कोरोना वायरस का संक्रमण इस समय तेजी से हवा में फैल रहा है। जिसके लिए वैज्ञानिकों के बीच लगातार बहस जारी है। कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका की सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) ने नई गाइडलाइंस जारी की है, जिसमें उन्होंने लोगों को चेतावनी दी है और कहा कि इस बात के सबूत हैं कि लोगों के छह फीट की दूरी पर खड़े होने के बाद भी लोगों में कोरोना फैल रहा है, जिसकी वजह से देर तक हवा में रहने वाले लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं। क्योंकि वायरस कभी-कभी हवा में कुछ मिनटों से लेकर कई बार कई-कई घंटों तक जीवित रहता है।
सीडीसी- 6 से 8 फीट की दूरी भी काफी नहीं
गौरतलब है कि कोविड-19 के हवा में फैलने का विषय चर्चा में बना है। इतना ही नहीं इस वायरस को हवा में फैसने को लेकर चिंता भी बनी हुई है और इस पर कई बार स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने व्यापक रूप से आवाज भी उठाई थी। सीडीसी ने पहले भी कहा था कि आने वाले समय में कोरोना वायरस और भी खराब परिस्थिति पैदा कर सकता है। लेकिन एक बार फिर सीडीसी ने सबूतों के साथ इस बात को पेश किया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोग उन लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं जो उनसे 6 से 8 फीट तक दूर हों, खासकर की घरों के अंदर या ऐसी बंद जगह जहां पर वेंटिलेशन या हवा के आने जाने की ज्यादा व्यवस्था न हो।
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ऐसे में जब लोग अपने घर या दफ्तर में होते हैं और एसी चलाते हैं, तो उस समय खिड़की दरवाजे सब बंद करने पड़ते हैं। वह ऐसा समय होता है जब अगर आसपास कोई संक्रमित व्यक्ति है, तो उसके शरीर से निकला वायरस ज्यादा देर तक अंदर ही मंडराता रहेगा। ऐसे में अगर उस वायरस के संपर्क में कोई स्वस्थ्य व्यक्ति आ जाता है तो वो संक्रमित हो जाता है। कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति की ओर से निकली ड्रॉपलेट्स, पार्टिकल्स, एरोसोल्स किसी दूसरे व्यक्ति को आसानी से संक्रमित कर सकता हैं। क्योंकि जब संक्रमित व्यक्ति की ओर से ड्रॉपलेट्स निकलती हैं तो वह सतह पर जाकर गिर जाती हैं। ऐसे में एरोसोल ड्रॉपलेट्स और भी छोटी होती हैं और धुएं की तरह हवा में लंबे समय तक रह सकती हैं। इसी के साथ हवा में मौजूद एरोसोल लंबे समय तक हवा में रहते हैं और इनसे संक्रमण का ज्यादा खतरा रहता है।
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एयरबोर्न ट्रासमिशन से बचाव पर फोकस जरूरी
कोरोना वायरस से संक्रामित इंसान भरे हजारों एरोसोल छोड़ता हो और सांस लेते और बोलते समय कंम बूंदें निकलती हैं, जिसके लिए एयरबोर्न ट्रासमिशन से बचाव करने के लिए सोचना चाहिए। वहीं खांसते या छींकते वक्त निकलने वाली बूंदें और एरोसोल जो लंबी दूरी तक वायरस को ले जा सकती है उसकी बीच अंतर करना चाहिए।
हर किसी को यह जानना जरूरी है कि और इसका महत्व और घर के अंदर की हवा में सुधार के साथ-साथ मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने पर ज्यादा जोर देना चाहिए, जिससे कोरोना वायरस के प्रसार को कम किया जा सके।
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