
बच्चों की परवरिश करना किसी भी माता-पिता के लिए आसान नहीं होता है। वहीं अगर आप शुरु से उनसे बात-बात पर ऑर्डर दे कर बात करनी की आदत रखेंगे, तो एक दिन आपके खिलाफ हो जाएंगे और उसी तरह की गतिविधियां करेंगे। इसके लिए जरूरी है कि आपको बच्चों के साथ कभी तर्कपूर्ण व्यवहार के साथ, तो कभी इमोशनल तरीके से डिल करें। पर फिर भी आपका बच्चा आपके खिलाफ बात करता है, तो आपको अपने पेरेंटिंग में बदलाव (Tips for parents)करने की जरूरत है। खास कर अगर आपका बच्चा आपके हर बात पर बेहस करने की आदत (Way to deal with an argumentative child)रखता है तो। ऐसे में पहले तो आपको समझना होगी कि आपका बच्चा आपसे किन मुद्दों पर, किस तरह की बेहस करता है। उसके बाद जानेंगे कि बच्चों में बहस करने की आदत को कैसे ठीक किया जा सकता है।
क्या आपका बच्चा तर्कपूर्ण बहस करता है?
आपको अपने बच्चे के व्यवहार के प्रति हमेशा निगेटिव रवैया नहीं रखना चाहिए। हो सकता है कई बार आप भी गलत हों और वो सही हों। वास्तव में एक बच्चे का तर्कपूर्ण व्यवहार किसी क्रोध की भावना से प्रभावित नहीं होता है, बल्कि वो अपनी बात रखना चाहता है, जिसे वो रख नहीं पाता है। वास्तव में, एक तर्कपूर्ण बहस करना एक बच्चे का लगातार नई सोच और चीजों को जानने की ओर अग्रसर करता है। लेकिन, कुछ मामलों में, यह एक बच्चे के तरीके से बातचीत करने के कारण खराब हो जाता है और लोगों को इससे बुरा लग जाता है।
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बच्चों में बहस करने की आदत को कैसे ठीक करें (Way to deal with an argumentative)?
1. अपने बच्चे की बात सुनें तब रिएक्ट करें
ज्यादातर समय,एक बच्चा अपनी बात मनवाने के लिए तर्कों का सहारा लेता है। वह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वह निश्चित नहीं है कि उसकी राय सुनी जाएगी या उस पर ध्यान दिया जाएगा। इसलिए, अपने बच्चे को धैर्य के साथ उसे यह विश्वास दिलाने के लिए सुनिए कि उसकी चिंताओं का सम्मान किया जाएगा और उसे गंभीरता से लिया जाएगा। इससे उसे अपने विचारों को शांत तरीके से रखें और उन्हें समझाएं कि ये गलत तरीका है।
2. खुले हुए विकल्प दें
अधिकांश माता-पिता अपने बच्चे के विचारों को खारिज करते हैं और उस पर अपना खुद के विचारों का दबाव डालते हैं। यह बच्चे को उसकी आवाज उठाने और तर्कों का उपयोग करके अपनी बात कहने करने का मौका देता है क्योंकि उन्हें लगता है धीमी आवाज में उनकी बातों का आप पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आपके बच्चे ने जो कुछ भी कहा है उसे खारिज करने के बजाय, उसके सामने विकल्प पेश करें। यह आप दोनों के काम आएगा। तब ये महसूस कराएगा कि उनके पास चुनने के लिए कई विकल्प हैं, यह आपको उन पर नियंत्रण बनाए रखने में मदद करेगा।
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3.वाद को विवाद में न बदलने दें
हर बात अगर आप अपने बच्चे को बताएंगे कि वो यहां गलत हैं और यहां सही तो ये उन्हें आपसे बहस करना शुरु करेंगे और फिर ये उनकी आदत में शामिल हो जाएगा। इसलिए अपने और उनके बीच एक सकारात्मक इंटरैक्शन रखें और दोनों तरफ से बात करें।
ध्यान रखें कि स्वस्थ तर्क हमेशा अच्छे होते हैं इसलिए उसे बोलने का मौका दें। इससे आगे चलकर दूसरों को समझाने में उसके कौशल में सुधार आएगा और वो एक मजबूत व्यक्तित्व वाले व्यक्ति बन पाएंगे। साथ ही आपको उन्हें तार्किक सोच को लागू करके अपने मामलों को प्रभावी ढंग से पेश करना सिखाएं और उन्हें महसूस करवाएं कि स्थिति चाहे जो भी हो, आप उनके साथ हैं।
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