तन-मन को रखना है फिट तो खेलें बचपन के ये खेल, बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए हैं फायदेमंद

80-90 के दौर में गैजेट्स की कमी पूरी करने वाले खेल हमारी यादों का ह‍िस्‍सा हैं। आज भी आप इन्‍हें खेलें तो ये आपको अच्‍छी सेहत का वरदान दे सकते हैं।
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तन-मन को रखना है फिट तो खेलें बचपन के ये खेल, बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए हैं फायदेमंद


याद है बचपन के वो खेल ज‍िन्‍हें खेलकर हम घंटों ब‍िता द‍िया करते थे। कभी ग‍िल्‍ली-डंडा तो कभी लंगड़ी टांग। इस तरह के खेल न स‍िर्फ बच्‍चे बल्‍क‍ि बड़े भी बहुत मन से खेलते थे। देखते ही देखते ये खेल कहीं गुम से हो गये। पुराने समय से देखा गया है क‍ि इन खेलों में न सिर्फ शारीरिक मेहनत होती थी, बल्कि बहुत फोकस भी रखना पड़ता था। आज कल सभी के ल‍िये चीजों को याद रखना बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। हम सभी को कमजोर याददाश की श‍िकायत होने लगी है। उसका कारण है बदलती लाइफस्‍टाइल। बचपन के इन खेलों से न सिर्फ शरीर बल्‍क‍ि मन भी शांत रहता था।

इन द‍िनों बच्‍चे लोगों या मेहमानों से घुलना-म‍िलना पसंद नहीं करते। इसका एक बड़ा कारण है सामाज‍िक दूरी। पुराने समय में खेल खेलना एक-दूसरे से बात करने का अच्‍छा जर‍िया माने जाते थे। सितोल‍िया जैसे खेल हमें टीम वर्क सीखाते हैं जो ज‍िंदगी में बड़े काम की चीज है। ऐसा नहीं है क‍ि हमारे बचपन में बस दौड़-भाग वाले खेल ही होते थे। कंचे और गुटके फेंकना आज भले ही बच्‍चे न जानते हों पर बचपन में खेले जाने वाला ये सबसे लोकप्रिय गेम हुआ करता था। चलिये चलते हैं बचपन के सफर पर जहां आपको याद आयेंगे पुराने खेल और उनसे जुड़े कई फायदे जो आज भी आपकी सेहत को बेहतर बना सकते हैं।  

childhood games

स‍ितोलि‍या-लंगड़ी टांग थे हमारे फेवरेट

पुरानी यादों को ताजा क‍िया जाये तो आपको याद होगा पत्‍थरों को जमाकर बॉल से मारने वाला हमारा फेवरेट खेल। जी हां स‍ितोल‍िया। पकड़म-पकड़ाई भी आपको खूब याद होगा। छुट्टियों में हम सभी को लंगड़ी-टांग, छुपन-छुपाई खेलने की याद आने लगती थी। इन खेलों में धमाचौकड़ी और शोर शराबा द‍िल को खुशी द‍िया करता था। आज कल तो गेम के नाम पर मोबाइल ही रह गया है ज‍िसके सहारे आप खुद में ही मग्‍न रहते हैं। पहले के समय ये खेल हमें नये-नये दोस्‍त बनाने का मौका देते थे। आंख-मिचौली को तो आप सब याद करते होंगे। याद है लकड़ी की वो ग‍िल्‍ली और हाथ भर का वो डंडा। उस समय शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां रस्‍सी न होती हो। ये खेल आज भी कसरत करने वालों का फेवरेट है। गुटकों का वो खेल तो आप सबने खेला ही होगा ज‍िसमें एक हाथ से पत्‍थर उछालकर दूसरे से पकड़ना होता था। आज ये सब हमारी यादों का ह‍िस्‍सा हैं।

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बचपन के खेल आज भी आपको रख सकते हैं फ‍िट

  • -आप भी बचपन के इन खेलों को एक बार फ‍िर अपनी ज‍िंदगी में शाम‍िल करें। खेल खेलने के कई फायदे हमारे शरीर पर होते हैं। ऐसे ही फायदों में से एक है मांसपेश‍ियों का व‍िकास। खेल खेलने से हमारा अंदरूनी शरीर चुस्‍त-दुरूस्‍त और स्‍वस्‍थ्‍य रहता है।
  • -खेल खेलने से आपकी एरोबिक एक्सरसाइज होती है, जिससे हॉर्ट या सांस संबंधित बीमारी की संभावना कम होती है। इससे शरीर में खून का संचार भी अच्‍छी तरह होता है और दिल लंबी उम्र तक स्वस्थ रहता है।
  • -हमारी रोग प्रत‍िरोधक क्षमता बढ़ाने के ल‍िये स्‍पोर्टस बेस्‍ट तरीका हैं क्योंकि आप जितना अधिक एक्टिव रहेंगे, उतने स्वस्थ तरीके से आपके बॉडी फंक्शन काम करेंगे। इसके अलावा थोड़ा-बहुत धूल-मिट्टी के संपर्क में आने से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

games for health

  • -अगर आप ऑफ‍िस में अपनी निगेट‍िव ईमेज से परेशान हैं तो इन खेलों को खेलकर देखें। कुछ समय खेल के साथ ब‍िताने पर आपके अंदर की कॉम्‍पीटेट‍िवनेस लौट आयेगी।
  • -जीतना और हारना खेल का हिस्‍सा माने जाते हैं इसलिये बचपन के वो खेल गीता के क‍िसी सार से कम न थे ज‍िनसे हमें अपने कई सवालों के जवाब मिल जाते थे तो क्‍यों न एक बार फ‍िर उन खेलों की ओर रूख क‍िया जाये।
  • -इन द‍िनों कम उम्र में ज्‍यादा गुस्‍सा भी इस बात के लक्षण हैं क‍ि इंसान के अंदर से धैर्य कम होता जा रहा है। खेल हमें संयम की भावना सीखाते हैं इसल‍िये खेलों का साथ कभी नहीं छोड़ना चाह‍िये।

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  • -ये खेल आपको जीत की भावना का कई बार अनुभव करवाते थे जो क‍ि आज क‍ि आज भी एक वैल्‍यूएबल ऐसेट है। जब तक आपके अंदर जीत की भावना रहेगी आप बड़ी से बड़ी परेशानी से उबर पायेंगे।

नई चीजों के मुकाबले पुरानी चीजों का इस्‍तेमाल कम हो जाता है पर फुर्सत के पलों में एक बार फ‍िर उस दौर को याद करके देखियेगा जो कभी गया ही नहीं बस हम उसे भूल गये थे।

Written by Yashaswi Mathur

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