सूखी मछली खाने से लोगों में बढ़ रहा पेट और कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा, डॉक्टरों ने बताईं ये खराब आदतें

तटीय इलाकों में रहने वाले लोग पेट के कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर का शिकार हो रहे हैं, जिसकी वजह है सूखी मछली।  
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सूखी मछली खाने से लोगों में बढ़ रहा पेट और कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा, डॉक्टरों ने बताईं ये खराब आदतें

भुवनेश्वर के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) और कटक के आचार्य हरिहर रिजनल कैंसर सेंटर (एएचआरसीसी) जैसे बड़े अस्पतालों में कार्यरत देश के टॉप ऑन्कोलॉजिस्ट ने सूखी मछलियों (dry fish) में कैंसरकारी तत्वों की मौजूदगी का संदेह जताया है। इस सूखी मछली का स्वाद नमकीन होता है। 

dry fish

रोजाना हजारों की संख्या में कैंसर मरीजों को उपचार और सलाह मुहैया करा रहे इन डॉक्टरों का दावा है कि ओडिशा में पेट के कैंसर के साथ-साथ कोलोरेक्टल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऑन्कोलॉजिस्ट इसके पीछे खान-पान की गलत आदतों, जीवनशैली में बदलाव, नमकीन सूखी मछली सहित मसालेदार फूड के बढ़े सेवन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

भुवनेश्वर स्थित एम्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. माधाबनानंदा कार ने एक वेबसाइट से राज्य में कैंसर के मरीजों की बढ़ती संख्या के बारे में कहा, ''इसे वैज्ञानिक रूप से सिद्ध करने के लिए कोई ठोस अध्ययन नहीं है लेकिन कैंसर के बढ़ते चलन से विशेषकर एक क्षेत्र में चिंता का विषय है। हम पुरी, गंजम और अन्य जैसी तटीय क्षेत्रों से आने वाले लोगों में पेट के कैंसर के अधिक मामले सामने आ रहे हैं।''

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उन्होंने इस बात की ओर भी इशारा किया कि अधिक महिलाएं स्तन कैंसर का शिकार हो रही हैं, जिसके पीछे उन्होंने ये 3 कारण गिनाएं

देर से विवाह करना

देर से बच्चा करना

स्तनपान की आदत में बदलाव

fish

डॉ. माधाबनानंदा कार का कहना है कि अब ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) टीके के अधिक प्रयोग के कारण सर्वाइकल कैंसर के मामलों में काफी कमी आई है। एचपीवी संक्रमण को सर्वाइकल कैंसर के पीछे का सबसे प्रमुख कारण बताया जाता है।

उन्होंने कहा कि पश्चिमी ओडिशा से मुंह के कैंसर और फेफड़ों के कैंसर के मामलों में भी तेजी से वृद्धि हुई है, जो कि रसायनिक पेस्टीसाइड और उर्वरक के अधिक प्रयोग से जुड़ा हुआ है। डॉ. कार का कहना है कि पंजाब में हुए कई अध्ययनों में ये पाया गया है कि अधिक पेस्टीसाइड का प्रयोग कैंसर से जुड़ा हुआ है।

वहीं कटक के एएचआरसीसी के ऑन्कोलॉजिस्ट भी कैंसर के मामलों को लेकर हो रहे बदलाव पर सहमत हैं।  एएचआरसीसी डायरेक्टर डॉ. लालातेंदु सारंगी का कहना है कि आदिवासी इलाकों और जिलों में अभी भी विभिन्न यौन आदतों के कारण सर्वाइकल कैंसर के मामले अधिक हैं। वहीं दूसरी तरफ शहरी आबादी में महिलाएं सबसे अधिक स्तन कैंसर से पीड़ित पाई गई हैं।

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उन्होंने भी पेट के कैंसर के मामसों के बढ़ने का संभवित कारण सूखी मछली का सेवन बताया है।

सारंगी ने कहा, ''ओडिशा में कैंसर के मामलों ट्रेंड में बदलाव आ रहा है। पेट और कोलोरेक्टल कैंसर के मामले अब तेजी से बढ़ रहे हैं और सामने आ रहे हैं। सूखी मछली का सेवन, तेज मसाले और अन्य जीवनशैली बदलाव इस चलन में प्रभावी रूप से भागीदार हैं।''

एएचआरसीसी डायरेक्टर ने ये भी दावा किया है कि एचपीवी टीका सर्वाइकल कैंसर के नियंत्रण के लिए एक अच्छा प्रोफ्लैक्टिक उपाय साबित हो चुका है। अगर इस टीके को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में लाया जाए तो संभावना है कि ऐसे मामलों में और कमी आएगी।

सारंगी का कहना है कि अगर इस टीके को अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में लाया जाता है तो ये एक अच्छा फैसला साबित हो सकता है। ओडिशा सरकार भी इस बारे में सोच रही है। ताइवान जैसे कुछ देशों में सर्वाइकल कैंसर के मामलों में बहुत कमी आई है, जिसके पीछे एचपीवी वैक्सीन का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया गया है।

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