COVID-19: कोरोना क्यों बना रहा 60 से ऊपर के लोगों को अपना शिकार साइंस ने ढूंढा इसका जवाब, आप भी जानें असल कारण

अध्ययन में हाई ब्लड प्रेशर, कोरोनरी धमनी रोग, डायबिटीज और क्रॉनिक बीमारी के रोगियों में अधिक गंभीर परिणामों की सूचना दी।
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COVID-19: कोरोना क्यों बना रहा 60 से ऊपर के लोगों को अपना शिकार साइंस ने ढूंढा इसका जवाब, आप भी जानें असल कारण

अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस (coronavirus) से पीड़ित कुछ लोगों में गंभीर फेफड़ों की जटिलताओं का एक संभावित कारण का पता लगाया है, जिससे हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और क्रोनिक किडनी रोग के रोगियों को दी जाने वाली दवाईयां की भूमिका साफ होती है। जर्नल ऑफ ट्रैवल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि SARS-CoV-2, जो कोरोनायावरस  (COVID -19) का कारण बनता है, वह एंजियोटेंसिन (angiotensin) को परिवर्तित करने वाले एंजाइम्स 2 (ACE2) को श्वसन के निचले रिसेप्टर्स में पहुंचने का काम करता है, जिससे यह संक्रमित रोगियों के फेफड़ों में प्रवेश कर जाता है।

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इतने दिनों में सामने आते हैं संक्रमण के संकेत

अध्ययन के मुताबिक, संदिग्ध व्यक्तियों में वायरल निमोनिया और संभावित घातक श्वसन फेल्योर 10-14 दिनों में सामने आ सकती है।

इन रोगों में दी जाने वाली दवाईयां जरूरी

अमेरिका की लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी (LSU) के एक प्रोफेसर जेम्स डियाज का कहना है कि एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम इन्हिबिटर (ACEI)और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (ARBs)हार्ट अटैक सहित हृदय रोगों, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और क्रॉनिक किडनी डिजीज से पीड़ित रोगियों को दी जाने वाली प्रमुख दवाईयां हैं।

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बुजुर्गों को ज्यादा संक्रमण का डर 

डियाज का कहना है कि जिन लोगों में ये बीमारियां विकसित होती है उनमें ज्यादातर बुजुर्ग हैं उन्हें ये दवाएं दी जाती हैं। उन्हें हर दिन ये दवाईयां लेनी होती हैं। इन दवाओं को स्किप करने से संक्रमण उनपर हावी हो जाता है और उनके शरीर पर हमला करता है, जिसके कारण इन रोगियों को संक्रमण का खतरा अधिक होता है। 

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साइंटिस्ट ने पाया सुधार

वैज्ञानिकों ने बताया कि एक्सपेरिमेंट किए जा रहे मॉडल में ये पाया गया कि जब मरीजों के नसों में ACE रोधक दिया गया तो दिल और फेफड़ों के बीच ब्लड सर्कुलेशन में ACE2 रिसेप्टर्स की संख्या में वृद्धि देखी गई है।

संक्रमण से पीड़ित रोगियों पर किया गया अध्ययन

डियाज का कहना है कि चूंकि ACEIs और ARBS द्वारा इलाज किए गए रोगियों के फेफड़ों में ACE2 रिसेप्टर्स की संख्या में वृद्धि देखी गई। ये रोगी SARS-CoV-2 संक्रमण के कारण गंभीर बीमारी के परिणामों के बढ़ते जोखिम की चपेट में आ सकते हैं। उन्होंने कहा यह परिकल्पना हाल ही में 11 दिसंबर, 2019 से 29 जनवरी, 2020 तक चीन की प्रयोगशाला में पुष्टि किए गए COVID-19 संक्रमण वाले 1,099 रोगियों के हालिया विश्लेषण पर आधारित है।

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इन 4 रोगों के मरीजों पर देखे गए परिणाम

इस अध्ययन में हाई ब्लड प्रेशर, कोरोनरी धमनी रोग, डायबिटीज और क्रॉनिक रिनल डिजीज के मरीजों में अधिक गंभीर परिणाम देखे गए। शोधकर्ताओं के अनुसार, कोरोनावायरस वाले सभी रोगियों को  ACEI या ARBs के साथ इलाज की भी सलाह दी गई। 

बच्चे क्यों संक्रमण से सेफ

डियाज ने कहा कि दो चीडें  COVID -19 संक्रमण से बच्चों की रक्षा कर सकती हैं। पहली, आम सर्दी पैदा करने वाले अल्फा कोरोनवायरस और निचले श्वसन मार्ग में ACE2 के रिसेप्टर्स में कमी के कारण ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण से बचाव में कमी। उन्होंने भविष्य में केस-कंट्रोल अध्ययन की सिफारिश की है, जिसमें इस बात की पुष्टि की जा सके कि क्या वास्तव में COVID-19 संक्रमण वाले रोगियों के लिए ACEI या ARBs के साथ क्रॉनिक थेरेपी गंभीर परिणामों के लिए जोखिम उठाया जा सकता है।

इन कामों को करने बचें बुजुर्ग 

उन्होंने कहा कि हृदय रोगों के लिए एसीईआई और एआरबी दवाओं के साथ इलाज पा रहे मरीजों को अपनी दव बंद नहीं करना चाहिए, लेकिन मौजूदा कोरोना संक्रमण के प्रकोप के दौरान भीड़, बड़े पैमाने पर होने वाली सभाओं, समुद्री यात्राओं, लंबे समय तक हवाई यात्रा और सांस की बीमारियों वाले सभी लोगों से बचना चाहिए ताकि संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सके। 

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