डायबिटीज रोगियों में है दोहरे संक्रमण का खतरा, डॉक्‍टरों ने दी ये चेतावनी

"डायबिटीज रोगी दोहरे संक्रमण से ग्रसित होते हैं। बुखार के लगभग 10 प्रतिशत मामले इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं जबकि डायबिटीज पीड़ितों में यह 25 प्रतिशत है" ये बात जाने-माने फिजिशियन डॉक्‍टर मनोज कुमार ने कही है। उन्होंने कहा कि इन रोगियों को संक्रमणों से बचने के लिए इलाज कराना चाहिए क्‍यों कि ऐसे मामलों में मृत्यु दर भी अधिक है।
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डायबिटीज रोगियों में है दोहरे संक्रमण का खतरा, डॉक्‍टरों ने दी ये चेतावनी


"डायबिटीज रोगी दोहरे संक्रमण से ग्रसित होते हैं। बुखार के लगभग 10 प्रतिशत मामले इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं जबकि डायबिटीज पीड़ितों में यह 25 प्रतिशत है" ये बात जाने-माने फिजिशियन डॉक्‍टर मनोज कुमार ने कही है। उन्होंने कहा कि इन रोगियों को संक्रमणों से बचने के लिए इलाज कराना चाहिए क्‍यों कि ऐसे मामलों में मृत्यु दर भी अधिक है।

 

डॉ मनोज ने कहा "यह देखा गया है कि डायबिटीज रोगियों की स्थिति बिगड़ती है। इसलिए, दोनों संक्रमणों का त्वरित निदान महत्वपूर्ण है। जबकि ज्यादातर डॉक्टर रैपिड किट टेस्ट करवाते हैं, इसके लिए एंजाइम से जुड़ी इम्युनोसोर्बेंट जांच महत्‍वपूर्ण है जो सही परीक्षण करता है, खासकर उच्‍च जोखिम वाले मरीजों में। 

वहीं दूसरी तरफ सिद्धार्थ मेडिकल कॉलेज के डॉक्‍टर के सुधाकर कहते हैं कि आम लोगों में दोहरे संक्रमण वाली बात बहुत आम नहीं है, खासकर उनमें जिनकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। "शरीर फिजियोलॉजी (शरीर क्रिया विज्ञान) की तरह काम नहीं करता है और इसका मृत्‍यु दर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। उदाहरण के लिए, जब किसी रोगी में डेंगू और चिकनगुनिया का पता चलता है, तो उपचार के पाठ्यक्रम में बहुत अंतर नहीं होता है"

कृष्णा जिला के मलेरिया अधिकारी डॉक्‍टर के अदिनारायण ने कहा कि इन दोहरे संक्रमणों को सह-संक्रमणों के साथ भ्रमित नहीं किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि "सह-संक्रमण एक ऐसे व्यक्ति को होता है जो पहले से ही दीर्घकालिक संक्रमण से पीड़ित है। यह ठीक वैसे ही है जैसे एचआईवी मरीज को टीबी हो। ये बुखार मौसमी बीमारियों के होते हैं और इलाज में देरी होने पर जटिल हो जाते हैं। अन्यथा, वे घातक नहीं हैं"

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प्रजा आरोग्य वेदिका के सचिव डॉ एमवी रामानैया ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग मलेरिया और डेंगू या डेंगू और टाइफाइड जैसे दोहरे संक्रमणों के शिकार होते हैं। उन्होंने कहा "मधुमेह, कैंसर, उच्च रक्तचाप जैसे जोखिम कारकों की पहचान करना इन मामलों में महत्वपूर्ण है। यदि डॉक्टर को संभावित दोहरे संक्रमणों के लिए डायग्‍नोस्टिक टेस्‍ट करने के लिए सतर्क किया जाए, तो रोगी का जल्दी से इलाज किया जा सकता है!" 

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डॉक्‍टर रामानैया ने कहा कि भारत में पब्लिक हेल्‍थ सेक्‍टर प्रणाली में, डॉक्टर आमतौर पर केवल एक संक्रमण के लिए डायग्‍नोस्टिक टेस्‍ट करते हैं और उपचार शुरू करते हैं। जब बुखार और उसके लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, फिर वे अन्य परीक्षण करने के लिए आगे बढ़ते हैं।

साभार: हेल्‍थवर्ल्‍ड  

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