मानसून में औरतों को होता है सिस्टाइटिस रोग का खतरा, ऐसे पहचानें इसके लक्षण

सिस्टाइटिस एक ऐसा रोग है जिसमें पेशाब मार्ग में सूजन, जलन और दर्द की शिकायत होती है। 
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मानसून में औरतों को होता है सिस्टाइटिस रोग का खतरा, ऐसे पहचानें इसके लक्षण

सिस्टाइटिस एक ऐसा रोग है जिसमें पेशाब मार्ग में सूजन, जलन और दर्द की शिकायत होती है। बारिश के मौसम में या हल्दी सर्दी के मौसम में इस रोग के होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। डॉक्टर्स कहते हैं कि इस रोग में प्यास कम लगती है इसलिए लोग पानी कम पीते हैं। मगर क्या आपको पता है कि कम पानी पीना आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। इससे सिर्फ डिहाइड्रेशन नहीं बल्कि कई तरह के संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। सिस्टाइटिस भी संक्रमण के कारण ही फैलने वाला रोग है। इस रोग में हाइड्रेशन होने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।

संक्रमण से बचाव पर बात करते हुए डॉक्टर्स कहते हैं कि हमेशा स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करना चाहिए, स्वच्छता किसी भी रोग से बचने का सबसे बड़ा उपाय है। चूंकि यह रोग पुरुष व महिला दोनों को प्रभावित करता है लेकिन महिलाओं में होने के चांस ज्यादा रहते हैं इसलिए सुरक्षित संबंध बनाना भी बहुत जरूरी है। अगर किसी को सिस्टाइटिस रोग हो गया तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए क्योंकि समय रहते इलाज न होने पर यह गंभीर रोगों को दावत दे सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, गंदे शौचालयों या शौचालयों की कमी जैसे कारणों के साथ भारत में लगभग 30 फीसदी महिलाएं इसकी पीड़ित हैं।

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सावधानी है जरूरी 

अगर मूत्र नली में संक्रमण की समस्‍या होने पर इसे नजरअंदाज किया जाये तो इसके कारण इसके संक्रमण से किडनी फेल होना तय है। अगर पेशाब की धार कम हो जाए, पेशाब करने में अधिक समय लगे और अधिक जोर लगाना पड़े तो समझ लीजिए कि मूत्र-नलिका संकरी हो गई है। कई बार संक्रमण की वजह से मूत्र नलिका खराब हो जाती है। कभी-कभी यूरीन इंफेक्शन, चोट, पेशाब के रास्ते में लंबे समय तक नली पड़ने व असुरक्षित यौन संबंध से भी यह समस्या होती है। ऐसे में तत्काल यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें और यूरीन कल्चर कराएं।

सिस्टाइटिस के लक्षण

  • पेशाब के दौरान दर्द होना।
  • वैजाइना में दर्द या जलन होना।
  • बार-बार पेशाब आना।
  • मूत्र से दुर्गंध आना।
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द होना।
  • हल्का बुखार होना।
  • कभी-कभी मूत्र के साथ खून भी आना।
  • यूरिन पास करने के दौरान अधिक समय लगना।

क्या है इसका इलाज

यूरोलॉजिस्‍ट की मानें तो मूत्र संक्रमण का इलाज यूरेथ्रोप्लास्टी विधि से सर्जरी संभव है। इस सर्जरी के जरिये मूत्र-नलिका का निर्माण गाल एवं होंठ के अंदर के ऊतक (म्यूकोजा) से किया जाता है। यह सर्जरी आसान है और इससे किडनी फेल होने से बचाया जा सकता है।

इन बातों का रखें ध्यान

  • बार-बार पेशाब लगना, पेशाब करने के दौरान जलन, बुखार, बदबूदार पेशाब होना और पेशाब का रंग धुंधला या फिर हल्का लाल होना और पेट के निचले हिस्से में दबाव महसूस होना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं।
  • इस बीमारी से बचने के लिये खूब ज्‍यादा पानी पीएं। हर एक घंटे में पेशाब लगनी जरुरी होती है इसलिये आपको लगभग 8-10 ग्‍लास पानी तो रोज पीना चाहिये। कुछ स्थितियों में संक्रमण मूत्राशय से ऊपर गुर्दों में पहुंचकर इनमें संक्रमण कर सकता है।
  • अरारोट पाउडर के इस्तेमाल से इस रोग से राहत मिल सकती है। अरारोट एक डेम्यूल्सेंट है जिसका मतलब ये है कि ये यूरीनरी ट्रैक्ट को आराम पहुंचाता है। इसलिए इंफेक्शन के दौरान इससे दर्द में राहत मिलती है। इसमें कई ऐसे तत्व होते हैं जो इंफेक्शन को ठीक करने में मददगार होते हैं।
  • सिस्टाइटिस के लक्षणों से उबरने के लिए गर्म पानी के बैग या बोतल से पेट के निचले हिस्से की सिंकाई करें। इस गर्माहट से पेट के निचले हिस्से का रक्तसंचार बेहतर होगा और जलन और दर्द में कमी आएगी।

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