जानलेवा कांगो फीवर से गुजरात में 3 की मौत, जानें क्‍या है कांगो बुखार के लक्षण व बचाव के उपाय

कांगो फीवर (Congo Fever)यह एक वायरल बुखार है, जो कि जानवरों के संपर्क में रहने से फैलता है। आमतौर पर इसके शिकार जानवर होते हैं लेकिन यह वायरस मनुष्‍यों में भी फैल सकता है। कांगो वायरस (Congo Virus) की चपेट में आने वाले व्‍यक्तियों में 30 से 80 फीसदी मौत की आशंका रहती है। 
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जानलेवा कांगो फीवर से गुजरात में 3 की मौत, जानें क्‍या है कांगो बुखार के लक्षण व बचाव के उपाय

Congo Hemorrhagic Fever:गुजरात में  हाल में कांगो फीवर बहुत तेजी से फैल रहा है। इस वायरल बुखार की चपेट में आकर अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लगभग 8 लोग इस वायरस की चपेट में हैं। कांगो फीवर एक वायरस के जरिए फैलने वाली बीमारी है, जो कि जानवरों से इंसानों में फैलती है। जानवरों की चमड़ी में पाया जाने यह जीवाणु , जिसका नाम हिमोरल है। कांगो फीवर की चपेट में आने का खतरा सबसे अधिक उन लोगों को होती है, जिनके घर में पालतू जानवर जैसे- गाय, भैंस, कुत्‍ता या भेड़-बकरी के संपर्क में रहते हैं। 

भारत में पहली बार पनपा कांगो 

य‍ह वायरस सबसे पहले क्रीमिया देश में पाया और पहचाना गया। यह वायरस पूर्वी व पश्चिमी अफ्रीका में अधिक पाया जाता है, जो कि ह्यालोमा टिक (Hyalomma tick) से पैदा होता है। उसके बाद 2001 में ईरान, पाकिस्‍तान और दक्षिण अफ्रीका में कांगों फीवर का प्रकोप बढ़ा और अब भारत में पहली बार इस रोग की दस्‍तक गुजरात में हुई। यह काफी खतरनाक और जानलेवा रोग है, जो कि 3 से 9 दिन के अंतराल में काफी गंभीर व जानलेवा हो सकता है। 

क्‍या है कांगो फीवर?

कांगो फीवर एक जानलेवा वायरल बुखार है। जिसमें कि व्‍यक्ति की मौत का बहुत अधिक खतरा होता है। जानलेवा साबित हो सकता है. इस वायरल इन्फेक्शन से पीड़ित 30 से 80 फीसदी  यह बीमारी टिक्स या पिस्सू के जरिए इंसानों में फैलती है। कांगो फीवर की शुरूआत पूरे शरीर व मांसपेशियों में दर्द और थकान के साथ होती है और लगभग 3-9 दिन में यह वायरस पूरे शरीर को संक्रमित कर देता है। 

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कांगो फीवर के लक्षण

  • कांगो फीवर के  कुछ शुरूआती सामान्‍य से लक्षण पूरे शरीर और मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द, चक्‍कर, आंखों में जलन और तेज बुखार आना है। जिसकी वजह से कई बार लोग इसे अनदेखा करने की भूल कर बैठते हैं। 
  • कांगो फीवर में व्यक्ति के शरीर से खून आने लगता है  यानि तेजी से खून का रिसाव होने लगता है। 
  • इसके अलवा इस बीमारी में व्‍यक्ति के शरीर के महत्वपूर्ण अंग एक साथ काम करना बंद कर देते हैं।  
  • कुछ मामलों में संक्रमित व्‍यक्ति में चिड़चिड़ापन और आंखों से पानी आने की समस्‍या भी हो सकती है। इसके अलावा उल्टी, पीठ में दर्द और ब्‍लड पलेटलेट्स का तेजी से गिरना इस बुखार के प्रमुख लक्षण हैं। 

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कांगो फीवर से बचाव 

हालांकि कांगो फीवर के इलाज के लिए कोई विशेष टीका उपलब्‍ध नहीं है। यह डेंगू बुखार के समान ही है। इस रोग में सावधानी ही बचाव है। इसलिए यदि आपको कांगो फीवर से जुड़े कोई भी लक्षण खुद में दिखें, तो तुरंत डाक्‍टर से अपने खून की जांच करवाएं। इसके अलावा घर के पालतू जानवरो की सफाई का विशेष ध्‍यान रखें। बहुत से लोग जानवरों के संपर्क में अधिक रहते हैं, जिसकी वजह से वह कई अन्‍य बीमारियों से भी पीडि़त हो जाते हैं। इसलिए खासतौर पर कुत्‍ते या बिल्‍ली जिन्‍हें कि कई दफा हम अपने पास सुलाते हैं या फिर लाड़-प्‍यार करते उनसे काफी चिपकते हैं, तो ऐसे पालतू जानवरों से दूरी बनाए रखें।

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