देश में क्रॉनिक इन्फ्लेमेटरी डिमाइलिनेटिंग पॉलीन्यूरोपैथी (सीआइडीपी) नामक मर्ज का इलाज अब बोन मैरो ट्रांसप्लांट से संभव हो चुका है। सीआईडीपी तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) से संबंधित ऑटोइम्यून मर्ज है। यानी इस बीमारी में शरीर का तंत्रिका तंत्र क्षतिग्रस्त होने लगता है क्योंकि रोगी के शरीर की कोशिकाएं, सेहतमंद कोशिकाओं व धमनियों और नर्वस सिस्टम पर अटैक करने लगती हैं। मरीज के हाथ, पैर काम करना बंद कर देते हैं और उसे लकवा भी लग सकता है।
कारण है अज्ञात
गौरतलब है कि नर्वस सिस्टम से जुड़ी इस बीमारी के कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन इसमें नसों में सूजन आने के कारण नसों का सुरक्षा कवर, जिसे माइलिन कहते हैं, क्षतिग्रस्त हो जाता है और नसों की सिग्नल भेजने की क्षमता धीमी हो जाती है।
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ऐसे पहचानें
वैसे सीआईडीपी के मरीजों को अलग- अलग लक्षण महसूस हो सकते हैं। आमतौर पर इस मर्ज में कमजोरी, दर्द, थकान और हाथ पैर सुन्न हो जाते हैं। गंभीर मामलों में रोगी के शरीर के अंग हिलना-डुलना तक बंद कर देते हैं। लगातार हाथ-पैर सुन्न होने या बहुत ज्यादा थकान व कमजोरी महसूस होने पर डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
ये है इलाज
शुरुआती स्टेज में रोगी को फिजियोथेरेपी और दवाओं से ठीक करने की कोशिश की जाती है। इस बीमारी का इलाज दवाओं से करना काफी महंगा पड़ता है और इस इलाज के शरीर पर कई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। स्टेरॉयड, खून बदलना या आईवीआईजीइंजेक्शन महंगे होने के कारण आम रोगियों की पहुंच से बाहर हैं। अगर बीमारी गंभीर हो जाए और इंजेक्शन व दवाएं असर नहीं करतीं, तो बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं।
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आधुनिक इलाज
सीआईडीपी के इलाज में बोन मैरो ट्रांसप्लांट के अंतर्गत उन सभी खराब कोशिकाओं को निकालकर शरीर में पहले से ही मौजूद बोन मैरो (अस्थि मज्जा) को खत्म कर दिया जाता है। फिर उसी व्यक्ति की स्वस्थ कोशिकाओं से नया बोन मैरो बनाकर उसे प्रत्यारोपितकिया जाता है। यह प्रक्रिया सिर्फ अनुभवी और विशेषज्ञ डॉक्टर ही कर सकते हैं। भारत में सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बाद अब न्यूरो से जुड़ी कई बीमारियों के इलाज संभव हैं।
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