कार्सिनॉइड ट्यूमर्स को 'धीमी गति का कैंसर' कहा जाता है, क्योंकि इसका विकास बहुत ही धीमी गति से होता है और अन्य ट्यूमर्स की अपेक्षा शरीर के अन्य भागों में इसके फैलने की सम्भावना भी बहुत कम होती है। हालांकि हमेशा ऐसा नहीं होता है। कभी-कभी इसका विकास और फैलाव अपेक्षाकृत जल्दी हो सकता है। अधिकांश कार्सिनॉइड ट्यूमर्स की शुरूआत छोटी आंत में होती है, लेकिन लगभग 25 प्रतिशत फेफड़ों में शुरू होते है। कार्सिनॉइड ट्यूमर्स फेफड़ों के मध्य से शुरू होते हैं।
लंग्स के कार्सिनॉइड ट्यूमर के लक्षण
- लगातार खांसी का बने रहना
- खांसी में खून आना
- सांस लेने में कठिनाई या घरघराहट
- निमोनिया (फेफड़े का संक्रमण)
- चेहरा लाल होना
- डायरिया
- दिल का तेज गति से धड़कना
- वजन बढ़ना
- चेहरे और शरीर पर बालों का बढ़ जाना
किन लोगों को होता है खतरा
कार्सिनॉइड पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होता है, परन्तु इसके कारणों को अभी तक जाना नही गया है कि ऐसा क्यों होता है। ये ट्यूमर आमतौर पर 60 साल की उम्र के लोगों में पाया जाता हैं। लेकिन कार्सिनॉइड लगभग किसी भी उम्र के लोगों में हो सकता है। जिन लोगों को एंडोक्राइन रसौली टाइप 1 होती है इनके अंगों जैसे अग्न्याशय और पीयूषिका ग्रंथियों में ट्यूमर का उच्च जोखिम पर होता है।
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कार्सिनॉइड ट्यूमर का इलाज
कार्सिनॉइड ट्यूमर का अगर जल्दी पता लग जाए तो पूरी तरह से सर्जरी के द्वारा हटाया जा सकता है। जब ट्यूमर बड़े एयरवे में स्थित होता है तो सर्जन ट्यूमर वाले एयरवे के उस हिस्से को निकालते हैं। जब ट्यूमर फेफड़े के किनारे पर स्थित हो तब सर्जन केवल फेफड़े की एक छोटी वेज़ निकालते हैं। बड़े ट्यूमर या कई ट्यूमर होने पर फेफड़े के एक हिस्से को या पूरे फेफड़े को निकालना पड़ सकता है।
इसमें ब्लड और यूरीन टेस्ट भी किया जाता है यह देखने के लिए कि क्या ट्यूमर कोई असामान्य हार्मोन तो नहीं बना रहा है। आक्ट्रियोटाइड सिटीग्राफी कहें जाने वाले इस टेस्ट से यह सुनिश्चित करने में सहायता मिल सकती है कि कार्सिनॉइड ट्यूमर फेफड़े के बाहर तो नहीं फैल गया है।
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कब करते हैं कीमोथैरेपी
कार्सिनॉइड ट्यूमर्स पर कीमोथेरेपी अधिक कारगर नहीं होती है। वर्तमान में इसका इस्तेमाल केवल तभी किया जाता है जब कार्सिनॉइड ट्यूमर्स शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं और जब मरीज कीमोथेरेपी के साईड इफेक्ट सहन कर सकता हो।
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