
त्योहार आते ही लोग फास्ट फूड, ट्रांस फैट्स फूड्स और स्वीट्स जमकर खाते हैं। समोसा, पकौड़े, जलेबी और दूसरे फ्राइड फूड्स की बिक्री भी धड़ल्ले से होती है। लेकिन इस दौरान हम यह भूल जाते हैं कि ये अनहेल्दी ट्रांस फैट्स हमारे लिए कई बीमारियां लेकर आ रहे हैं। इससे कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ता है, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज़्यादा हो जाती है और बॉडी में कई खतरनाक टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं। जब लिक्विड वेजिटेबल ऑयल में हाइड्रोजन मिक्स करते हैं, तो ट्रांस फैट्स के रूप में आर्टिफिशल फैट्स तैयार हो जाते हैं। इसका उदाहरण है- वनस्पति, जो आर्टिफिशल है। वनस्पति घी का इस्तेमाल स्ट्रीट फूड्स जैसे फ्रेंच फ्राइज़, पेस्ट्रीज़ और केक में किया जाता है, क्योंकि इसमें मौजूद ट्रांस फैट्स इसे ज़्यादा टेस्टी बनाते हैं और लोग बार-बार इनकी ओर खींचे चले आते हैं।
फूड्स जिनमें ट्रांस-फैट बहुत ज़्यादा होता है
पेस्ट्री और केक
फ्रेंच फ्राइज़
डोनट्स
कुकी / बिस्कुट
चॉकलेट
फ्राइड चिकन
आलू के चिप्स
स्ट्रीट फूड
नमकीन
फ्राइड स्वीट्स
फ्रोज़न मील
रेडी टू ईट मील
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ये हैं ट्रांस-फैट के 5 नुकसान
हार्ट पर असर
सिर्फ कोलेस्ट्रॉल ही नहीं, बल्कि ट्रांस फैट्स हार्ट के लिए भी ठीक नहीं हैं, और यह हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। महिलाओं में यह रिस्क डबल है। 65 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों के दिमाग पर भी इसका बुरा असर हो सकता है।
मोटापे का कारण
ट्रांस-फैट डाइट से शरीर पर चर्बी चढ़ती है और पेट मोटा होना शुरू हो जाता है। रिसर्च के मुताबिक हाई ट्रांस-फैट डाइट कुछ साल के बाद ओबीसिटी भी पैदा कर सकती है। इसलिए, डॉक्टर्स इसे अवॉइड करने की सलाह देते हैं।
फर्टिलिटी कम करना
ट्रांस-फैट डाइट महिलाओं की फर्टिलिटी भी कम कर सकती है। रिसर्च के मुताबिक महिलाएं जो रेगुलर ट्रांस-फैटी फूड्स खाती हैं, उन्हें बाद में कंसीव करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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इम्यून सिस्टम कम होने लगता है
ट्रांस-फैट के इंफ्लेमेटरी इफेक्ट्स के कारण शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी कम हो जाती है। बॉडी में एंटीऑक्सीडेंट एन्ज़ाइम्स कम बनने लगते हैं और इस कारण भी कैंसर, आर्थराइटिस की दिक्कत पैदा हो सकती है।
टाइप 2 डायबिटीज़ की वजह
द अमेरिकन डायबिटीज़ असोसीऐशन यही कहती है कि ट्रांस-फैट्स किसी भी कीमत पर ना खाएं, क्योंकि इससे ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ता है, और बाद में टाइप 2 डायबिटीज़ के चांस काफी ज़्यादा हो जाते हैं। बचाव के लिए हमेशा प्रोडक्ट का लेबल देखें। अगर उस पर हाइड्रोजेनेटिड ऑयल लिखा है, तो इसे अवॉइड करें।
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