
Depression Vs Sadness Difference In Hindi: तनाव, चिंता और अवसाद यानी डिप्रेशन जैसी मानसिक स्थितियों से इन दिनों काफी लोग जूझ रहे हैं। इनका समय रहते प्रबंधन बहुत जरूरी है, नहीं तो इससे सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। खासकर अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से डिप्रेशन की स्थिति से जूझ रहा है, तो उसके अंदर नकारात्मकता की भावना बढ़ सकती है जो उन्हें आत्म हत्या के रास्ते पर ले जा सकती है। लेकिन अक्सर हम देखते हैं मूड में परिवर्तन और सामान्य उदासी को भी डिप्रेशन समझते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। हम में से ज्यादातर लोग तनाव, चिंता या उदासी को डिप्रेशन समझने की गलती करते हैं और अनजाने में अपनी ही परेशानियों को बढ़ाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ज्यादातर लोग डिप्रेशन और अन्य मानसिक स्थितियों के बीच मूल अंतर को नहीं समझते हैं।
अब सवाल यह उठता है कि उदासी और डिप्रेशन के बीच अंतर (Depression aur udasi mein antar) को हम कैसे समझ सकते हैं? इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. पुलकित शर्मा से बात की। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो अक्सर उदास और परेशान रहते हैं, तो यह डिप्रेशन है या सामान्य उदासी इसे समझने के लिए हम आपको दोनों के बीच अंतर को विस्तार से समझा रहे हैं।
उदासी और डिप्रेशन में क्या अंतर है- What is the difference between depression and sadness
उदासी क्या होती है- Sadness In Hindi
डॉ. पुलकित शर्मा की मानें तो उदासी कोई बीमारी या स्थिति नहीं, बल्कि एक मानवीय भावना होती है। जबकि डिप्रेशन इससे बिल्कुल अलग है। डिप्रेशन में व्यक्ति को लंबे समय तक उदासी की स्थिति का सामना करना पड़ता है। सामान्य उदासी से कोई भी व्यक्ति प्रभावित हो सकता है। क्योंकि हम पूरा दिन में ऐसे कई अनुभवों से गुजरते हैं, जिनके कारण हम निराश महसूस कर सकते हैं, चाहे फिर वो ऑफिस में काम को लेकर हो, रिश्तों में अनबन या पारिवारिक समस्या के कारण हो। जब भी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचती है तो वह निराश और उदास हो जाता है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि आपको डिप्रेशन है, क्योंकि उदासी की स्थिति में व्यक्ति कुछ समय बाद फिर से सामान्य हो जाता है।
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डिप्रेशन क्या है- Depression In Hindi
जैसी कि हम ऊपर चर्चा कर चुके हैं, कि उदास व्यक्ति कभी भी और कहीं भी हो सकता है। लेकिन अगर उदासी की भावना व्यक्ति के साथ लंबे समय तक बनी रहती है और बढ़ती रहती है, तो यह आपको डिप्रेशन की ओर ले जा सकता है। डिप्रेशन कोई मानवीय भावना नहीं, बल्कि एक साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसका समय रहते प्रबंधन बहुत जरूरी है। व्यक्ति चिंतित, हताश और तनाव ग्रस्त महसूस करता है। साथ ही तनाव और चिंता की स्थिति भी व्यक्ति के साथ लगातार और लंबे समय तक बनी रहती है। डिप्रेशन होने पर व्यक्ति के आसपास भले ही कितनी भी अच्छी चीजें या घटनाएं क्यों न हो रही हों, लेकिन वह उदास और तनावग्रस्त ही रहता है। यह एक गंभीर स्थिति है, अगर समय रहते इसका प्रबंधन नहीं किया जाता है तो यह व्यक्ति को आत्महत्या की ओर भी ले जा सकता है। इसलिए इसके लक्षणों को पहचानकर तुरंत उपचार लेने की आवश्यकता होती है।
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डॉक्टर के पास कब जाएं?
अगर आप लंबे समय से उदास हैं, साथ ही तनाव और चिंता जैसी स्थितियों का सामना कर रहे हैं, तो आपको किसी मनोचिकित्सक से संपर्क जरूर करना चाहिए। डॉ. पुलकित की मानें तो व्यक्ति को तनाव और चिंता के कारण अपने लक्ष्य से भी भटक सकता है, और उस तक पहुंचने में परेशानी महसूस कर सकता है। आपकी चिंता और तनाव का स्तर या स्थिति कितनी गंभीर है, इसका आकलन करें। अपने परिवार या दोस्तों के साथ शेयर करें, अगर आपको उसके बाद भी कोई समाधान नहीं नजर आ रहा है तो ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेने में ही समझदारी है।
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