तमिलनाडू और आंध्र प्रदेश के बाद तेलंगाना अवसादग्रस्त विकारों (Depressive Disorders) का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। 27 साल के अपने विश्लेषण के बाद द लैंसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में ये अध्ययन प्रकाशित हुआ है। सभी तीन राज्यों द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि 10 हजार लोगों में 3,760 व्यक्ति अवसादग्रस्त पाए गए हैं।
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी 1990–2017 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 197.3 मिलियन लोग मानसिक विकारों से पीड़ित थे। जबकि तेलंगाना में अवसादग्रस्त विकारों के साथ 45.7 मिलियन लोगों में एंजाइटी डिसऑर्डर के मामले में तीसरा सबसे बड़ा राज्य है, और देश में एंजाइटी डिसऑर्डर के साथ 44·9 मिलियन लोग है।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित अध्ययन में कहा गया है, "दक्षिण भारत के राज्यों में अवसादग्रस्तता और एंजाइटी डिसऑर्डर का कारण अधुनिकीकरण और शहरीकरण के उच्च स्तर से संबंधित हो सकता है जो अभी तक अच्छी तरह से समझ में नहीं आए हैं,"
रिपोर्ट से पता चलता है कि 2017 में, भारत में हर सात लोगों में से एक को मानसिक विकार था, जो कम या गंभीर तक था। वयस्कता के दौरान मुख्य रूप से प्रकट होने वाले मानसिक विकारों की व्यापकता आमतौर पर कम विकसित उत्तरी राज्यों की तुलना में अधिक विकसित दक्षिणी राज्यों में ज्यादा थी। अध्ययन में कहा गया है कि, जो विकसित उत्तरी राज्य हैं वहां बच्चों और किशोरों में मानसिक विकारों का प्रसार अधिक है।
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रिपोर्ट में कहा गया है "यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वृद्ध वयस्कों में अवसाद के उच्च प्रसार का पर्याप्त प्रभाव है क्योंकि भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है।" ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) 2017 में सिर्फ ईटिंग डिसऑर्डर मानसिक विकार थे जिनसे सीधे तौर पर मौतें हो सकती हैं।
आनुवंशिक और जैविक कारकों के अलावा, एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया है कि, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में खाने के विकारों का काफी अधिक प्रचलन बताया गया है। रिपोर्ट कहती है कि, यह शायद सामाजिक-सांस्कृतिक, मीडिया और आहार पर अधिक दबाव से भी जुड़ा हुआ है।
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