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प्रसव के दौरान मृत्यु के क्या कारण हो सकते हैं? डॉक्टर से जानें बचाव के उपाय

प्रसव के दौरान कई महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। इसे कहते है मैटरनल डेथ कहते हैं। समय के साथ वैसे तो इसके मामले कम देखने को मिलते हैं। लेकिन, इसका जोखिम किसी भी महिला को हो सकता है। आगे जानते हैं कि इसके कुछ कारण और बचाव के उपाय
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प्रसव के दौरान मृत्यु के क्या कारण हो सकते हैं? डॉक्टर से जानें बचाव के उपाय

Common Causes Of Maternal Deaths: प्रसव के दौरान महिला की मृत्यु होना एक गंभीर समस्या मानी जाती है। यह संबंधित देश की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए एक सवालियां निशान खड़ा करती है। डॉक्टर्स के अनुसार यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब गर्भावस्था, प्रसव, या प्रसव के बाद जटिलताएं होती हैं। महिलाओं और शिशुओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए इस विषय पर जागरूकता बढ़ाना और उचित कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। लेकिन, आज भी कई राज्यों में महिला की स्वास्थ्य स्थिति ठीक नहीं है। हाल ही में कर्नाटक राज्य के सीएम कार्यालय द्वारा बताया गया कि बीते 5 वर्षों में मैटरनल डेथ के करीब 3,350 मामलों के दर्ज किये गए हैं। हालांकि, डॉक्टर्स का कहना है कि मैटरनल डेथ के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। इस लेख में Medicover Hospitals, Kharghar, की कंसल्टेंट गाइनाक्लॉजिस्ट एंड इंफर्टिलिटी स्पेशिलिस्ट डॉ अनुरंजिता पल्लवी से जानते हैं कि मैटरनल डेथ के क्या कारण हो सकते हैं? साथ ही, इससे मैटरनल डेथ के कैसे बचाव किया जा सकता है।

मैटरनल डेथ के सामान्य कारण - Common Causes Of Maternal Mortality

डिलीवरी के समय अधिक रक्तस्राव होना (पोस्टपार्टम हेमरेज)

यदि किसी महिला को प्रसव यानी डिलीवरी के दौरान या बाद में अत्यधिक रक्तस्राव (Excessive Bleeding) होता है, तो यह मैटरनल डेथ का एक प्रमुख कारण बन सकता है। समय पर चिकित्सा न मिलने पर यह स्थिति गंभीर हो सकती है। इसे पोस्टपार्टम हेमरेज के रूप में भी जाना जाता है।

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इंफेक्शन होना

प्रसव (डिलीवरी) के दौरान या बाद में इंफेक्शन होना, जैसे कि पेल्विक इंफेक्शन (Pelvic Infection), महिलाओं के लिए खतरनाक हो सकता है। यह अक्सर साफ-सफाई की कमी और पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल न करने के कारण होता है।

प्रीक्लेम्पसिया

गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर या प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia) से महिला के अंग प्रभावित हो सकते हैं, जिससे जटिलताएं बढ़ सकती हैं। यह समय पर इलाज न मिलने पर मैटरनल डेथ का खतरा बढ़ जाता है।

गर्भाशय का फटना

यह स्थिति तब होती है जब प्रसव के दौरान गर्भाशय की दीवार फट (Uterus Rupture) जाती है। यह विशेष रूप से उन महिलाओं में आम है जो पहले सर्जरी (सी-सेक्शन) करा चुकी होती हैं।

गर्भपात से जुड़ी समस्याएं

असुरक्षित गर्भपात (Unsafe Abortion) और उससे जुड़े जटिलताएं महिलाओं के जीवन को खतरे में डाल सकती हैं। यह भी प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु का कारण बन सकता है।

मैटरनल डेथ की रोकथाम के लिए क्या करना चाहिए? - How To Reduce Maternal Mortality In Hindi

डिलीवरी से पहले की देखभाल (एंटीनैटल केयर)

संपूर्ण प्रेग्नेंसी व अंतिम दौर में नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप कराना और जरूरी टेस्ट करवाना अत्यंत आवश्यक माना जाता है। इससे गर्भावस्था से जुड़ी समस्याओं का समय रहते पता लगाया जा सकता है।

प्रसव के लिए अनुभवी डॉक्टर के पास जाना

डिलीवरी के लिए अनुभवी डॉक्टर से पास जाना चाहिए। साथ ही, घर में प्रसव या डिलीवरी से बचना चाहिए। अस्पताल में डिलीवरी के दौरान होने वाली किसी भी इमरजेंसी से निपटने के लिए सभी सुविधाएं मौजूद होती हैं।

इंफेक्शन से बचाव

प्रसव के दौरान और बाद में साफ-सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। इससे संक्रमण का खतरा कम होता है।

संतुलित आहार का सेवन करना

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को आयरन और फोलिक एसिड से भरपूर संतुलित आहार लेना चाहिए। यह एनीमिया को रोकने में मदद करता है। साथ ही, डिलीवरी और उसके बाद की जटिलताओं को कम करता है।

सामाजिक जागरूकता

सरकार व अन्य एनजीओ को समाज में प्रसव के दौरान मैटरनल डेथ के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए। साथ ही, उन्हें प्रेग्नेंसी के शुरुआती चरण से ही सभी तरह की जानकारियां प्रदान करनी चाहिए।

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मैटरनल डेथ को रोकने के लिए आवश्यक है कि महिलाओं को समय पर और उचित स्वास्थ्य सेवाएं मिलें। स्वच्छता, पोषण, और प्रसव के दौरान सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने से मैटरनल मोर्टिलिटी रेट में कमी लाई जा सकती है। समाज के सभी लोगों को इस दिशा में योगदान देना चाहिए ताकि हर महिला सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जी सके।

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