बदलते मौसम में भी नवजात शिशु रहेगा हेल्दी, ऐसे करें उसकी केयर

बदलते मौसम का असर सिर्फ बड़ों की सेहत पर ही नहीं पड़ता बल्कि बच्चे भी इसकी चपेट में आते हैं। 
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बदलते मौसम में भी नवजात शिशु रहेगा हेल्दी, ऐसे करें उसकी केयर

बदलते मौसम का असर सिर्फ बड़ों की सेहत पर ही नहीं पड़ता बल्कि बच्चे भी इसकी चपेट में आते हैं। मौसम में बदलाव आते ही सर्दी-जुख़ाम जैसी आम समस्या से बचे रहने के लिए हर उम्र के लोगों को सही प्रकार से देख-भाल करने की आवश्यकता होती है। लेकिन नवजात शिशुओं को इस मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत होती है। इस मौसम में अधिकतर लोग घरों के अंदर रहना ही पसंद करते हैं और ऐसे में बीमारियों के फैलने की आशंका भी अधिक होती है।

नहलाते वक्त भी रहें सतर्क

जब तक नाभि का गर्भ नाल पूरी तरह से सूखा ना हो, तब तक बच्चे को केवल गुनगुने पानी से ही साफ करना ठीक रहता है। यह जरूरी नहीं है कि प्रतिदिन गुनगुने पानी का प्रयोग करें। बच्चे के चेहरे को तथा पेशाब व मलद्वार को साफ करके सूखा रखना आवश्यक होता है। बच्चे को टब में स्नान कराते समय इतना पानी लें जिससे बच्चे की कमर तक पानी रहे। स्नान कराते समय बच्चे को टब में उल्टा नहीं करना चाहिए, टब में बच्चे को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। बच्चे को कम समय तक स्नान करायें तथा बच्चे के शरीर पर साबुन का उपयोग न करें। बच्चे के गर्दन, हाथ-पैरों को अधिक साफ रखना चाहिए। नहलाने के बाद बच्चे के शरीर पर इत्र (परफ्यूम) का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

  • बच्चों की सांस तेज चलना अथवा पसली चलना।
  • अत्यधिक खांसी आना।
  • चेहरे के आसपास नीलापन।
  • दूध पीने में असमर्थता।
  • छाती में घड़घड़ाहट अथवा सीटी सी आवाज आना।

इन बातों का रखें ख्याल

  • ठंड में बच्चे को नहलाना ज़रूरी नहीं, उसकी साफ-सफाई के लिए किसी साफ कपड़े को गर्म पानी में भिगो कर उसे पोछ दें ।
  • बच्चा जितना आराम करना चाहे, उसे आराम करने दें और बच्चे को नींद से ना जगायें।
  • बच्चे को समय-समय पर मां का दूध दें क्योंकि मां का दूध शिशु की आहार पूर्ति करता है।
  • सर्दियों में बच्चे को कम से कम घर से बाहर ले जाने का प्रयास करें। कमरे में हीटर को बहुत तेज न चलाएं, और अचानक तापमान परिवर्तन से बचें।
  • सर्दियों में संक्रमण अधिक होता है। कोई भी व्यक्ति जिसे सर्दी-जुकाम या कोई संक्रामक‍ बीमारी है, उसे बच्चे से या मां से दूर रखें।
  • अगर बच्चे को डायरिया या हाइपोथर्मिया की समस्या लगती है, तो तुरंत चिकित्सक को दिखायें।
  • शिशु की नैपी समय-समय पर बदलते रहें क्योंकि गीलेपन से संक्रमण फैल सकता है।
  • बच्‍चे को रोज 15 से 20 मिनट तक सुबह की धूप में टहलायें।
  • बच्चे को नहलाने से पहले उसकी मालिश भी जरूर करें।
  • ब्लोअर या रूम हीटर का मुंह बच्चे के सामने न रखें, न ही उनके बहुत करीब रखें। बच्चे के सामने या करीब रखने पर उसे अत्यधिक गर्मी पहुंचेगी। एक और बात का विशेष ध्यान रखें, ब्लोअर या रूम हीटर से थोड़ी दूर पर एक गहरे बर्तन में पानी अवश्य रखें। इसकी भाप पूरे कमरे में नमी बनाएगी और इससे शिशु को सांस लेना सुखद रहेगा।
  • नवजात शिशु के बिस्तर में गर्म पानी की बोतल के इस्तेमाल से बचें। इससे उनके जलने का खतरा रहता है।
  • इस मौसम में अक्सर घर के सदस्यों को खांसी-जुखाम हो जाता है। संक्रमित लोग शिशु से दूर रहें। फेस मास्क पहनें व साबुन से हाथ धोकर ही बच्चे को छुएं।

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