क्या अच्छे खान-पान के बावजूद आपके बच्चे की लंबाई नहीं बढ़ रही है? पौष्टिक चीजें खाने के बाद भी आपका बच्चा दुबला-पतला है? अगर ऐसा है, तो हो सकता है आपका बच्चा सीलिएक डिजीज का शिकार हो। सीलिएक डिजीज गेंहूं से होने वाली एक प्रकार की एलर्जी है। ताजा आंकड़ों के अनुसार हर साल लाखों बच्चे सीलिएक डिजीज का शिकार हो रहे हैं। उत्तर भारत में हर 100 में से एक व्यक्ति सीलिएक डिजीज का शिकार है। इसका कारण ये है कि उत्तर भारतीय राज्यों में गेंहूं को मुख्य आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
क्या है सीलिएक डिजीज
सीलियक एक गंभीर ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जो ऐसे लोगों में पाया जाता है जो सेंसिटिव (संवेदनशील) होते हैं। चूंकि सीलिएक डिजीज अनुवांशिक बीमारी है इसलिए बहुत अधिक संख्या में बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं। सीलिएक से पीड़ित लोगों को गेहूं, जौ और ओट्स में मौजूद ग्लूटेन नामक प्रोटीन से एलर्जी होती है। ग्लूटेन प्रोटीन जौ, राई और गेहूं जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है।
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कैसे प्रभावित हो रहे हैं बच्चे
सीलिएक डिजीज से प्रभावित बच्चों में ग्लूटेन से एलर्जी के कारण छोटी आंत की क्षमता कम हो जाती है, जिससे भोजन ठीक से पच नहीं पाता है। इसी कारण कुछ भी खाने-पीने पर बच्चे को उस आहार से सही पोषण नहीं मिलता है। पोषक तत्वों की कमी के कारण बच्चे का शरीर सूखने लगता है और विकास रुक जाता है। इसीलिए इस रोग से प्रभावित बच्चे न तो लंबे होते हैं और न ही फिट होते हैं, बल्कि ठिगने और दुबले-पतले रह जाते हैं।
सीलिएक डिजीज में किन आहारों से रहना चाहिए दूर
सीलियक बीमारी वाले व्यक्ति को गेहूं, राई, सूजी, ड्यूरम, माल्ट और जौ जैसे पदार्थों से दूर रहना चाहिए। ग्लूटेन की मौजूदगी पता करने के लिए उत्पादों के लेबल को जांच लेना चाहिए। कुछ चीजें जिनमें ग्लूटेन हो सकता है, वे हैं- डिब्बाबंद सूप, मसाले, सलाद ड्रेसिंग, कैंडीज और पास्ता आदि। उन्होंने कहा, हालांकि, इसका यह मतलब नहीं कि भोजन में विविधता नहीं हो सकती है। चावल, ज्वार, क्विनोआ, अमरंथ, बाजरा, रागी और बकव्हीट जैसे विकल्पों का उपयोग संभव है।
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प्रॉसेस्ड फूड्स में भी होता है ग्लूटेन
प्रॉसेस्ड फूड्स में अक्सर गेहूं या जौ या राई शामिल होता है। इन पर लगे लेबल को देखकर ही आपको अंदाजा हो जाएगा कि इसमें ग्लूटेन बहुत अधिक मात्रा में शामिल होता है।
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