
भारतीय रेलवे ने कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए रेलवे के कोचों को आइसोलेशन वार्ड बनाने का फैसला किया है। जानें जरूरी बातें।
देश में लगतार बढ़ रहे कोरोनावायरस (COVID-19) के मामले को रोकने के लिए अब भारतीय रेलवे भी मैदान में उतर आया है। डब्ल्यूएचओ के एक अनुमान के अनुसार, भारत में प्रति 1,000 लोगों पर केवल 0.7 बिस्तर हैं। जबकि सरकार ने इसे दो बेड तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। वहीं डब्ल्यूएचओ ने देश में प्रति 1,000 लोगों पर कम से कम 3 बेड की सिफारिश की है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेल मंत्रालय ने रेल के अपने कोच और केबिन को आइसोलेशन वार्ड में बदलने का मन बनाया है। भारतीय रेलवे रोजाना 13,523 गाड़ियां चलाता है, और अब देश भर में लॉकडाउन के मद्देनजर 14 अप्रैल तक सभी यात्री सेवाओं को बंद कर दिया गया है।
रेलवे के सूत्रों के अनुसार, इस बाबत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए खाली पड़े कोच और केबिन को आइसोलेशन वार्ड के रूप में तब्दील करने के प्रस्ताव पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी.के. यादव, सभी जोन के महाप्रबंधकों और मंडल रेल अधिकारियों के साथ रेल मंत्री पीयूष गोयल की बैठक में चर्चा की गई। यह फैसला बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोनोवायरस संकट से निपटने के लिए सभी मंत्रियों को अपने-अपने स्तर पर विचार करने के बाद लिया गया है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी.के. यादव का कहना है कि रेलवे के कोच और केबिन को परामर्श कक्ष, मेडिकल स्टोर, आईसीयू और पेंट्री को सुसज्जित मेकशिफ्ट अस्पताल में बदला जा सकता है। ये कोच देश के उन हिस्सों में भेजे जाएंगे, जहां कोरोनोवायरस के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
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क्वरंटाइन और आइसोलेशन
क्वरंटाइन और आइसोलेशन इस वायरस को रोकने का प्रमुख तरीका है। ये उपाय समुदाय स्तर पर इस वायरस को फैलने से रोकने की श्रृंखला को तोड़ने में मदद करता हैं।
क्वरंटाइन
क्वरंटाइन उन व्यक्तियों के अलग रहने को संदर्भित करता है, जो अभी तक बीमार नहीं हैं लेकिन COVID-19 के संपर्क में आ चुके हैं और इसलिए उनके बीमार होने की संभावना है। संदिग्ध और पुष्टि हो चुके मामलों के लिए स्वैच्छा से क्वरंटाइन होना होगा। घर पर क्वरंटाइन के दिशानिर्देश मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, जिनपर सभी जरूरी बातों की जानकारी है।
आइसोलेशन
आइसोलेशन उन व्यक्तियों को अलग करने को संदर्भित करता है, जो बीमार हैं और उनमें कोरोना की संदिग्धता या पुष्टि हो चुकी है। सभी संदिग्ध मामलों में कोरोना की पुष्टि होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया जाएगा और उन्हें आइसोलेशन वार्ड में तब तक रखा जाएगा तब तक कोरोना नेगेटिव नहीं हो जाता। COVID-19 के पॉजिटिव व्यक्ति को तब तक अस्पताल में रखा जाएगा जब तक MoHFW की डिस्चार्ज पॉलिसी के अनुसार, 2 नमूनों का सैंपल नेगेटिव नहीं हो जाता । लगभग 15% रोगियों में निमोनिया विकसित होने की संभावना है, जिनमें से 5% को वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है।
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आइसोलेशन रूम के लिए जरूरी चीजें
- आंखों की सुरक्षा (काला चश्मा या फिर वाइजर (visor)
- चेहरे को ढंके (आंख, नाक और मुंह की सुरक्षा मिलती है)
- दस्ताने पहनें
- पर्यावरण की सफाई के लिए दोबारा यूज होने वाले दस्तानें पहनें या रबड़ के दस्तानों का प्रयोग करें।
- नैदानिक देखभाल के लिए लेटेक्स एकल-उपयोग दस्ताने
- बालों को ढक कर रखें।
- N95, FFP2, या उसके बराबर पार्टिकुलेट रेस्पिरेटर्स का प्रयोग करें।
- मेडिकल (सर्जिकल) मास्क पहनें।
- गाउन और एप्रिन का प्रयोग करें।
- एल्कोहल बेस्ड हैंड रब का इस्तेमाल करें।
- साफ पानी और साबुन से बार-बार हाथ धोएं।
- एक बार प्रयोग होने वाले टावल या फिर टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें।
- पर्यावरण की सफाई और कीटाणुनाशक वाला डिटर्जेंट प्रयोग करें।
- जमीन, सतह, उपकरणों के लिए कीटाणुशोधन डिसइंफेक्शन का प्रयोग करें।
- बड़े प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करें।
- रोजाना कूड़े के लिए डेली यूज होने वाले प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करें।
- लिनन बैग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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