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World Diabetes Day 2021: टाइप-1 डायबिटीज ने कैसे बदल दी जैज़ की जिंदगी, जानें उन्ही से

टाइप 1 डायबिटीज ने कैसी बदल दी जैज़ सेठी की जिंदगी? किन बदलावों का सामना करना पड़ा जैज़ को? इन सभी सवालों के जबाव जानते हैं उन्हीं से...
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World Diabetes Day 2021: टाइप-1 डायबिटीज ने कैसे बदल दी जैज़ की जिंदगी, जानें उन्ही से

जब किसी व्यक्ति को टाइप-1 डायबिटीज की समस्या होती है तो उसके शरीर में इन्सुलिन या तो कम बनता है या फिर बिल्कुल ही बनना बंद हो जाता है। अब सवाल ये है कि इन्सुलिन क्या है? तो बता दें कि यह एक हार्मोन है जो आपके ब्लड में शुगर को घुलने में मदद करता है और जब इसकी कमी हो जाती है तो व्यक्ति मधुमेह की समस्या का शिकार हो जाता है। जब किसी व्यक्ति को टाइप 1 डाबिटीज की समस्या होती है तो उसे लक्षणों के रूप में कई परेशानियां होती हैं, जैसे- बार-बार प्यास लगना, बार-बार मूत्र त्यागने जाना, सिर दर्द की समस्या, किसी घाव का जल्दी ना भर पाना, मूड स्विंग, चक्कर आना, वजन का कम होना आदि। जैंज़ सेठी जो कि एक टाइप 1 डायबिटीज सर्वाइवर हैं, उनका भी वजन एक साथ 7 किलो कम हो गया। हालांकि, अन्य लक्षण जैसे बार-बार पानी पीना, बार-बार वॉशरूम जाना आदि नजर आ रहे थे। लेकिन शुरुआती दिनों में वे फुटवॉल और डांस प्रैक्टिस ज्यादा करती थीं तो परिवार वालों को लगा कि हो सकता है इस कारण ये लक्षण नजर आ रहे हैं। लक्षणों के बढ़ने पर डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि ये कोई मामूली लक्षण नहीं बल्कि टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण हैं। उस वक्त जैज़ की उम्र मात्र 13 वर्ष थी। इतनी बड़ी बीमारी को समझने की ना तो कोई उम्र थी और ना ही अनुभव। ऐसे में जैज़ ने कैसे खुद को इस बीमारी का सामना करने के लिए खुद को तैयार किया? और कैसे-कैसे बदलाव उनके शरीर के साथ-साथ उनकी जीवनशैली में आए? जानते हैं इन सभी सवालों के साथ उन्हीं से...

शुगर लेवल 900 होने के वाबजूद चलकर गई एमरजेंसी रूम

जैज़ ने बताया, "वेट लॉस होने पर डॉक्टर के कहने पर जब यूरीन टेस्ट और बल्ड टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट सीधे डॉक्टर के पास गई और उन्होंने तुरंत पापा को फोन करके बोला कि आप जैज़ को अभी हॉस्पिटल लेकर जाओं क्योंकि शुगर 900 है। जब मुझे एमरजेंसी रूम में ले जाया गया तो डॉक्टर ने आने का कारण पूछा। चूंकि मैं रूम में चलकर गई थी और होश में थी तो डॉक्टर ये मानने को ही तैयार नहीं थे कि मेरी शुगर 900 है। उनका कहना था कि अगर 900 शुगर होती तो ये कोमा में होती, चलकर यहां तक आ ही नहीं पाती। ऐसे में फिर से शुगर लेवल चैक हुआ तो इस बार मेरा शुगर 1050 आया। यानि 150 और बढ़ा हुआ आया। रिपोर्ट देखते ही डॉक्टर ने मुझे आईसीयू में एडमिट कर लिया। मेरे पापा जो कि एक स्पोर्टपर्सन हैं, उस वक्त उन्होंने मेरी हिम्मत बांधी।    

डॉक्टर ने कहा, लाइफ लॉन्ग कंडीशन है ये

13 की बच्ची की अगर हॉस्पिटल लेकर जाया जाए तो उसो लगता है कि ये बस कुछ पल के लिए फिर सबकुछ पहले जैसा हो जाएगा। लेकिन जब डॉक्टर ने मुझे बताया कि ये समस्या अब जीवनभर रहनी है तो मेरा रातों-रात जिंदगी बदल गई। ऐसे शुरु हुआ मेरा टाइप-1 डायबिटीज के साथ सफर। शुरुआत में मैं इंसुलिन इंजेक्शन लेती थी, ग्लूकोमीटर से मॉनिटर करती थी। वहीं कुछ सालों के बाद इंसुलिन पम्प लगाया। अभी फिलहाल में लूपिंग यानि DIYAPS का इस्तेमाल कर रही हूं। ये एक artificial pancreas systems है।      

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2018 में शुरू किया अपना फाउंडेशन Diabesties

जब मैं छोटी थी और टाइप 1 डायबिटीज के बारे में सर्च करती थी तो यूट्यूब पर बस डॉक्टर्स ही इस विषय पर बोलते नजर आते थे। वहीं जब बड़ी हुई तो देखा कि अपने आस-पास कोई ऐसा व्यक्ति है ही नहीं, जिसे ये टाइप 1 समस्या हो। ऐसे में मैंने खुद को एक अकेला पाया। यही कारण था कि मैंने 2018 में फाउंडेशन Diabesties की शुरुआत की और टाइप 1 डायबिटीज एजुकेशन, अवेयरनेस, मिसइंफोर्मेशंस, मिथ्स आदि के बारे में लोगों तक पहुंचाया। हमारी टीम में टाइप 1 डायबिटीज और बिना टाइप 1 डायबिटीज पीड़ित दोनों लोग शामिल हैं। अब 4 साल में ये फाउंडेशन 12 शहरों में मौजूद है। इन 12 शहरों में जौतपूर, चंडीगढ़, इंदौर आदि शामिल है। नेशनल बॉडीज एनएचएस, इंडिया, इंग्लैंड वाला, जे डीआरएस आदि। इसस अलग एक एंथम भी लौन्च किया ना रुकेंगे हम। इससे अलग टाइप 1 डायबिटीज पर कॉमिक बुक बनाई। इन सबको करने का लक्ष्य था टाइप 1 डायबिटीज को लोगों को स्पोर्ट करना।

 
 
 
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टाइप 1 के कारण जीवन में आना वाला बदलाव

मेरा मानना है कि आज मैं जो हूं अपने टाइप 1 डायबिटीज के कारण ही हूं। इसी के कारण मुझे अनुसाशन का मत्लब समझ आया। टाइमटेबल का महत्व समझ आया। ऐसे में मैं कह सकती हूं कि टाइप1 डायबिटीज ने मेरे जीवन को एक अलग दिशा दी।

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जीवन की अहम घटनाएं

मुझे याद है कि मेरा हिंदी का पेपर था और मैं हिंदी विषय में ज्यादा अच्छी नहीं थी। तो नर्वसनेस के कारण मेरा शुगर 400 हो गया। क्योंकि शुगर तनाव की वजह से भी बढ़ सकता है। ऐसे में मैंने तनाव से दूर रहने के लिए कई तरीकों को अपनाया, जिससे मेरा शुगर लेवल ना बढ़े। और ये मेरे लिए एक सीख भी थी कि कैसी भी परिस्थिति आए तनाव से बचना है। इससे अलग मेरी मां स्कूल की प्रिंसिपल थी तो उन्होंने सभी टीचर्स और बच्चों के साथ सेशन किया और मेरी कंडीशन के बारे में बताया। और उन लोगों ने भी मेरे कारण मीठा खाना बंद कर दिया था। हालांकि बाद में पता चला कि मेरा डाइट काफी सीमित हो गया है। मतलब मुझे हमेशा अपने पास ग्लूकोस रखना है, डाइट में कार्ब्स जोड़ने हैं आदि, इन सभी बदलावों को मैंने  स्वीकार किया।  

लोगों के लिए मैसेज 

आज के समय में लोगों को लगता है कि अगर वे इंसुलिन लेंगे तो उन्हें उसकी आदत लग जाएगी। ऐसे में वे आयुर्वेदा या किसी अन्य ट्रीटमेंट की राह पकड़ लेते है। पर ऐसा नहीं है। मैं सबको यही बोलना चाहूंगी कि कुछ भी हो जाए अगर टाइप 1 डायबिटीज है तो इंसुलिन जरूर लें। इससे अलग व्यक्ति को टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों का पता होना जरूरी है। इससे बच्चों को समय रहते टाइप 1 डायबिटीज के लिए तैयार किया जा सकता है।

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