
"प्रेग्नेंसी हर महिला की जिंदगी का एक बहुत खूबसूरत मोड़ होता है। इस समय उसे स्वयं को लेकर और अधिक सावधान हो जाना चाहिए। इस समय अपने व बच्चे के स्वास्थ्य की जिम्मेदार एक मां ही होती है। इसलिए इस समय मां का स्वस्थ भोजन खाना बहुत आवश्यक होता है ताकि उसे व उसके बच्चे को पर्याप्त पोषण मिल सके।", बता रही है डायटिशियन एंड न्यूट्रिशन भारती एन आर, एच ओ डी, डायटिक्स एंड न्यूट्रिशन, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, सरजापुर रोड। इस समय महिलाओं के शरीर में बहुत से बदलाव भी होते हैं इसलिए एक हेल्दी डायट बहुत जरूरी है।
इस दौरान एक मां को बेलेंसड डायट लेनी चाहिए जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट्स, सब्जियों व फलों की सही मात्रा शामिल हो। प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का कैलोरी इंटेक भी बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए नहीं होता है क्योंकि वह दो जनों के लिए खा रही है। बल्कि इस दौरान महिला का शरीर अधिक आयरन अब्सोर्ब करता है और ब्लड की मात्रा कम हो जाती है। इसलिए यह जरूरी होता है कि वह ऐसा खाना खाए जिसमे आयरन भरपूर हो। जिससे शरीर में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ सके और आप को अधिक एनर्जी महसूस हो।
इसलिए आप को यह जानना बहुत आवश्यक है कि आप को इस दौरान किस प्रकार का खाना खाना चाहिए और किस प्रकार के खाने को अवॉइड करना चाहिए। आप के खाने का प्रकार भी आप के व आप के बच्चे की सेहत पर काफी प्रभाव डालता है। तो आइए जानते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान कौन कौन से भोजन पदार्थ अवॉइड करने चाहिए।
अल्कोहल
अल्कोहल मिस कैरिज के खतरे को बढ़ाता है और इसकी वजह से बच्चे को पैदा करते समय भी दिक्कत आती है। अल्कोहल का सेवन फेटल अल्कोहल सिंड्रोम को बढ़ाता है जिससे फेशियल डिफॉम, हृदय रोग व अन्य प्रकार के रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
प्रोसेस्ड फूड
इस प्रकार के फूड में कैलोरीज़ व शुगर आदि अधिक होती हैं व पोषण कम होता है। हालांकि थोड़ा बहुत वजन प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़ाना आवश्यक होता है परन्तु यदि ज्यादा वजन बढ़ता है तो उससे आप को बीपी व डायबिटीज आदि की समस्या भी हो सकती है।
कैफ़ीन की मात्रा को सीमित करें
कॉफी हमेशा आप के मूड को ठीक करने व आप की थकान उतारने में सहायक होती है परन्तु अधिक कैफ़ीन आप के बच्चे के लिए रिस्की हो सकती है।
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कच्चे अंडे
कच्चे अंडों में सालमोनेला नामक बैक्टीरिया होता है। इस बैक्टेरिया के द्वारा डायरिया व फीवर जैसे इंफेक्शन हो सकते हैं। इससे उल्टियां आने की दिक्कत होती है और इससे बच्चे का समय से पहले जन्म होने का भी खतरा होता है।
आधा पका हुआ मीट या भोजन
इस प्रकार का खाना या भोजन बहुत सारे बैक्टरिया आदि के ठहरने का घर हो सकता है। इससे आप को फूड पॉयजनिंग हो सकती है या आप का पेट खराब हो सकता है। यह पचने में भी मुश्किल होता है।
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सही मछली चुने
अधिक मर्करी वाली मछली जैसे शार्क, टूना, मर्लिन आदि न खाएं। आप को अपने डॉक्टर व गाइनोकोलॉजिस्ट से भी सही आहार के बारे में पूछ लेना चाहिए। यह बच्चे व मां को सही व पर्याप्त आहार मिलने का समय होता है।
ओनली माय हेल्थ की डायटिशियन एंड न्यूट्रिशन भारती एन आर, एच ओ डी, डायटिक्स एंड न्यूट्रिशन, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, सरजापुर रोड से बातचीत पर आधारित।।
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