
Blood Test For Cancer Detection: भारत में सर्वाइकल कैंसर के बाद, महिलाओं में होने वाला सबसे कॉमन कैंसर है ब्रेस्ट कैंसर। ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) की पुष्टि के लिए डॉक्टर एमआरआई, मैमोग्राफी, थर्मोग्राफी, टिशू सैपलिंग आदि टेस्ट करते हैं। एमआरआई और मैमोग्राफी जैसी जांच रेडिएशन तकनीक से की जाती है। ये हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं। हाल में में एक स्टडी पब्लिश हुई है जिसमें बताया गया है कि आने वाले समय में ब्लड टेस्ट के जरिए भी ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाया जा सकता है। ये स्टडी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स (AIIMS) ने जारी की है। जानते हैं स्टडी से जुड़े जरूरी अंश और इस पर डॉक्टर की राय भी जानेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
ब्लड सैंपल में भी नजर आ सकते हैं कैंसर सेल्स
ये स्टडी एम्स के बायोकैमिस्ट्री विभाग ने की है। तीन साल चली इस रिसर्च में ऐसे लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए जिनका ट्रीटमेंट शुरू नहीं हुआ है। इस रिसर्च में बताया गया है कि ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती और बाद के फेस की बात की जाए, तो ब्लड कैमिस्ट्री में फर्क देखने को मिलता है। इसी बदलाव का पता ब्लड टेस्ट (Blood Test) के जरिए लगाया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने ये भी बताया कि ट्यूमर सेल्स कुछ केमिकल्स रिलीज करते हैं जो ब्लड में देखा जा सकता है।
शुरुआती स्टेज पर चल जाएगा कैंसर का पता
अब तक जो टेस्ट ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाते हैं उनमें 7 से 10 दिन लग जाते हैं। लेकिन ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट दो दिनों में आ सकती है। यानी कैंसर का पता अर्ली स्टेज में भी लगाया जा सके, इसलिए ब्लड टेस्ट को कैंसर का पता लगाने का आसान उपाय बताया जा सकता है।
साल में एक बार जरूर करवाएं मैमोग्राफी
जिन महिआलों ने कभी न कभी रेडिएशन थेरेपी ली है, उन्हें 25 की उम्र के बाद एक बार मैमोग्राफी टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। जिन महिलाओं के परिवार में ब्रेस्ट कैंसर या ओवेरियन कैंसर का कोई केस रहा है, उन्हें 35 की उम्र में मैमोग्राफी (Mammography) करवानी चाहिए। ये जांच साल में एक बार जरूर करवानी चाहिए। जेनेटिक बीमारी में कैंसर रहा है और वो आपकी पिछली या उससे ठीक पहले वाली पीढ़ी है, तो भी 25 की उम्र में मैमोग्राफी करवाएं। कुछ केस में डॉक्टर मैमोग्राफी की जगह एमआरआई करवाने की सलाह देते हैं। मैमोग्राफी में रेडिएशन ज्यादा होता है, जो हर मरीज को नहीं करवाया जाता।
इसे भी पढ़ें- कैंसर में कितने तरह के दर्द महसूस हो सकते हैं? जानें डॉक्टर से
क्या नियमित ब्लड टेस्ट है कैंसर से बचाव?
डॉ सीमा ने बताया कि नियमित ब्लड टेस्ट करवाने से कई बड़ी बीमारियों का पता अर्ली स्टेज पर चल जाता है। उम्र बढ़ने के साथ कैंसर की आशंका (Cancer Risk) बढ़ जाती है। अधिक उम्र में कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। ब्लड टेस्ट के जरिए प्लेटलेट काउंट की पहचान होना, कैंसर के इलाज में मददगार साबित हो सकता है। लेकिन फिलहाल केवल ब्लड टेस्ट काफी नहीं है। कैंसर ट्यूमर की पोजिशन, उसका साइज और अन्य जानकारी लेने के लिए डॉक्टर को एक्सरे या अन्य रेडिएशन जांचों की जरूरत होगी।
ब्रेस्ट कैंसर से बचाव ही उसका सही इलाज है। किसी भी तरह के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से संपर्क करें। फिलहाल ब्लड टेस्ट के साथ अन्य कई टेस्ट भी किए जा सकते हैं।