यह तो आप जानते हैं कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज के संपर्क में आने वाले लोगों को टेस्ट कराने और कम से कम 14 दिन होम आइसोलेशन में रहने के निर्देश हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कैसे निर्धारित किया जाएगा कि कोई व्यक्ति कोविड मरीज के संपर्क में आया था? सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) यानी सीडीसी (CDC) के पूर्व के निर्देशों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति कोविड पॉजिटिव मरीज के साथ 6 फीट से कम की दूरी पर लगातार 15 मिनट समय बिताता है, तो उसे 'क्लोज कॉन्टैक्ट' माना जाएगा। ऐसे व्यक्ति को सरकारी निर्देशों के अनुसार खुद ही होम आइसोलेशन में जाना होग या क्वारंटाइन सेंटर में जाकर खुद को क्वारंटाइन करना होगा।
CDC ने बदल दी है कोविड मरीज के क्लोज कॉन्टैक्ट की परिभाषा
मगर अब सीडीसी (CDC) ने इस निर्देश में थोड़ा बदलाव किया है। अब CDC की नई गाइडलाइन्स के अनुसार 'क्लोज कॉन्टैक्ट' की परिभाषा में भी थोड़ा अंतर आया है। नई परिभाषा के अनुसार क्लोज कॉन्टैक्ट उन लोगों को माना जाएगा जिन लोगों ने किसी कोरोना वायरस से संक्रमित (कोविड पॉजिटिव) मरीज के 6 फीट की दूरी पर 24 घंटे में कुल मिलाकर 15 मिनट या इससे ज्यादा समय बिताया हो।
इस नए निर्देश के अनुसार लगातार 15 मिनट का कॉन्टैक्ट भी जरूरी नहीं है, बल्कि अगर किसी व्यक्ति ने पूरे दिन में पॉजिटिव मरीज के आसपास 15 मिनट गुजारा हो, तो उसे 'क्लोज कॉन्टैक्ट' माना जाएगा।
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क्यों महत्वपूर्ण है नया निर्देश?
CDC द्वारा जारी नया निर्देश इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आने वाले दिनों में जब स्कूल, कॉलेज, ऑफिसेज आदि पूरी तरह खुल जाएंगे, तो कोरोना वायरस के फैलने की आशंका भी बढ़ जाएगी। ऐसे में संक्रमण को रोकने के लिए क्लोज कॉन्टैक्ट को पहचानकर उन्हें आइसोलेट करना बेहद जरूरी हो जाएगा। स्कूल, कॉलेज और ऑफिस में अक्सर ऐसा होता है कि लोग एक ही दिन में छोटे-छोटे अंतराल पर कई बार संपर्क में आते हैं, जबकि उन्हें लगता है कि उन्होंने ज्यादा समय एक-दूसरे के साथ नहीं बिताया है।
भारत में क्या हैं निर्देश?
भारत में कोरोना मरीज के क्लोज कॉन्टैक्ट की परिभाषा में उतनी स्पष्टता नहीं है, जितनी सीडीसी की परिभाषा में है। लेकिन आने वाले समय में जब स्कूल और ऑफिसेज खोले जाएंगे, तब भारत सरकार भी ऐसे निर्देश जारी कर सकती है। फिलहाल भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कोविड-19 के क्लोज कॉन्टैक्ट की परिभाषा में 3 बातें बताई गई हैं-
- कोविड-19 केस के साथ एक ही घर में रह रहे लोगों को क्लोज कॉन्टैक्ट माना जाएगा।
- कोविड-19 मरीज के शारीरिक संपर्क में आए ऐसे व्यक्ति को क्लोज कॉन्टैक्ट माना जिसने पीपीई किट नहीं पहनी हो।
- कोविड-19 मरीज के साथ यात्रा करने वाले या किसी बंद जगह पर फेस-टू-फेस बात करने वाले व्यक्ति को क्लोज कॉन्टैक्ट माना जाएगा।

कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए क्या करें?
पहले हुए तमाम अध्ययन बताते हैं कि मास्क पहनना ही कोरोना संक्रमण को रोकने का एकमात्र कारगर उपाय है। अगर संक्रमित मरीज और उसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति, यानी दोनों ने ही सही तरीके से मास्क पहना हो और सैनिटाइजेशन का ध्यान रखा हो, तो असंक्रमित व्यक्ति में संक्रमण का खतरा कम होता है। जबकि इनमें से किसी एक ने भी मास्क न पहना हो, तो खतरा 90% से ज्यादा होता है। इसलिए सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना और हाथों को सैनिटाइज करते रहना जरूरी है।
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