क्या फाइबर वाले फूड्स ज्यादा खाने से होती है गैस की समस्या? डायटीशियन स्वाती बाथवाल से जानें सच्चाई

हाई फाइबर युक्त आहार का सेवन करने से कुछ लोगों को गैस की समस्या हो जाती है। एक्सपर्ट से जानते हैं इसकी क्या है वजह?
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क्या फाइबर वाले फूड्स ज्यादा खाने से होती है गैस की समस्या? डायटीशियन स्वाती बाथवाल से जानें सच्चाई

वजन को कंट्रोल में रखने के लिए कई लोग अपने आहार में हाई फाइबरयुक्त डाइट को अचानक से बढ़ा देते हैं। अधिकतर डायटीशियन का कहना है कि फाइबरयुक्त आहार का सेवन करने से वजन कंट्रोल रहता है। यह बात बिल्कुल सही भी है कि फाइबरयुक्त आहार वजन को कंट्रोल करने में आपकी मदद करता है। लेकिन कुछ लोगों को हाई फाइबर युक्त आहार लेने से गैस की समस्या हो जाती है। फाइबर युक्त आहार लेने से पेट में गैस, कुपच और एसिडिटी की समस्या हो जाती है। इस बारे में डायटीशियन स्वाती बाथवाल का कहना है कि पहले के समय में यानि आदिमानव काल में लोग जंगली फल, घास-फूस जैसी हाई फाइबरयुक्त चीजें खाते थे। उस समय एक व्यक्ति में लगभग 50 से 60 ग्राम फाइबर खाने की क्षमता थी। अफ्रीकन डाइट की बात की जाए, तो वहां के लोग करीब 50 ग्राम फाइबर अपने डाइट में शामिल करते हैं। लेकिन प्रोसेसिंग और आधुनिकता की वजह से लोगों में फाइबर खाने की क्षमता कम हो चुकी है। 

हाई फाइबर से क्यों बढ़ती है गैस की समस्या?

डायटीशियन स्वाती बाथवाल का कहना है कि अब हमारी बॉडी यूज टू यानि आदतन नहीं है कि इतनी मात्रा में फाइबर को पचा सके। आधुनिक समय में एक सामान्य पुरुष को 32 ग्राम फाइबर की आवश्यकता होती है। वहीं, एक महिला को पूरे दिन में 28 ग्राम फाइबर की आवश्यकता होती है। लेकिन अगर आप अचानक से अपने डाइट में फाइबर को बढ़ाते हैं, तो यह ब्लोटिंग की समस्या को बढ़ा सकता है। क्योंकि जितने भी फाइबर रिच फूड्स होते हैं, वह आपके Guts बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं। यानि हमारे पेट के अंदर मौजूद बैक्टीरिया का ग्रो करता है। पेट के बैक्टीरिया के लिए फाइबर जरूरी होता है। इससे पेट स्वस्थ रहता है, लेकिन अचानक से ज्यादा मात्रा में फाइबर लेने से हमारी बॉडी एक्सेप्ट नहीं कर पाती है। क्योंकि इसका डाइजेशन सही से नहीं हो पाता है। ज्यादातर फाइबर रिच फूड्स गैसी होते हैं। जैसे- दाल, राजमा, छोले, चने इत्यादि। अचानक से इन सभी चीजों को डाइट में बढ़ा देने से गैस की समस्या हो सकती है।

स्वाती बाथवाल का कहना है कि अचानक से फाइबर युक्त आहार के बढ़ाने से हमारे शरीर में माइक्रो मशीनरी पर असर पड़ता है। इसे ठीक होने में करीब 2 से 3 सप्ताह का समय लगता है। अगर आप अपने आहार में धीरे-धीरे फाइबर बढ़ाते हैं, तो यह आपके लिए सबसे बेहतर हो सकता है।

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हाई फाइबर लेते समय गैस से बढ़ने के लिए क्या करें?

डायटीशियन का कहना है कि अगर आप हाई फाइबर युक्त आहार की मात्रा बढ़ाना चाह रहे है, तो इसे अचानक से न बढ़ाएं। इससे गैस की समस्या बढ़ सकती है। ऐसे में आप रोजाना 5-5 ग्राम फाइबर अपने डाइट में बढ़ाएं। धीरे-धीरे करके अपने आहार में 32 ग्राम तक फाइबर ले आएं। इससे आपको हाई फाइबर लेने से गैस की समस्या नहीं होगी। धीरे-धीरे फाइबर बढ़ाने से हमारी बॉडी यूज टू हो जाती है, जिससे ब्लॉटिंग की समस्या नहीं होती है।

इसके अलावा आप अपने डाइट में सब तरह के फाइबर का इस्तेमाल करें। फाइबर तीन तरह का होता है, सॉल्युबल फाइबर (जो पानी में घुल जाए), इनसोल्युबल फ़ाइबर और रेजिस्टेंट स्टार्च (Resistant starch)। हमें अपने डाइट में इन तीनों तरह के फाइबर को यूज करना चाहिए। इससे गैस्टिक की समस्या न के बराबर होगी। अगर इनमें से किसी एक फाइबर को आप नहीं लेते हैं, तो इससे आपको समस्या हो सकती है। जैसे- अगर आप सॉल्यूबल फाइबर को नहीं लेते हैं, तो आपको कब्ज की समस्या हो सकती है। 

सॉल्युबल फाइबर - ओट्स, दलिया, सूखे मेवे, फलियां, सेब, ब्लूबेरीज़, दाल इत्यादि से मिलने वाले फाइबर सॉल्युबल होते हैं।

इनसॉल्युबल फ़ाइबर - किसी भी चीज का छिलका या फिर फलों और सब्जियों से मिलने वाले फाइबर को इनसोल्युबल फाइबर कहते हैं। जैसे- गेंहू का छिलका, कद्दू के बीज इत्यादि।

रेजिस्टेंट स्टार्च- केला, आलू, ब्राउन राइस से आपको रेजिस्टेंट स्टार्च मिल सकता है।

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डायटीशियन का कहना है कि आपको गैस की समस्या तब होगी, जब आप अपने आहार में बहुत ही ज्यादा इनसॉल्युबल फाइबर को शामिल करते हैं। या फिर फाइबर के असंतुलन से आपको गैस या ब्लॉटिंग की परेशानी हो सकती है। क्योंकि गुड बैक्टीरिया हमारे शरीर में शॉर्ट चेन फैटी एसिड बनाता है, जो हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद है। शॉर्ट चेन फैटी एसिड आपके ब्लड में जाकर आपको एनर्जी प्रदान करता है। इससे आपके स्वास्थ्य को कई लाभ होते हैं। 

ध्यान रखें कि आपको अपने आहार में अचानक से फाइबर को नहीं बढ़ाना है। अपने डाइट में धीरे-धीरे फाइबर को बढ़ाएं। इससे आपके स्वास्थ्य को कई लाभ होंगे। साथ ही अपने डाइट में किसी तरह के बदलाव के लिए एक्सपर्ट से जरूर सलाह लें।

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