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क्‍या IVF ट्रीटमेंट के बाद बढ़ जाता है प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी का खतरा? एक्‍सपर्ट से जानें

IVF and Premature Delivery: कुछ लोगों को लगता है क‍ि आईवीएफ ट्रीटमेंट कराने से प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी का खतरा बढ़ता है। जानते हैं दोनों का संबंध। 
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क्‍या IVF ट्रीटमेंट के बाद बढ़ जाता है प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी का खतरा? एक्‍सपर्ट से जानें

Does IVF Increase Risk of Premature Delivery: प्रेग्नेंसी से ड‍िलीवरी तक का सफर नौ महीनों का होता है। अगर क‍िसी कारणवश श‍िशु का जन्‍म 37 हफ्तों से पहले होता है, तो उसे प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी का नाम द‍िया जाता है। समय से पहले ड‍िलीवरी होना श‍िशु और मां दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य के ल‍िए हान‍िकारक होता है। ऐसे श‍िशु जो समय से पहले ही जन्‍म ले लेते हैं, उन्‍हें क‍िसी न क‍िसी शारीर‍िक समस्‍या का श‍िकार होना पड़ता है। हमें गूगल पर एक सवाल म‍िला ज‍िसमें यह पूछा गया क‍ि क्‍या आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी का खतरा बढ़ जाता है? आपको बता दें क‍ि बहुत से कपल्‍स जो कंसीव नहीं कर पाते, वे आजकल आईवीएफ तकनीक का सहारा ले रहे हैं। आईवीएफ एक कृत्र‍िम प्रक्र‍िया है। इसमें मह‍िला के एग्‍स का संपर्क शरीर के बाहर शुक्राणुओं से कराया जाता है। फ‍िर फर्टिलाइज क‍िए एग को मह‍िला के गर्भाशय में रखा जाता है। लोगों के मन में आईवीएफ को लेकर अब भी कई प्रकार के भ्रम हैं।

आईवीएफ और प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी के संबंध‍ को समझने के ल‍िए हमने IVF Specialist, Birla Fertility & IVF Center, Lucknow and Obstetrics and Ex Dean Gynaecology Department, KGMU Lucknow Dr (Prof) Vinita Das से बात की। दुन‍ियाभर में आईवीएफ के बारे में लोगों को जागरूक करने के ल‍िए 25 जुलाई को वर्ल्ड आईवीएफ डे (World IVF Day 2023) मनाया जाता है। इसी कड़ी में हम आप तक आईवीएफ से जुड़ी जानकारी और आपके सवालों पर अपने एक्‍सपर्ट से बातचीत करेंगे। आईवीएफ के प्रत‍ि लोगों को जागरूक करने के ल‍िए ओनलीमायहेल्‍थ ने एक मुहि‍म शुरू की है ज‍िसका नाम है #KhushkhabriWithIVF तो चल‍िए जानते हैं आईवीएफ और प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी से जुड़ी जरूरी जानकारी।  

IVF treatment in hindi

क्‍या आईवीएफ ट्रीटमेंट कराने से बढ़ता है प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी का खतरा?- Does IVF Cause Premature Delivery

प्रोफेसर, डॉक्‍टर और आईवीएफ स्‍पेशल‍िस्‍ट डॉ व‍िन‍िता दास ने बताया प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी का खतरा क‍िसी भी तरह की प्रेग्नेंसी में हो सकता है। ऐसा जरूरी नहीं है क‍ि इसका संबंध केवल आईवीएफ तकनीक से ही है। हालांक‍ि अगर 2 से 3 एम्ब्र्यो ट्रांसफर हुए हैं, तो प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी की आशंका ज्‍यादा होती है। वहीं यूके और यूएस जैसे देशों में एसईटी स‍िंगल एम्ब्र्यो ट्रांसफर की तकनीक अपनाई जाती है। इस तकनीक में केवल एक एम्ब्र्यो को चुना जाता है। इससे ट्विन्स प्रेग्नेंसी या प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी का खतरा कम हो जाता है। अगर सफल आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद ट्विन्स प्रेग्नेंसी होती है, तो भी प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी होने की आशंका ज्‍यादा रहती है। 

प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी का खतरा क‍िन मह‍िलाओं में ज्‍यादा होता है?- Who is at Risk of Premature Delivery

एक्‍सपर्ट्स के मुताबि‍क, प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी के मामले उन मह‍िलाओं में ज्‍यादा देखे जाते हैं ज‍िन्‍हें न‍िम्‍न समस्‍याएं होती हैं- 

  • थायराइड, ड‍ायब‍िटीज, हाई बीपी, मोटापा या अन्‍य कोई पुरानी बीमारी। 
  • पहले भी प्रीटर्म ड‍िलीवरी हो चुकी हो, तो प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी का खतरा दोगुना हो जाता है।   
  • पोषक तत्‍वों की कमी या एनीम‍िया की स्‍थ‍ित‍ि होना। 
  • गर्भवती मह‍िला की उम्र 35 साल से ज्‍यादा या 17 साल से कम होना।    
  • प्रेग्नेंसी में मह‍िला का वजन बहुत कम या ज्‍यादा होना।
  • एल्‍कोहल या नशीली चीजों का सेवन करना।

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प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी से बचने के ट‍िप्‍स- Premature Delivery Prevention Tips 

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  • प्रेग्नेंसी में सुरक्ष‍ित रहने का पहला स्‍टेप है अपनी हेल्‍थ पर नजर रखें। क‍िसी भी तरह के असामान्‍य लक्षण नजर आने पर डॉक्‍टर से संपर्क करें।
  • प्रेग्नेंसी के साथ पीसीओडी भी है, तो अध‍िक सावधानी बरतें। समय-समय पर जरूरी जांच कराते रहें।
  • हेल्‍दी डाइट का सेवन करें। अपनी डाइट में सभी जरूरी पोषक तत्‍वों को शाम‍िल करें।
  • तनाव को कम करें। कुछ स्‍टडीज में ऐसा बताया गया है क‍ि ज्‍यादा तनाव लेने से प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी का खतरा बढ़ता है।  
  • प्रेग्नेंसी में प्रीनेटल योगा करें। इससे शरीर में लचीलापन रहता है और शरीर का ब्‍लड सर्कुलेशन भी सुधरता है।

प्रीमेच्‍योर ड‍िलीवरी से बचना चाहते हैं, तो ऊपर बताए ट‍िप्‍स को फॉलो करें। इस लेख को ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक शेयर करना न भूलें। 

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