भारत में एन्यूरिज्म जैसी बीमारियों के बारे में लोग बहुत कम जानते हैं, जिसके कारण ये बीमारी हर साल हजारों लोगों को अपना शिकार बनाती है। आमतौर पर पेट और दिमाग में होने वाली ये बीमारी कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जानकारी और इलाज के अभाव में भारत में इस बीमारी की चपेट में आए 95% लोगों की मौत हो जाती है। जिन मरीजों को इस बीमारी से बचा भी लिया जाता है उन्हें कोई न कोई न्यूरोलॉजिकल समस्या हो जाती है, जिसके कारण वो सामान्य जिंदगी दोबारा नहीं जी पाते हैं। ऐसी खतरनाक बीमारियों के बारे में अगर आपको थोड़ी-बहुत जानकारी पहले से हो, तो कम से कम मरीजों को सही समय पर अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाई जा सकती है। आइए आपको बताते हैं कि क्या है एन्यूरिज्म और क्या हैं इस खतरनाक बीमारी के लक्षण।
क्या है एन्यूरिज्म
एन्यूरिज्म को हिंदी में धमनी विस्फार या धमनीस्फीति कहते हैं। ये एक खतरनाक बीमारी है जो आमतौर पर मस्तिष्क, पेट और पैर में होती है। इस बीमारी में व्यक्ति के धमनियों या धमनी (आर्टरी) के किसी एक हिस्से की दीवार बेहद कमजोर हो जाती है। ऐसे में जब रक्त के प्रवाह का दबाव उस पर पड़ता है, तो वो फैलने लगती है और उसमें उभार आ जाता है। आमतौर पर ये उभार धमनी के किसी एक छोटे से हिस्से में होता है मगर फिर भी ये खतरनाक होता है क्योंकि इससे रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है। इसके अलावा धमनी में होने वाला ये उभार आस-पास के टिशूज यानि ऊतकों पर दबाव डालता है, जिससे दर्द होता है।
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कितनी गंभीर बीमारी है एन्यूरिज्म
एन्यूरिज्म गंभीर बीमारी है क्योंकि धमनियों में सूजन की वजह से न सिर्फ तेज दर्द होता है बल्कि कई बार धमनी फट भी जाती है और खून धमनी से बाहर निकलने लगता है। इसके अलावा जिस धमनी में सूजन या उभार आता है उसके आस-पास की नर्व्स यानि तंत्रिकाएं भी उससे प्रभावित होती हैं। इस बीमारी की गंभीरता इसलिए भी बढ़ जाती है कि ज्यादातर लोगों में इस बीमारी के लक्षण तब दिखाई देते हैं, जब ये एकदम आखिरी स्टेज पर पहुंच जाती है। इस कारण अस्पताल पहुंचने से पहले ही 60% मरीजों की मौत हो जाती है।
एन्यूरिज्म का कारण
एन्यूरिज्म के सही कारणों का पता अब तक नहीं चल सका है मगर कुछ ऐसे फैक्टर हैं, जो इस बीमारी की आशंका को बढ़ाते हैं। जैसे- धमनियों की टिशूज अगर खराब हो गई हैं, तो इसके कारण उसकी दीवारें कमजोर हो सकती हैं और ये बीमारी हो सकती है। इसके अलावा खून का थक्का जम जाने के कारण भी दीवारों पर भारी दबाव पड़ सकता है, जिसके कारण नसें फट सकती हैं। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर के कारण भी नसों पर दबाव संभव है और ये बीमारी हो सकती है।
एन्यूरिज्म के लक्षण
एन्यूरिज्म के लक्षणों का पता लगाना बड़ा मुश्किल होता है इसके लक्षण बाहर से जल्दी दिखाई नहीं देते हैं। अगर एन्यूरिज्म त्वचा के नीचे किसी धमनी में है, तब तो आपको त्वचा पर उभार दिखाई देता है मगर अगर ये शरीर के काफी अंदर किसी धमनी में है, तो इसे पहले से नहीं देखा जा सकता है। फिर भी अगर निम्न लक्षण आपको दिखाई देते हैं, तो जल्द से जल्द एक बार चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
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- शरीर के किसी हिस्से से अचानक खून निकलना
- दिल की धड़कन बढ़ जाना
- नसों में तेज दर्द महसूस होना
- चक्कर आना और सिर घूमना
किन्हें होता है एन्यूरिज्म का खतरा
एन्यूरिज्म का खतरा आमतौर पर 35 से 40 साल के लोगों को ज्यादा होता है मगर बच्चों को भी ये रोग हो सकता है। इसके अलावा कई बार व्यक्ति की कुछ आदतें भी इस बीमारी के खतरे को बढ़ाती हैं, जैसे- ज्यादा फैट और कोलेस्ट्रॉल वाले फूड्स का सेवन परिवार में दिल की बीमारी का पुराना इतिहास धूम्रपान, मोटापा और कई बार प्रेगनेंसी भी
क्या एन्यूरिज्म से बचाव संभव है?
- एन्यूरिज्म के संभावित कारणों को लाइफस्टाइल में थोड़ा-बहुत बदलाव लाकर बहुत हद तक कम किया जा सकता है, जिससे आपको ये गंभीर बीमारी न हो। इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखें-
- प्रोटीन और फाइबर युक्त आहार का सेवन करें।
- फास्ट फूड्स, जंक फूड्स और घी-तेल वाले आहारों का सेवन कम करें क्योंकि इनमें अनसैचुरेटेड फैट होता है।
- सैचुरेटेड फैट वाले आहारों का सेवन करें जैसे मीट, अंडा, मछली आदि।
- नियमित एक्सरसाइज करें खासकर कार्डियो एक्सरसाइज।
- धूम्रपान और तंबाकू का सेवन बिल्कुल न करें।
- अपना ब्लड प्रेशर सामान्य रखें।
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