डायबिटीज को खतरनाक बीमारी माना जाता है क्योंकि इसके कारण कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन का स्राव बिल्कुल बंद होने के कारण किडनी यानि गुर्दे से जुड़ी बीमारियों की आशंका काफी बढ़ जाती है। किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो सैकड़ों फंक्शन्स में शरीर की मदद करता है। किडनी हमारे ब्लड को प्यूरीफाई करते हैं और शरीर से गंदगी निकालने में मदद करते हैं। इसलिए किडनी खराब होने से कई बार समस्या गंभीर हो सकती है।
डायबिटीज और किडनी
मधुमेह रोगियों के गुर्दे में कई बार समस्या हो जाती है, जिसके कारण गुर्दा काम करना बंद कर देता है। गुर्दे पर असर पड़ने से हाई ब्लडप्रेशर होना, खून की कमी आदि समस्याएं पैदा हो जाती है। ऐसे में रोगियों को यूरीन टेस्टन करवाने की सलाह दी जाती है। टेस्ट के जरिए यूरीन में प्रोटीन व खून के रिसाव के बारे में पता किया जाता है। इसके अलावा अगर यूरीन में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है तो इससे किडनी फेल होने का खतरा रहता है।
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एल्ब्युमेन्यूरिया का खतरा
एल्ब्यूमिन्यूरिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पेशाब का एल्ब्यूमिन स्तर बढ़ जाता है। यह फेफड़े की बीमारी व गुर्दे की बीमारी के जुड़े होने का संकेत हो सकता है, जो कि नेफ्रोपैथी से जुड़ा है। एल्ब्युमिन खून में पाया जाने वाला एक खास तरह का प्रोटीन होता है, जो मांसपेशियों के निर्माण में, टिशूज को रिपेयर करने में और इंफेक्शन से लड़ने में शरीर की मदद करता है। एल्ब्युमिन आपके खून में होना चाहिए जबकि डायबिटीज के मरीजों में किडनी के खराब होने की वजह से ये यूरिन में घुलने लगता है और पेशाब के सहारे बाहर निकल जाता है। यूरिन में एल्ब्युमिन होने को ही एल्ब्युमेन्यूरिया कहते हैं।
दिल पर भी पड़ता है असर
मधुमेह में आपको अपने खान-पान को लेकर कई तरह की सावधानियां बरतनी होती है क्योंकि इसमें हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है। वसायुक्त खाने से कोलोस्ट्रोल बढ़ जाता है जो हृदय के लिए खतरनाक है। जिससे हार्टअटैक या हृदयघात जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। मधुमेह व हृदय रोग एक साथ होना रोगी के लिए काफी घातक होता है।
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कैसे करें बचाव
ब्लड शूगर को नियमित रूप से नियंत्रित रखें, क्योंकि डायबिटीज वाले लोगों के गुर्दे क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है। डॉक्टर्स प्रतिदिन डेढ़ से दो लीटर यानी तीन से चार बड़े गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं। काफी मात्रा में तरल लेने से गुर्दो से सोडियम, यूरिया और जहरीले तत्व साफ हो जाते हैं, जिससे गुर्दो के लंबे रोग पैदा होने का खतरा काफी कम हो जाता है। लेकिन जरूरत से ज्यादा तरल भी न लें,क्योंकि इसके प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं।
ब्लड प्रेशर रखें कंट्रोल
ब्लड प्रेशर की निगरानी रखें। यह गुर्दो की क्षति का आम कारण होते हैं। सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 होता है। 128 से 89 को प्रि-हाईपरटेंशन माना जाता है और इसमें जीवनशैली और खानपान में बदलाव करना होता है। 140/90 से अधिक होने पर अपने डॉक्टर से खतरों के बारे में बात करें।
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