बटरफ्लाई, एक्सरसाइज़ की एक मशीन है, जिम में इस पर हर कोई हाथ आजमाता है। जैसे ही आप इस पर पहला रैप लगाते हैं, लगता है चेस्ट अप हो गई। आठ दस रैप निकालने के बाद ऐसा लगने लगता है कि चेस्ट बन गई। मगर बटरफ्लाई करने के बाद बीस मिनट बाद सब फुस्स हो जाता है। क्योंकि ये वो कसरत है जिसे ढंग से न करो तो सिर्फ मजा आता है, रिजल्ट नहीं। इसकी खासियत है स्ट्रेचिंग और स्क्वीजिंग की पूरी सहूलियत देना। यही वजह है कि लोग इसमें आनंद महसूस करते हैं क्योंकि स्ट्रेचिंग से मसल्स रिलैक्स होते हैं।
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बटरफ्लाई एक्सरसाइज़ के दौरान ध्यान रखने वाली बातें
- बटरफ्लाई को करते वक्त हाथों को बहुत पीछे न ले जाएं। बस इतना ध्यान रखें कि आपकी चेस्ट एक दरवाजे की तरह से जिसे पूरा नहीं खोलना है।
- जब हाथ सामने की ओर जाएं तो मशीन का हत्था या आपकी मुट्ठी एक दूसरे को छूनी चाहिए।
- बटरफ्लाई की मशीनें कई तरह की होती हैं। कुछ में मुट्ठी की ग्रिप होती है, कुछ में हाथों में 90 डिग्री का एंगल बना रहता है।
- जो भी हो आपका मकसद है चेस्ट को पूरी से स्क्वीज करना है। याद रखें यही इस कसरत का इफेक्टिव पार्ट है।
- अपनी चेस्ट की मसल्स को पूरी तरह से स्क्वीज करने के बाद कम से कम एक सेंकेंड के लिए रुकें और मसल्स की कसावट को महसूस करें।
- हमने शुरू में कहा था कि बटरफ्लाई करने के कुछ समय बाद कुछ महसूस नहीं होता। ऐसा उन्हीं लोगों के साथ होता है जो मसल्स की कसावट को महसूस नहीं करते।
- ध्यान रखें ये कसरत स्ट्रेच को नहीं स्क्वीज को महसूस करने वाली है। जब दोनों हाथ मिलें तो अपनी सांस को पूरी तरह से बाहर निकालें।
- सांस बाहर निकालने से आपको मसल्स को कसने में और मदद मिलेगी। जब हाथ खुलें तो फिर से सांस लें।
कैसे करें बटरफ्लाई एक्सरसाइज़
अगर सीट आपके हिसाब से सेट नहीं है तो उसे एडजस्ट करें। मशीन आमतौर पर दो तरह की होती है। एक में जब आप ग्रिप बनाते हैं तो कोहनियों पर से 90 डिग्री का एंगल बनता है। दूसरे में हाथ करीब करीब सीधे खुले होते हैं। तो जिस मशीन में हाथ करीब करीब सीधे होते हैं उसमें हथेलियों की ऊंचाई आपके कंधों से ऊपर नहीं होनी चाहिए और कभी भी आपकी चेस्ट की निप्पल से नीचे नहीं होनी चाहिए। जब हाथ सामने आएं तो वो अपर चेस्ट के सामने हों।
इसी तरह से अगर ग्रिप 90 डिग्री के एंगल वाली है तो उसमें कोहनियों की ऊंचाई कंधों से ऊपर न हो। ये बटरफ्लाई करने की सही पोजीशन है, मगर सौ फीसदी इसे फॉलो नहीं करना। कभी कभी सीट को सबसे नीचे वाले प्वाइंट पर सेट करके एक्सरसाइज करें, कभी कभी सीट को सबसे ऊपर वाले प्वाइंट पर सेट करके कसरत करें। अगर सीट ऊपर नहीं हो पा रही है तो उस पर एक मोटी प्लेट रख सकते हैं। इससे आप ऊंचा होकर बैठ पाएंगे। अगर सीट नीचे नहीं हो रही है तो आपकी किस्मत खराब है उसका कोई जुगाड़ नहीं है।
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