शिशुओं में कुछ बीमारियां जन्मजात होती है, जो जन्म के बाद बच्चों के अक्सर बीमार रहने का कारण बनती है। जन्मजात असमानताएं शारीरिक व मानसिक दोनों हो सकती हैं। इसमें अधिकतम असमानताएं तंत्रिका नाल की विकृति से संबंधित होती है, जिसे न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट कहा जाता है। इसमें भी ज्यादातर स्पाइना बाइफिडा की विकृति पाई जाती है। इन विकृतियों से बचने का सबसे सरल उपाय है जानकारी और सावधानी।
स्पाइना बाइफिडा
तंत्रिका नाल से जुड़ी सबसे अधिक पाई जाने वाली विकृति है। भारत में करीब 1,500 बच्चे इस विकृति के साथ जन्म लेते है। स्पाइना बाइफिडा में रीढ़ दरारयुक्त हो जाती है और कभी-कभी स्पाइनल कॉर्ड भी बाहर निकली हुई रहती है। इसके कारण दरार वाली जगह के नीचे वाली मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। या उसके नीचे के हिस्से में लकवा मार जाता है।
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अमस्तिष्कता
यह तंत्रिका नाल की सबसे गंभीर विकृति है करीब 1000 बच्चे हर साल हमारे देश में इस विकृति के साथ जन्म लेते हैं, इस विकृति में सिर की हड्डी का ऊपरी भाग एवं प्रमस्तिष्क अनुपस्थित रहता है। एड्रिनल ग्रंथियां क्षतिग्रस्त रहती हैं, ऐसे में शिशु सिर्फ कुछ ही क्षणों के लिए जीवित रहते हैं और उनमें भी अधिकांश संख्या लड़कियों की होती हैं।
हाइड्रानेसिफेली
इस विकृति में शिशु का सिर असामान्य रूप से बड़ा होता है। मस्तिष्क के वेंट्रिकल्स में सेरिब्रोस्पाइनल द्रव की मात्रा अधिक होने से सिर की हड्डियां पतली हो जाती हैं, जो दिमागी विकलांगता का कारण बनता है। इनके अलावा भी कई विकृतियां हैं, जो जन्म से पाई जाती हैं जैसे विकृत होंठ व तालु। हर वर्ष सात से 8000 बच्चे इस विकृति के साथ जन्म लेते है। गर्भावस्था के आरंभिक दौर में कुछ वायरस के संक्रमण से बच्चे में जन्मजात विकृति पैदा हो जाती है इन जन्मजात विकृतियों में बहरापन, मोतियाबिंद, हृदय संबंधी रोग व मानसिक रूप से अक्षमता शामिल है ।
ये होते हैं कारण
विकारग्रस्त बच्चे या जो बच्चे जन्मजात असमानताओं के साथ पैदा होते हैं उनके कारण पूर्णतया नहीं समझे जा सके हैं, लेकिन मुख्य रूप से दो में विभाजित किए गए हैं
- अनुवांशिक या वंशानुगत कारण
- वातावरण संबधी कारण
कैसे करें बचाव
- गर्भधारण से पहले ही पौष्टिक खाना खाने की आदत डालें। फल, सूखे मेवे, हरी पत्तेदार सब्जियां, डेयरी उत्पाद भोजन में शामिल करें। जंक फूड लेने से बचें।
- गर्भावस्था से पहले व गर्भावस्था के शुरुआती चरण में फॉलिक एसिड का सेवन करने से विकारग्रस्त शिशु होने की आशंका कम रहती है।
- गर्भधारण से पहले छोटी चेचक व रूबेला का टीका अवश्य लगवा लें। 12 से 15 माह की उम्र के दौरान एमएमआर का टीका लगाया जाता है गर्भवती महिला को रूबेला का वैक्सीन नहीं दिया जाता ।
- गर्भावस्था के दौरान किसी भी दवा का सेवन बिना डॉक्टरी सलाह के न लें। कोई भी दवाई लेने में अत्यधिक सावधानी रखें।
- यदि महिला मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, आदि से पीड़ित हो तो गर्भधारण से पहले ब्लड शुगर को नियंत्रित रख कर शिशु की जन्मजात विकृति को रोका सकता है, लेकिन इससे पहले आप अपने डॉक्टर से अवश्य सलाह लें।
- गर्भावस्था के आरंभिक हफ्ते में एक्सरे से बचें। इससे भ्रूण पर खतरनाक प्रभाव पड़ता है, शुरुआती चार महीनो में एक्सरे करवाने से बचें।
- हायपर या हाइपो थायरॉयड के मरीजों को भी गर्भधारण करने से पहले डॉक्टरी परामर्श लेना जरूरी है ।
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