ऑस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस में क्या है अंतर, जानें इसके लक्षण और कारण

अर्थराइटिस के अंतर्गत हड्डियों से जुडी करीब 100 तरह की बीमारियां शामिल हैं। अर्थराइटिस की वजह से जोड़ों में हल्का या तेज दर्द हो सकता है।
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ऑस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस में क्या है अंतर, जानें इसके लक्षण और कारण


अर्थराइटिस के अंतर्गत हड्डियों से जुडी करीब 100 तरह की बीमारियां शामिल हैं। अर्थराइटिस की वजह से जोड़ों में हल्का या तेज दर्द हो सकता है। इसके लक्षण हैं जोड़ों में अकड़न, सूजन और चलने-फिरने में परेशानी। जबकि ऑस्टियोपोरोसिस में समय के साथ हड्डियों की डेनसिटी (घनत्व) कम हो जाता है।

हड्डियों का कमजोर होना उम्र से जुड़ी एक प्रक्रिया है, आमतौर पर 50 से 60 की उम्र के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, ज्यादातर लोगों को इसके कारण जोड़ों के दर्द, अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। आज यहां हम आपको कुछ तत्थों के माध्यम से बताएंगे कि अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस में अंतर क्या है।

क्या होता है अर्थराइटिस

अर्थराइटिस जोड़ों के ऊतकों की जलन और क्षति के कारण होता है । जलन के कारण ही ऊतक लाल, गर्म, दर्दनाक और सूज जाते हैं। यह सारी समस्या यह दर्शाती है की आपके जोड़ों में कोई समस्‍या है। जोड़ वह जगह होती है जहां पर दो हड्डियों का मिलन होता है जैसे कोहनी या घुटना । कुछ तरह के अर्थराइटिस में जोड़ों की बहुत ज्यादा क्षति होती है।

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अर्थराइटिस के लक्षण

शुरुआत में मरीज को बार-बार बुखार आता है, मांसपेशियों में दर्द रहता है, हमेशा थकान और टूटन महसूस होती है, भूख कम हो जाती है और वजन घटने लगता है।शरीर के तमाम जोड़ों में इतना दर्द होता है कि उन्हें हिलाने पर ही चीख निकल जाए, खासकर सुबह के समय। इसके अलावा शरीर गर्म हो जाता है, लाल चकत्ते पड़ जाते हैं और जलन की शिकायत भी होती है। जोड़ों में जहां-जहां दर्द होता है, वहां सूजन आना भी इस बीमारी में आम है। जोड़ों के इर्द-गिर्द सख्त गोलाकार गांठें जैसी उभर आती हैं, जो हाथ पैर हिलाने पर चटकती भी हैं। शरीर के किसी भी अंग को हिलाने पर दर्द, जलन और सूजन की तकलीफ झेलनी पड़ती है।

जानें क्या है आस्टियोपोरोसिस

ऑस्टियोपोरोसिस का शाब्दिक अर्थ पोरस बोन्स है। अर्थात ऐसी बीमारी, जिसमें हड्डियों की गुणवत्ता और घनत्व कम होता जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण सामान्यत: जल्दी दिखाई नहीं देते हैं। दरअसल हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स से बनी होती हैं। लेकिन अनियमित जीवनशैली और बढ़ती उम्र के साथ ये मिनरल नष्ट होने लगते हैं, जिस  वजह से हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है और वे कमजोर होने लगती हैं। कई बार तो हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि काई छोटी सी चोट भी फ्रैक्चर का कारण बन जाती है। गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक महिलाओं में हीप फ्रेक्चर (कुल्हे की हड्डी का टूट जाना) की आशंका, स्तन कैंसर, यूटेराइन कैंसर तथा ओवरियन कैंसर जितनी ही है।

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क्या है लक्षण

आरंभिक स्थिति में दर्द के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस के कुछ खास लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन जब अक्सर कोई मामूली सी चोट लग जाने पर भी फ्रैक्चर होने लगे, तो यह ऑस्टियोपोरोसिस का बड़ा संकेत होता है। इस बीमारी में शरीर के जोडों में जैसे रीढ़, कलाई और हाथ की हड्डी में जल्दी से फ्रैक्चर हो जाता है। इसके अलावा बहुत जल्दी थक जाना, शरीर में बार-बार दर्द होना, खासकर सुबह के वक्त कमर में दर्द होना भी इसके लक्षण होते हैं। इसकी शुरुआत में तो हड्डियों और मांसपेशियों में हल्का दर्द होता है, लेकिन फिर धीरे-धीरे ये दर्द बढ़ता जाता है। खासतौर पर पीठ के निचले हिस्से और गर्दन में हल्का सा भी दबाव पड़ने पर दर्द तेज हो जाता है। क्योंकि ऑस्टियोपोरोसिस का शुरुआती दौर में अक्सर पता नहीं लग पाता, इसलिए इसके जोखिम से बचने के लिए 50 साल की आयु के बाद डॉक्टर नियमित अंतराल पर एक्स-रे कराने की सलाह देते हैं, ताकि इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके।

निष्कर्ष

आॅस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस दोनों ही अलग अलग प्रकार के रोग होते हैं इनके लक्षण और कारण भी काफी अलग हैं। लेकिन कई चीजें समान हैं। यह रोग आमतौर पर 50 या उससे अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। ये बीमारियां हमारी आपकी हड्डियों से जुड़ी हैं।

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