इस विश्व रक्त कैंसर दिवस (World Blood Cancer Day), डीकेएमएस-बीएमएसटी (DKMS-BMST) रक्त कैंसर और अन्य रक्त विकारों के रोगियों की मदद करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। एक साल के इस समय में 28 जीवन बचाने में सक्षम रहा है, जिसमें रक्त कैंसर और थैलेसीमिया जैसे अन्य रक्त विकारों के निदान वाले बच्चे भी शामिल हैं। 28 मई 1991 को पीटर हार्फ ने डीकेएमएस-बीएमएसटी (DKMS-BMST) की स्थापना की थी, जो अपनी पत्नी मेचिल्ड जो ल्यूकेमिया से पीड़ित थे के लिए एक मिलान दाता खोजने के लिए प्रेरित है। संचालन के पहले साल में डीकेएमएस 3,000 दाताओं से 68,000 तक रजिस्ट्री करने में कामयाब रहा। जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन, पोलैंड और चिली के कार्यालयों के साथ-साथ भारत में बीएमटीएस के साथ एक संयुक्त साझेदारी की और रक्त विकारों के खिलाफ लड़ाई में साथ रहा।
पॉल पैट्रिक, सीईओ, डीकेएमएस-बीएमटीएस (DKMS-BMST) फाउंडेशन इंडिया कहते हैं कि रक्त कैंसर (Blood Cancer) या थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों को ब्लड स्टेम सेल्स की जरूरत होती है। दुनिया भर में, उनमें से केवल 30 फीसदी लोग ही अपने परिवारों में इसका मेल पा सकते हैं और इसलिए एक असंबंधित दाता को खोजने की बहुत जरूरत है। उन्होंने बताया कि हमने पिछले साल भारत में अपना इसकी शुरुआत की थी, जिसमें भारतीय जातीयता के संभावित रक्त स्टेम सेल दाताओं को वैश्विक डेटाबेस में जोड़ने का इरादा था, ताकि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले रोगियों को खोजने का एक अच्छा रास्ता निकल सके।
ब्लड सेल्स के दान से बची कई जान
अपने अनुभव को साझा करते हुए मो. सैफुल्ला, 4 साल के थैलेसीमिया बच्चे के पिता ने कहा, “हम कई डॉक्टरों के पास गए थे, जो हमारे बच्चे की समस्या की जांच करने की कोशिश कर रहे थे और सभी डॉक्टर कोशिश कर रहे थे कि एक ऐसा ही मेल खाने वाले दाता मिस सके जो उसकी जान बचा सके। उसके पिता कहते हैं कि मेरी बेटी की जान बचाने के लिए यही एक रास्ता था और और हम 28 साल के सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल देबज्योति को कभी भी धन्यवाद नहीं दे सकते हैं, जो कि हमारी बेटी से मेल खाने वाली रक्त कोशिकाओं (Blood Cell) को दान करते हैं। ऐसा सिर्फ DKMS-BMST जैसे संगठनों के कारण ही हो सकता है और हमे बच्चे के लिए रक्त स्टेम कोशिकाओं मिल गई। बच्ची के पिता कहते हैं कि आज मेरी बेटी एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन जी रही है और हम इस साल उसका 5 वां जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रहे हैं जो कुछ साल पहले तक हमारे लिए एक सपने जैसा था।
इसे भी पढ़ें: ब्लड कैंसर की शुरुआत में दिखते हैं ये 6 लक्षण, जानें कितना खतरनाक है ये रोग
हर साल 1 लाख से ज्यादा लोगों का किया जाता है निदान
विश्व रक्त कैंसर दिवस पर पिछले साल, DKMS, रक्त कैंसर (Blood Cell) और रक्त विकारों के खिलाफ लड़ाई के लिए समर्पित दुनिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय रक्त स्टेम सेल दाता केंद्रों में से एक है, बैंगलोर मेडिकल सर्विस ट्रस्ट (BMST) के केंद्र में शामिल हो गया। आपको बता दें कि भारत में हर साल 1,00,000 से ज्यादा लोगों में रक्त कैंसर या थैलेसीमिया या एप्लास्टिक एनीमिया जैसे रक्त विकार का निदान किया जाता है। चुनौतियों का सामना करते हुए, देश में सामना करने वाले एनजीओ ने कहा, “हमने भारत में बहुत पहले ही महसूस कर लिया था कि इसका निर्णय केवल दान करने वाले का नहीं है, बल्कि उसके परिवार का भी है। हाल में चल रहे दुनियाभर में कोरोना वायरस (Corona Virus) के कारण लॉकडाउन की स्थिति में, टीम ये प्रयास कर रही है कि जिन मरीजों का दान निर्धारित था, उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी।
इसे भी पढ़ें: जानें कैसे होता है ब्लड कैंसर और क्या हैं इसके शुरुआती लक्षण
जागरुकता बढ़ाने का है उद्देश्य
ये संगठन एक गैर-लाभकारी संगठन जो रक्त कैंसर और अन्य रक्त विकारों के खिलाफ लड़ाई के लिए अपने आपको समर्पित करता है, जैसे थैलेसीमिया और अप्लास्टिक एनीमिया। इस संगठन का उद्देश्य है कि रक्त स्टेम सेल प्रत्यारोपण के बारे में जागरूकता बढ़ाने और संभावित रक्त स्टेम सेल दाताओं को पंजीकृत करके भारत और पूरे विश्व में रक्त कैंसर और अन्य रक्त विकारों से पीड़ित रोगियों को जल्द से जल्द स्वस्थ किया जा सके।
Read More Articles On Cancer in Hindi