसान पहुंच रहा है। इस शोध में बताया गया है कि जिन बच्चों का बचपन प्रदूषण भरे वातावरण में बीतता है, उन्हें सिजोफ्रेनिया होने का जोखिम सबसे ज्यादा है। सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) एक पुरानी और गंभीर मानसिक विकार है, जो किसा व्यक्ति के सोचने की शक्ति, महसूस करने का तरीका और व्यवहार को प्रभावित करता है। सिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को ऐसा लग सकता है कि उन्होंने वास्तविकता से संपर्क खो दिया है। हालांकि सिज़ोफ्रेनिया अन्य मानसिक विकारों के रूप में आम नहीं है और इसके लक्षण बहुत ही अलग हैं। वहीं जामा (JAMA) नेटवर्क ओपन में सामने आए अध्ययन के निष्कर्षों की मानें तो भविष्य में ये बीमारी और विकराल रूप ले सकती है। 

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क्या कहता है अध्ययन?

इस अध्ययन की मानें, तो प्रत्येक 10 मिलीग्राम / एम 3 (प्रति घन मीटर वायु प्रदूषण की एकाग्रता) के लिए दैनिक औसत में वृद्धि होना, सिजोफ्रेनिया के खतरे को लगभग बीस प्रतिशत बढ़ता है। 25 मिलीग्राम / एम 3 से ऊपर के औसत दैनिक स्तर के संपर्क में आने वाले बच्चों में लगभग  इस बीमारी के संकेत पाए गए हैं। ऐसे बच्चे उन लोगों की तुलना में सिजोफ्रेनिया विकसित होने का साठ प्रतिशत अधिक जोखिम ये जूझते हैं, जो 10 मिलीग्राम / एम 3 से कम कम प्रदूषण वाले इलाके में रहते हैं। इस अध्ययन के पीछे वरिष्ठ शोधकर्ता हेनरीट थ्रेड्ड हॉर्सडाल का हांथ है और इसके परिणाम वैज्ञानिक पत्रिका जामा (JAMA) नेटवर्क ओपन में प्रकाशित किया है।

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वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों में पैदा होने है ज्यादा खतरनाक

इन आंकड़ों को परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए, सिजोफ्रेनिया के विकास के जीवनकाल का जोखिम लगभग दो प्रतिशत है, जो अपने जीवन के दौरान सिजोफ्रेनिया विकसित करने वाले सौ में से दो लोगों के बराबर है। वायु प्रदूषण के निम्नतम स्तर के संपर्क में आने वाले लोगों के लिए, आजीवन जोखिम केवल दो प्रतिशत से कम है, जबकि वायु प्रदूषण के उच्चतम स्तर के संपर्क में आने वालों के लिए आजीवन जोखिम लगभग तीन प्रतिशत है।ये डेटा दर्शाता है कि वायु प्रदूषण और सिजोफ्रेनिया के बीच संबंध को उन लोगों में उच्च आनुवंशिक दायित्व द्वारा नहीं समझाया जा सकता है, जो वायु प्रदूषण के उच्च स्तर वाले क्षेत्रों में बड़े होते हैं।

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अध्ययन में अध्ययनकर्ता हैनरीमनेट ने बताया है कि, सिजोफ्रेनिया के विकास के जोखिम के संबंध में आनुवंशिकी यानी कि व्यक्ति की जीन बड़े कारणों में से एक है। इस अध्ययन में कुल मिलाकर 23,355 लोग शामिल थे और इनमें से 3,531 ने सिज़ोफ्रेनिया पाया गया है। हालांकि परिणाम सिजोफ्रेनिया के बढ़ते जोखिम को प्रदर्शित करते हैं पर सबसे खतरनाक बात बच्चों पर हो रहा इसका व्यापक असर है। अध्ययन में बताया गया है कि बचपन से वायु प्रदूषण के उच्च स्थानों में रहना उन्हें गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकता है।

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