भारत टीकाकरण कवरेज में वृद्धि और नवजात देखभाल में सुधार कर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी ला सकता है, विशेषकर उन राज्यों में जहां यह दर काफी अधिक है। लांसेट ग्लोबल हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित एक नए शोध के मुताबिक वर्ष 2015 में भारत में प्रति 1,000 जीवित बच्चों पर 47.8 मौतों हुई, जो कि किसी अन्य देश की तुलना में पांच वर्ष की आयु से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में सबसे अधिक थी।
अध्ययन के मुताबिक, बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए गए कारगार तरीकों के बावजूद ऐसे आंकड़े सामने आए हैं। 2000-2015 के दौरान, वर्ष 2000 में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की वार्षिक मृत्यु दर 25 लाख थी, जो वर्ष 2015 में घटकर 12 लाख हो गई हालांकि, अमीर और गरीब राज्यों के बीच पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में बड़ी असमानता रही।
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शोध में कहा गया कि पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य में बच्चों की मृत्यु दर सबसे अधिक रही। असम में पश्चिमी राज्य गोवा की तुलना में पांच वर्ष की आयु से कम बच्चों की मृत्यु दर सात गुना से अधिक थी।
शोध के मुताबिक, उच्च-मृत्यु दर वाले राज्यों में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की अधिकांश मौतें प्राथमिक जटिलताओं के कारण हुईं। इसके अलावा इन राज्यों में रोकथाम योग्य संक्रामक रोगों से होने वाली मृत्यु भी प्रमुख कारणों में से एक थी।
अमेरिका स्थित जॉन्स हॉप्किन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के सह-प्रमुख लेखक ली लियू ने कहा, "भारत वैक्सीन कवरेज का दायरा बढ़ाकर और प्रसव व नवजात देखभाल प्रक्रिया में सुधार कर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी ला सकता है, विशेषकर उन राज्यों में जहां मृत्यु दर अधिक बनी हुई है।"
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अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने भारत में वर्ष 2000 से 2015 के बीच पांच साल से कम उम्र के बच्चों के बीच मृत्यु के कारणों पर राज्य-स्तरीय आंकड़ों का विश्लेषण किया।
संयुक्त राष्ट्र की इंटर-एजेंसी ग्रुप फॉर चाइल्ड मॉर्टेलिटी एस्टीमेशन द्वारा 18 सितंबर, 2018 को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2017 में भारत की पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर वैश्विक औसत (प्रति 1,000 जीवित बच्चों पर 39 मौतें) से मेल खाती है।
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