डिस्लेक्सिया सीखने और पढ़ने से संबंधित रोग है जो आमतौर बच्चों में देखने को मिलता है। इस बीमारी में अक्षरों के लिखित रूप और उनके उच्चारण के सम्बन्ध की पहचान करने में दिक्कत के कारण अक्षरों को पढ़ने में समस्या होती है। डिस्लेक्सिया में पढ़ना, लिखना और शब्दों का विन्यास कर पाना मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मस्तिष्क शब्दों या अक्षरों को मिला देता है। डिस्लेक्सिया से ग्रस्त बच्चे अक्सर बोलने वाले और लिखित शब्दों को याद नहीं रख पाते हैं। हालांकि डिस्लेक्सिया होने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आपके बच्चे की सीखने की क्षमता बाकि बच्चों से कम है। फर्क इतना है कि अच्छी तरह से पढ़ने में सक्षम नहीं होने के कारण बच्चों को कई चीज़ें समझ पाना मुश्किल हो सकता है। डिस्लेक्सिया कई प्रकार के होते हैं, जिनके लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। हम आपको इस लेख के माध्यम से इस रोग के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
प्राइमरी डिस्लेक्सिया
डिस्लेक्सिया का सबसे आम रूप है प्राइमरी डिस्लेक्सिया। इसमें आमतौर पर अक्षर और संख्या की पहचान करना, पढ़ना, अंकगणित करना, मापना, समय निर्देश समझना और अन्य गतिविधियां करना जो आमतौर पर मस्तिष्क के बाईं तरफ से की जाती हैं, उनमें समस्याएं आती हैं। दुनिया भर के स्कूलों में सामान्य शिक्षण विधियों में मुख्यतः बाएं तरफ के मस्तिष्क का उपयोग होता है जिससे डिस्लेक्सिया से ग्रस्त बच्चों को पढ़ने में समस्याएं आती हैं।
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सेकेंड्री डिस्लेक्सिया
इसे डेवलपमेंटल डिस्लेक्सिया भी कहते हैं। भ्रूण में मस्तिष्क के विकास की समस्याओं की वजह से होता है जिससे शब्दों की पहचान और उनकी वर्तनी में समस्याएं आती हैं। इस स्थिति की कठिनाइयां और गंभीरता आमतौर पर उम्र के साथ सुधर जाती है। बच्चा बचपन में डिस्लेक्सिक लक्षणों का अनुभव कर सकता है लेकिन अगर उचित अनुदेश प्राप्त हों तो कॉलेज में प्रदर्शन में सुधार आ सकता है। ऐसे बच्चे आमतौर पर ध्वनि-विज्ञान में अच्छे होते हैं।
ट्रॉमा डिस्लेक्सिया
ट्रामा डिस्लेक्सिया एक गंभीर बीमारी या मस्तिष्क की चोट के कारण होता है। इसके लक्षण, छोटे बच्चों में निरंतर फ्लू, सर्दी या कान के संक्रमण से सुनने की क्षमता के नुकसान के कारण विकसित हो सकते हैं। इसमें बच्चे शब्दों की ध्वनि नहीं सुन पाते हैं इसलिए उन्हें शब्द बोलने, वर्तनी करने और पढ़ना सीखने में कठिनाई होती है। बड़े बच्चों या वयस्कों को मस्तिष्क की बीमारी ट्रामा डिस्लेक्सिया विकसित होता है जो भाषा को समझने की उनकी क्षमता को प्रभावित करता है। ये लोग आमतौर पर आघात से पहले पढ़ने, लिखने और शब्दों की वर्तनी करने में ठीक होते हैं।
डिस्लेक्सिया के लक्षण
- डिस्लेक्सिया के कई लक्षण होते हैं। इनके लक्षण बच्चे के स्कूल जाने से पहले पहचानने मुश्किल हो सकते हैं, लेकिन कुछ शुरुआती लक्षण समस्या का संकेत दे सकते हैं। बच्चे के स्कूल की उम्र तक पहुंचने पर, उसके शिक्षक सबसे पहले समस्या पर ध्यान दे सकते हैं। अक्सर समस्या स्पष्ट हो जाती है जब बच्चा पढ़ना शुरू करता है।
- स्कूल जाने की उम्र से पहले के लक्षणों की बात करें तो बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं। नए शब्दों को धीरे-धीरे सीख पाते हैं। नर्सरी की कविताओं को सीखने में कठिनाई होती है। कविताओं वाले खेल खेलने में कठिनाई आदि।
- वहीं अगर स्कूल जाने की उम्र पर होने वाले लक्षणों की बात की जाए तो उम्र के हिसाब से अपेक्षित स्तर से कम पढ़ पाना। सुनने पर चीज़ें समझने में समस्याएं। तेजी से दिए गए निर्देशों को समझने में कठिनाई। चीजों के अनुक्रम को याद करने में समस्याएं। अक्षरों और शब्दों में अंतर को देखने में कठिनाई। एक अपरिचित शब्द का उच्चारण करने में असमर्थता। विदेशी भाषा सीखने में समस्या जैसी परेशानियां होती हैं।
- टीन एज और अधिक उम्र में होने वाली समस्याओं में पीडि़त को ऊंची आवाज़ में पढ़ने और सामान्य पढ़ने में कठिनाई होती है। अस्पष्ट चुटकुले या मुखाकृति समझने में कठिनाई। समय प्रबंधन करने में कठिनाई। कहानी का संक्षिप्त विवरण करने में कठिनाई। विदेशी भाषा सीखने में समस्या। याद रखने में समस्याएं। गणित की समस्याएं करने में कठिनाई।
डिस्लेक्सिया से बचाव
डिस्लेक्सिया का कोई खास इलाज नहीं है। इसे रोकने के लिए भी ज़्यादा कुछ नहीं किया जा सकता, खासकर अगर यह अनुवांशिक है तो यह थोड़ा ज्यादा जटिल माना जाता है। हालांकि, प्रारंभिक चरण में निदान और उपचार शुरू कर दिया जाए तो इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं। डिस्लेक्सिया से प्रभावित बच्चों को जितनी जल्दी विशेष शिक्षा सुविधाएं मिलती है वह उतनी ही जल्दी पढ़ना और लिखना सीखने लग जाते हैं।
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