Coronavirus: सोशल डिस्टेंसिंग,सेल्फ आइसोलेशन और क्वॉरेंटाइन के बीच का अंतर समझना है जरूरी, बचाव में होगी मदद

कोरोना वायरस से बचाव के लिए तीनों के बीच के अंतरों को समझना मुश्किल हो सकता है पर सामाजिक दूरी, आत्म-अलगाव और क्वॉरेंटाइन को समझना जरूरी है।
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Coronavirus: सोशल डिस्टेंसिंग,सेल्फ आइसोलेशन और क्वॉरेंटाइन के बीच का अंतर समझना है जरूरी, बचाव में होगी मदद

देश और दुनियाभर में कोरोनावायरस का आतंक फैला हुआ है। दुनियाभर की सरकारें और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन लोगों से इसे वायरस की चपेट में आने से बचने के लिए कई उपाय सुझा रही हैं। कोरोनावायरस से बचने के लिए दुनियाभर में लोगों से कहा गया है कि व्यक्ति-से-व्यक्ति के संपर्क को सीमित करें और जितना हो सके एक दूसरे से दूर रहें। ऐसे में लोग वायरस से बचे रहने के लिए सामाजिक दूरी बनाने के साथ-साथ खुद को एक कमरे तक सीमित करने और क्वॉरेंटाइन में जाने के लिए मजबूर हो गए हैं। पर क्या आपको पता है सामाजिक दूरी यानी कि सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing), खुद को अकेला कर लेना या आत्म-अलगाव  (Self Isolating) और क्वॉरेंटाइन (Quarantining) के बीच एक बड़ा फर्क है। ज्यादातर लोगों को ये तीनों एक जैसे ही लगते हैं, जबकि इन तीनों के बीच का फर्क जानना और उसे समझना हर किसी के लिए बेहद जरूरी है। आइए आज हम आपको विस्तार से इन तीनों के बीच का फर्क बताते हैं।

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'सामाजिक दूरी'  (Social Distancing) में मानव संपर्क को यथासंभव सीमित करना होता है

स्कूलों के बंद होने, घर से काम करने, और 50 से अधिक लोगों की सभाओं को रद्द करना 'सामाजिक दूरी' यानी कि सोशल डिस्टेंसिंग में आता है। ये संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने के लिए एक सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति का उपयोग मानव अंतःक्रिया को सीमित करने के लिए किया गया है, जो कि रोग के नियंत्रण और रोकथाम में मदद कर सकता है। जो लोग सोशल डिस्टेंसिंग का अभ्यास कर रहे हैं, वे अपने अकेले की गतिविधियों में संलग्न हो सकते हैं, जैसे टहलना, बागवानी करना या अकेले में एक्सरसाइज करना इत्यादि। आप अपने साथ रहने वाले रूममेट्स या परिवार के सदस्यों के साथ समय बिता सकते हैं, लेकिन इससे आगे किसी के साथ घुलना-मिलना नहीं चाहिए। ऐसे लोगों के संपर्क से बचें जो थोड़ा सा भी बीमार हैं और सभी गैर-व्यक्तिगत सामाजिक व्यस्तताओं को रद्द करें।

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जो लोग बीमार हैं या बीमार हो सकते हैं, उनके लिए है सेल्फ आइसोलेशन (Self Isolation) 

जिन भी लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है या उन्हें पता है कि वो तुरंत बीमार पड़ सकते हैं उन्हें खुद को सेल्फ आइसोलेशन में रखना चाहिए। इसके अलावा ऐसे लोग जो थोड़ा सी बीमार हैं यो सर्दी-जुकाम से पीड़ित हैं उन्हें कम से कम 7 दिनों के लिए घर पर रहना और दूसरों से 6 फीट दूर रहने की कोशिश करना चाहिए। अगर आपको लगता है कि आपके पास किसी भी प्रकार का वायरल है, तो यह अनुशंसा की जाती है कि आप सीडीसी के अनुसार वायरस को फैलने से रोकने के लिए केवल सामाजिक रूप से दूर करने के बजाय आत्म-अलगाव करें। सामाजिक अलगाव के विपरीत, जो लोग आत्म-अलगाव कर रहे हैं, उन्हें अपना घर नहीं छोड़ना चाहिए। वहीं ऐसे लोगों को अपनी चीजों को दूसरों के साथ साझा करने से भी बचना चाहिए। 

  • -ऐसे लोगों को हर काम ऑनलाइन करना चाहिए अपने घर पर दोस्तों या परिवार को आने के लिए मना करना चाहिए। 
  • -अगर आपके पास रूममेट हैं, तो आपको यह सुनिश्चित करने के लिए कम से कम छह फीट दूर रहना चाहिए ताकि वे संक्रमित न हों। 
  • -अगर आप आमतौर पर एक बिस्तर या बेडरूम साझा करते हैं, तो अकेले सोने पर विचार करें और यदि संभव हो तो अपने साझा रूममेट को अलग कमरे में सोएं।
  • -वहीं अपने हाथों को लगातार और अच्छी तरह से धोते रहें।
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कोरोनोवायरस के लक्षण न हो, फिर भी संपर्क में आने वालों के लिए है क्वॉरेंटाइनिंग (Quarantining)

अगर आपने हाल ही में व्यापक कोरोनोवायरस वाले देश की यात्रा की है या आपको संदेह है कि आप किसी भी तरह कोरोनावायरस के संपर्क में आए हैं, तो लक्षण देखने तक के लिए आपको 14-दिन के लिए क्वॉरेंटाइनिंग (Quarantining) करनी चाहिए। सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार, सामाजिक दूरी से अलग, क्वॉरेंटाइनिंग का मतलब है कि आपको बाहर नहीं जाना चाहिए या यहां तक कि अपने घर में रहने वालों से भी संपर्क में नहीं आना चाहिए। इस दौरान लोगों को किसी से भी छह फीट की दूरी बनाए रखनी चाहिए।इसके अलावा अगर संभव हो तो, क्वॉरेंटाइनिंग में रहने वाले व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा है कि वह घर के एक कमरे में अकेले रहें। अगर वे अन्य लोगों के साथ रहते हैं और दो सप्ताह की अवधि के लिए वहां से कहीं दूर अकेला रहने के लिए चले जाएं। ऐसे व्यक्तियों को कुछ भी छूने या सतहों को साझा करने से भी बचना चाहिए पर जैसे कि बाथरूम या रसोई घर इत्यादि।

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