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क्या स्मोकिंग के कारण हो सकती है डिप्रेशन और एंग्जायटी की समस्या? जानें डॉक्टर की राय

Does Smoking Cause Depression And Anxiety: स्मोकिंग करने से डिप्रेशन की समस्या होती है या इससे चिंता कम होती है? आइए डॉक्टर से जानें इसके प्रभाव।

Vineet Kumar
Written by: Vineet KumarUpdated at: Feb 24, 2023 13:58 IST
क्या स्मोकिंग के कारण हो सकती है डिप्रेशन और एंग्जायटी की समस्या? जानें डॉक्टर की राय

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Does Smoking Cause Depression And Anxiety: सिगरेट पीने से या धूम्रपान की आदत लंबे समय में सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। जब आप स्मोकिंग करते हैं, तो इससे शरीर में कई तरह के हानिकारक कण शरीर में प्रवेश करते हैं जो शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को बढ़ाते हैं और कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। स्मोकिंग को कई क्रॉनिक रोगों के लिए प्रमुख जोखिम कारक बताया गया है। जिनमें कैंसर, सांस संबंधी रोग, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और वजन बढ़ना सबसे आम समस्याएं हैं।

अक्सर हम देखते हैं कि जब लोग तनावग्रस्त या चिंतित महसूस करते हैं, तो वे स्मोकिंग करते हैं। क्योंकि ऐसा करने पर उन्हें अच्छा और शांत महसूस होता है। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब लोग लंबे समय तक स्मोकिंग नहीं करते हैं तो भी तनावग्रस्त हो जाते हैं। ऐसा में लोग इस बात को लेकर काफी कंफ्यूज रहते हैं, कि स्मोकिंग करने से डिप्रेशन या तनाव की स्थिति पैदा होती या इससे इन्हें कम करने में मदद मिलती है? इस विषय पर काफी अध्ययन और शोध किए गए हैं, लेकिन कोई स्पष्ट रूप से अभी तक कुछ साफ नहीं हो पाया है। इसलिए इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने Dr. D Y पाटिल हॉस्पिटल के प्रोफे. डॉ. सुप्रकाश चौधरी (Dept of Psychiatry) से बात की। इस लेख में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

Does Smoking Cause Depression And Anxiety In Hindi

क्या स्मोकिंग करने से डिप्रेशन और चिंता होती है- Does Smoking Cause Depression And Anxiety In Hindi

डॉ. सुप्रकाश की मानें स्मोकिंग की आदत को लगभग 40 बीमारियों या मृत्यु के कारण जोड़ा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब व्यक्ति स्मोकिंग करता है, तो यह उसकी मृत्यु दर को दो गुना कर देता है। साथ ही अगर कोई व्यक्ति अपनी मध्य आयु के अंत तक स्मोकिंग करता है तो इसकी मृत्यु दर 3 गुना अधिक बढ़ जाती है। आमतौर पर देखा जाता है कि स्मोकिंग की आदत मानसिक रूप से बीमार लोगों में अधिक देखने को मिलती है। कई अध्ययनों इस बात की पुष्टि की गई है कि जो लोग मानसिक रूप से बीमार हैं और कम उम्र में ही स्मोकिंग करना शुरू कर देते हैं या बहुत अधिक अत्यधिक धूम्रपान करते हैं, तो समय के साथ उनकी बीमारी की गंभीरता बढ़ जाता है। अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि कभी-कभी स्मोकिंग करने वाले लोगों की तुलना में, जो लोग नियमित स्मोकिंग करते हैं उनमें मानसिक स्थितियों के प्रसार का अधिक जोखिम देखने को मिलती है।

जब कोई व्यक्ति स्मोकिंग करता है, इससे मस्तिष्क में कुछ रसायनों में गड़बड़ देखने को मिलती है। अक्सर यह देखने को मिलता है जब लोग कुछ समय के लिए सिगरेट नहीं पीते हैं, तो उन्हें दूसरी सिगरेट की क्रेविंग होती है। साथ ही जब वे काफी समय तक स्मोकिंग नहीं करते हैं, तो वे चिड़चिड़ा और चिंतित महसूस करने लगते हैं।

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डॉक्टर क्या सलाह देते हैं?

भले ही स्मोकिंग करने से किसी व्यक्ति को अस्थायी रूप से चिंता, तनाव और असवाद जैसी स्थितियों में राहत महसूस हो सकती है। लेकिन वास्तव में यह आपकी निर्भरता को बढ़ाता है और भविष्य में मानसिक स्थितियों के जोखिम को अधिक बढ़ाता है। यही कारण है कि बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए स्मोकिंग छोड़ने या धीरे-धीरे कम करने की सलाह दी जाती है। स्मोकिंग करने से सिर्फ मूड में सुधार होता है, लेकिन चिंता या अवसाद से राहत नहीं मिलती है। ऐसे में बेहतर है कि इस आदत को तुरंत किया जाए।

All Image Source: Freepik

(Inputs by Dr. Suprakash Chaudhury, Professor and HOD, Dept of Psychiatry, Dr D Y Patil Medical College, Hospital and Research Centre, Pimpri, Pune)

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