बाइपोलर डिसऑर्डर, जो कभी मुख्य रूप से वयस्कों को प्रभावित करने वाला माना जाता था, अब यह बच्चों की मेंटल हेल्थ को भी नुकसान पहुंचाने लगा है। इसे डिप्रेशन से संंबंधित माना जाता है, जो व्यक्ति या बच्चों के मूड, एनर्जी और व्यवहार को प्रभावित करता हैं। इस तरह की समस्या पहले वयस्कों को देखने को मिलती थी। इसके लक्षणों की पहचान करना मुश्किल होता है। लेकिन, डॉक्टर की मदद से आप इसके लक्षणों की पहचान आसानी से कर सकते हैं। इस लेख में मैक्स अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉक्टर विवेक कुमार से जानते हैं कि बच्चों में बाइपोलर डिसऑर्डर के क्या लक्षण दिखाई देते हैं।
बच्चों में बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण - Bipolar Symptoms in Children in hindi
- मानसिक स्थिति : किसी चीज को लेकर जिद्द (मानसिक रूप से सनक) का अनुभव करने वाले बच्चे असामान्य रूप से कभी खुश या उत्साहित मनोदशा प्रदर्शित कर सकते हैं।
- नींद में कमी : बच्चे की नींद कम हो सकती है, न्यूनतम आराम के बाद भी वे ऊर्जावान और बेचैन दिखाई दे सकते हैं।
- तेजी से बात करना : उन्मत्त बच्चे तेजी से बात कर सकते हैं, बिना किसी सुसंगति के एक विषय से दूसरे विषय पर जा सकते हैं, जो उनके तेज विचारों को दर्शाता है।
- चिड़चिड़ापन : कुछ बच्चों को चिड़चिड़ापन और आक्रामकता का अनुभव हो सकता है।
- लगातार उदासी: बाइपोलर डिसऑर्डर वाले बच्चों को लंबे समय तक उदासी का अनुभव हो सकता है, जिसे सामान्य मूड स्विंग न समझें।
- रुचि में कमी: जिन गतिविधियों में उन्हें पहले आनंद मिलता था, उनमें रुचि या आनंद में कमी अवसाद का एक संकेत है।
- थकान और एनर्जी कम होना : अपने सामान्य स्वभाव के विपरीत, बच्चे को थकान, कम ऊर्जावान और शारीरिक समस्याएं हो सकती है।
- भूख में बदलाव: भूख और वजन में महत्वपूर्ण बदलाव भी अवसाद का संकेत हो सकते हैं।
- आत्मघाती विचार: गंभीर मामलों में, बच्चे को मृत्यु या आत्महत्या के विचार आ सकते हैं, जिसमें तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है
बच्चों में बाइपोलर डिसऑर्डर को कम करने के लिए क्या करें - How to Manage Bipolar in Children In Hindi
बच्चों में बाइपोलर डिसऑर्डर को मैनेज करने के लिए डॉक्टर की सलाह तुरंत लें। उपचार में आम तौर पर बच्चे की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप मनोचिकित्सा, दवा और जीवनशैली में बदलाव किए जा सकते हैं।
मनोचिकित्सा
- कॉग्नेटिव बिहेवरियल थेरेपी (सीबीटी) : सीबीटी बच्चों को उनके मूड और व्यवहार को समझने और मैनेज करने, इस समस्या का मुकाबला करने की रणनीति विकसित करने और नकारात्मक विचार पैटर्न को चुनौती देने में मदद कर सकता है।
- परिवार-केंद्रित थेरेपी: इसमें परिवार को विकार के बारे में शिक्षित करना, कम्यूनिकेशन में सुधार करना और उन्हें एक सहायक माहौल प्रदान करना सिखाया जाता है।
दवाएं
- मूड स्टेबलाइज़र: डॉक्टर मूड स्विंग को नियंत्रित करने और उन्माद (सनक) को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दे सकते हैं।
- एंटीसाइकोटिक्स: एंटीसाइकोटिक्स मानसिक लक्षणों को मैनेज करने और मूड को स्थिर करने में सहायता कर सकते हैं।
लाइफस्टाइल में बदलाव
- नियमित दिनचर्या : लाइफस्टाइल में एक रूटिन सेट करने से मूड के पैटर्न को स्थिर करने में मदद मिल सकती है।
- स्वस्थ जीवन शैली: समग्र स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद की आवश्यक होती है।
- तनाव को कम करें: तनाव कम करने की तकनीक सिखने से मूड संबंधी घटनाओं को रोकने में मदद मिल सकती है।
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बच्चों में बाइपोलर की समस्या को समय रहते इलाज द्वारा ठीक किया जा सकता है। इस दौरान बच्चे को परिवार के सपोर्ट की आवश्यकता होती है। बच्चे की मानसिक स्थिति को समझना और उसे प्यार से हैंडल करें। यदि बच्चा ज्यादा पेरशान हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।