कहते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह इंसान का सबसे बड़ा शत्रु है, लेकिन इसी कड़ी में ममता भी जुड़ गया है। काम, क्रोध, लोभ, मोहऔर ममता ये सभी मनुष्य के शत्रु हैं। आजकल के माता-पिता बच्चों को डांटते कम हैं। इसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं, लेकिन परिवार में डांटने की व्यवस्था न होना भविष्य में बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इस बारे में जब हमने गुरुग्राम के अवेकनिंग रिहैब में मनोवैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा मलिक से बात की तो उन्होंने बताया कि माता-पिता का बच्चों को न डांटना और उन्हें ज्यादा प्यार करना पैंपर बिहेवियर कहलाता है। ऐसे बच्चे जिन्हें माता-पिता ज्यादा प्यार करते हैं वे भविष्य में किसी की न नहीं सुन पाते और यही वजह है कि ऐसे बच्चे बड़े होकर अवसाद की गिरफ्त में जल्दी आते हैं।
क्या है पैंपर बिहेवियर?
मनोवैज्ञानिक प्रज्ञा मलिक का कहना है कि जब माता-पिता बच्चे की किसी भी बात पर न नहीं करते। वे बच्चे की जरूरी और गैर जरूरी दोनों बातों पर अपनी मंजूरी दे देते हैं। माता-पिता का बच्चे का प्रति ये बिहेवियर पैंपर बिहेवियर कहलाता है। माता-पिता के इस बिहेवियर की वजह से बच्चे की पर्सनैलिटी ओवर डिमांडिंग और रूड बिहेवियर की होती है। ऐसे बच्चे खुद को निगलेक्ट होना स्वीकार नहीं कर पाते।
ऐसा बिहेवियर माता-पिता करते क्यों हैं?
इस प्रश्न के जवाब में मनोवैज्ञानिक कहती हैं कि इस बिहेवियर के पीछे कई कारण हैं-
1. माता-पिता ने ऐसी लाइफ देखी नहीं इसलिए बच्चे को देना चाहते हैं।
2. माता-पिता के पास टाइम नहीं है, इसलिए डिमांड पूरी कर देते हैं।
3. माता-पिता सही से निर्णय नहीं ले पाते हैं, इसलिए बच्चे को ज्यादा प्यार करते हैं।
4. माता-पिता को यह डर सताता है कि अगर वे न बोलेंगे तो बच्चा माता-पिता से नाराज हो जाएगा।
5. कई बार पति या पत्नी का एक-दूसरे पर बच्चे को न डाटने का दबाव होता है।
भविष्य में ऐसे होते हैं पैंपर बिहेवियर वाले बच्चे
- अगर बच्चा भविष्य में माता-पिता से तेज आवाज में बोल रहा है तो उसका कारण माता-पिता हैं। क्योंकि बचपन से उसने कभी न नहीं सुनी है।
- ऐसे बच्चे जिन्हें माता-पिता की तरफ से हमेशा प्यार मिला होता है और किसी भी चीज के लिए न नहीं सुनी होती है तो ऐसे बच्चे भविष्य में पुअर कोपिंग स्किल्स वाले होते हैं। इनमें डिप्रेशन, रिलेशनशिप इशुज आदि इन्हें होते हैं
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माता-पिता खुद से ये सवाल जरूर पूछें-
- प्यार दिखाना या न दिखाने के बीच की लाइन क्या है?
- माता-पिता को बच्चे को कितना देना है। क्यों देना है।
- बच्चे के लिए कितना ठीक बहुत ज्यादा हो जाएगा।
ये सवाल माता-पिता अपने बच्चे को ध्यान में रखकर जरूर पूछें। इन सबके साथ-साथ यह भी ध्यान देना है कि बच्चे को बिल्कुल भी चीजें न दें या दें बहुत थोड़ा भी न दें।
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क्या कर सकते हैं माता-पिता?
- बच्चा जिस समय जो डिमांड कर रहा है, उसे समझना।
- लव और अफेक्शन में अंतर समझें माता-पिता।
- बच्चे के साथ रिवॉर्ड बिहेवियर को अपनाएं। जैसे बच्चे के कुछ अच्छा काम करने पर उसे रिवॉर्ड देना और उसे बताना कि यह रिवॉर्ड उसे इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि उसने अच्छा काम किया।
- प्यार का ओवरडोज न हो उसके लिए माता-पिता को खुद से सवाल करना चाहिए।
- बच्चे के साथ हैप्पी हार्स निकालें।
- बच्चे को चुनने दो। अगर वो गलत जा रहा है तो माता-पिता गाइड करें।
- अगर बच्चा ठीक कर रहा है तो उसे करने दें।
- बच्चे के लिए किसी तरह की लिमिट तय न करें। इससे बच्चे के मन में इरिटेशन होने लग जाती है। बच्चे में होप डेवलप करनी है।
- बच्चे को सुनें। बच्चा बड़ा होता है तो सवाल होने लगते हैं। उसके सोशलाइजेशन की प्रक्रिया में उसका दोस्त बनें। ताकि उसके सवालों के जवाब दें सकें।
- अगर कोई बच्चा गलत करता है तो उसको पहले पूछ लें कि उसने ऐसा क्यों किया। कभी-कभी डांटना बच्चा को गलत नहीं होता है। पर ध्यान रखें कि सारा गुस्सा बच्चे पर न निकालें।
बच्चे का ज्यादा प्यार-दुलार भी तब नुकसानदायक बन जाता है, जब वह भविष्य में न नहीं सुनना चाहता। ऐसे बच्चे भविष्य में किसी चीज में नहीं सुनना चाहते। जब इनके मुताबिक काम नहीं होता तो इरिटेशन होती है। इसलिए बच्चो को सही काम के लिए रिवॉर्ड देना और गलत काम के लिए डांटना जरूरी है।
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