
व्यायाम या एक्सरसाइज व्यक्ति को फिट और स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और अनियमित खानपान के चलते व्यायाम करना बहुत जरूरी हो गया है। वर्तमान समय में अगर आप लोगों से उनकी समस्याओं के बारे में बात करेंगे तो आपको करीब 90 प्रतिशत लोगों की समस्या खराब पाचन तंत्र मिलेगी। अगर आपका पाचन तंत्र सही नहीं है तो आप कई बीमारियों से घिर सकते हैं।
यानि कि यदि पेट में गैस, अपच और कब्ज की शिकायत लंबे समय से हो तो इसका सीधा सा मतलब यह है कि आपकी पाचक शक्ति ठीक नहीं है। हालांकि नियमित रूप से व्यायाम कर व दिनचर्या में सकारात्मक बदलाव कर पाचन क्रिया को बेहतर बनाया जा सकता है। आज हम आपको पाचन शक्ति को दुरुस्त बनाने के लिए कुछ एक्सरसाइज बता रहे हैं।
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पाचन तंत्र के लिए एक्सरसाइज
कहा जाता है कि अगर पेट ठीक हो तो कोई भी बीमारी पास नहीं आती है। क्योंकि शरीर में ऊर्जा की गति का पाचन तंत्र से बहुत गहरा संबंध है। पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली बिगड़ते ही किसी भी व्यक्ति को दुनिया भर की बीमारियां घेरने लग जाती हैं। पाचन तंत्र सही रहे इसीलिए चिकित्सा की सभी पद्धतियों के विशेषज्ञ आहार-विहार सही रखने के लिए कहते हैं। पाचन तंत्र को सही रखने के लिए ही योग के आचार्यो ने खास तौर से कई आसन और क्रियाएं बताई हैं। इनमें ही एक है-पश्चिमोत्तान आसन। यह आसन न केवल पेट, बल्कि पीठ की नसों और हड्डियों पर भी अच्छा प्रभाव डालता है। इस तरह यह पाचन तंत्र को तो दुरुस्त करता ही है, पीठ और शरीर के अन्य हिस्सों को भी पीड़ा से मुक्ति दिलाता है।
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पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज
मल का असंयम (ठीक के शौच न हो पाना) आंत्र संबंधी समस्याओं का एक बड़ा कारण हो सकता है। पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करने से इस समस्या से निपटा जा सकता है। इसके लिये बस आपको दिम में कुछ मिनटों के लिये अपने पेल्विक फ्लोर मसल्स को 30 से 50 बार भीतर और बाहर करना होता है। इसके अलावा आप रोजना सिट अप्स का अभ्यास भी कर सकते हैं। इन दोनों तरह के एक्सरसाइज से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
पाचन तंत्र के लिये योगासन
उस्तरासन को कैमल पोज़ भी कहा जाता है। क्योंकि आसन को करते में कमर स्ट्रेच होती है, सिर थोड़ा झुका हुआ रहता है और पेट उठा हुआ रहता है। इस आसन की मदद से पेट और पीठ के निचले हिस्से का शुद्धीकरण होता है और पाचन क्रिया दुरुस्त होती है। इसके अलावा आप पाचन को सही करने के लिये पवनमुक्तासन, धनुरासन, नौकासन, सेतुबंधासन, हलासन तथा पश्चिमोत्तान का अभ्यास भी कर सकते हैं।
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