बच्चों को बार-बार प्यास लगना कहीं किसी समस्या का संकेत तो नहीं? जानें इसका कारण और बचाव

बच्चों को बार-बार प्यास लगना डायबिटीज की निशानी हो सकती है। इसलिए उनके लक्षणों को पहचानकर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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बच्चों को बार-बार प्यास लगना कहीं किसी समस्या का संकेत तो नहीं? जानें इसका कारण और बचाव


यदि आपके बच्चे को बार-बार प्यास लग रही है, तो सावधान हो जाएं। जी हां, बार-बार प्यास लगना बच्चे को खतरनाक बीमारी की ओर इशारा कर सकता है। बार-बार प्यास लगना, भूख अधिक लगना और बार-बार पेशाब जाना बच्चों में डायबिटीज की निशानी हो सकती है। बच्चों में डायबिटीज की शिकायत के कारण उनकी आंखें जाने की संभावना भी बढ़ जाती है। बच्चों के शरीर में शुगर का स्तर असामान्य रूप से बढ़ने के कारण उन्हें प्यास अधिक लगती है। इसलिए वे बार-बार जूस, कोल्ड्रिंक्स और पानी जैसी चीजों का डिमांड करते हैं। अगर आपके बच्चों को जरूरत से ज्यादा प्यास लग रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ताकि समय पर डायबिटीज का इलाज कराया जा सके। बच्चों में डायबिटीज के अन्य लक्षण भी दिख सकते हैं। आइए जानते हैं इस बारे में -

भूख अधिक लगना

डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को हमेशा भूख की शिकायत लगी रहती है। उन्हें कितना भी खाना खिलाया जाए, तो भी उनके शरीर में उर्जा की कमी होती है। उर्जा की कमी को दूर करने के लिए उनके शरीर को खाने की जरूरत होती है। इस वजह से उन्हें काफी अधिक भूख लगती है। डायबिटीज के कारण बच्चा कितना भी खा लें, लेकिन उसका वजन बढता नहीं है। डायबिटीज की वजह से पीड़ित बच्चों में इंसुलिन की मात्रा घटती है, जिसके कारण उनके शरीर में लगातार उर्जा की कमी बनी रहती है। वह अन्य बच्चों की तुलना में काफी सुस्त रहता हैं। अगर आपको अपने बच्चों में इस तरह के लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

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बार-बार टॉयलेट जाना भी हो सकती है डायबिटीज की निशानी

भूख और प्यास अधिक लगने के साथ-साथ बार-बार बाथरूम जाना भी बच्चों में डायबिटीज के प्रमुख लक्षण हो सकते हैं। शुगर के बड़े मरीजों में भी इस तरह के लक्षण देखे गए हैं। अगर आपको अपने बच्चे में यह लक्षण नजर आए, तो सतर्क हो जाएं। उन्हें डायबिटीज की परेशानी हो सकती है। यह शुरुआती यानी टाइप-1 डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं। इसलिए समय रहते उनका इलाज कराएं। 

डायबिटीज के प्रकार 

डायबिटीज दो तरह के दोते हैं। टाइप-1 डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज। टाइप-1 डायबिटीज को कई लोग इन्सिपिडस के नाम से भी जानते हैं। टाइप-1 डायबिटीज के कारण शरीर में एंटी-डाययुरेटिक हार्मोन (ADH) की कमी हो जाती है। इसकी वजह से हमारा शरीर इंसुलिन का निर्माण करना बंद कर देता है।

वहीं, टाइप 2  डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन आवश्यकता से काफी कम बनता है। इस स्थिति में हमारा शरीर इंसुलिन की पहचान नहीं कर पाता है औऱ इसका इस्तेमाल करना बंद कर देता है। इसलिए टाइप-2 डायबिटीज को इंसुलिन प्रतिरोधकता भी कहा जाता है। 

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डायबिटीज से कैसे करें बच्चों का बचाव

  • नियमित रूप से एक्सरसाइज कराएं।
  • जंक फूड्स से दूर रखें।
  • स्ट्रेस से दूर रखें।
  • मोबाइल पर ज्यादा ना खेलने दें।
  • आउटडोर गेम खेलने के लिए कहें।
  • शुगर का सेवन कम कराएं।
  • सफेद रोटी, मिठाई, पेस्ट्री, सोडा और अन्य रिफाइंड्री चीजों का सेवन कम कराएं।

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